Friday, April 19, 2024
HomeHindiभारत में प्रमाणपत्रवाद (सर्टीफिकेशनलिज़्म) का सफर

भारत में प्रमाणपत्रवाद (सर्टीफिकेशनलिज़्म) का सफर

Also Read

Ambuj Jha
Ambuj Jha
प्रमाणपत्र तो इलेक्ट्रॉनिक्स में एम् टेक की है, लेकिन विद्यार्थी समाज शास्त्र का हो गया हूँ. An M.Tech degree holder in Electronics, but ended up being student of Social Study.

प्रमाणपत्र : एक ऐसा पत्र या डॉक्यूमेंट जिससे किसी खास व्यक्ति, समाज या फिर उनसे जुड़ी किसी भी तथ्य को प्रमाणित करा जा सके।

आम रूप से इस पत्र में जिनके नाम पर जारी किया गया हो उनका नाम और अंतिम में जारी करने वाले अधिकारी का हताक्षर एवं मुहर लगा होना अनिवार्य होता है। परन्तु हम आज जिस प्रमाणपत्र विशेष पर चर्चा करेंगे उसमें ये सब का झंझट नहीं है। राह चलते या फिर आजकल तो हर कुछ में e-सुविधा हो गयी इसलिए डिजिटल माध्यम भी एक्सेप्टेड फॉर्मेट है। आई थिंक कि आप समझ गए होंगे अबतक कि किस प्रमाणपत्र का जिक्र होनेवाला है। हाँ वही भक्त, संघी, चड्डी, अन सेक्युलर वाला।

हाँ तो चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सीधे पॉइंट पर आते हैं। हुआ यूँ कि 26 मई 2014 को औद्योगिक युग के इस दौर में अचानक से एक शार्प टर्न आता है और फिर से चीन से लेकर अमेरिका यूरोप होते हुए भारत के हर कोने में अचानक से कुछ सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, और नोबेल से लेकर भावी मैगसेसे अवार्ड धारी वैज्ञानिकों द्वारा हर साइज के प्रमाण पत्र छापने के लिए प्रिंटर और कागज़ खरीद लिए जाते हैं।

बस फिर क्या, उसके बाद धड़ल्ले से जहाँ तहाँ वो नायक फिल्म के अनिल कपूर वाली स्टाइल में जो सामने दिखे उसके लिए प्रमाण पत्र प्रिंट करते और झट से अपने नेचुरल गोंद से सामने वाले के मुंह पर चिपका दिया करते। और बेचारा सामने वाला फिर उसको नाख़ून या कुछ भी से नोच कर नजदीकी बाथरूम या सुलभ शौचालय जैसे जगहों पर धोने चला जाता। इस कार्यक्रम से कुछ यह हुआ कि बहुत लोग अपने बाल उखड़ा जाने क डर मात्र से या तो वैज्ञानिको कि पंक्ति में आ गए या ये सोचते हुए चुप रहने लगे कि अगला सनकी है भाई वी शुड नॉट इंडल्ज आवरसेल्वस इन दीज थिंग्स। लेकिन इसी दौर में समाज के लगभग हर भाग से कुछ शेफाली वैद्य, मधु किश्वर, विवेक अग्निहोत्री, मेजर गौरव आर्या, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, अर्नब गोस्वामी, रोहित सरदाना,अजीत भारती, डिफेंसिव ऑफेंस वाले वैभव सिंह, एवं op इंडिया इत्यादि टाइप थेत्थर लोग आ गए जो उसी गोंद लगे स्टिकी पत्र को सामनेवाले के आठ में से कुछ छिद्र को मूंदने के पीछे हाथ धो के पड़ गए। और कई बार तो वैज्ञानिको के प्रयोगशाला पर ही धावा बोल दिया जाने लगा। कई सारे वैज्ञानिको के गले से लेकर प्रिंटरों के इंक तक सूखने लगे। बस फिर क्या था, आफत शुरू।

ये दोनों पक्षों की लड़ाई चलती रही। ट्रस्ट मी, खूब चली और उस लड़ाई का अंत वैसे तो कायदे से 23 मई 2019 को ही हो जाना था । पर अफसोस कि ऐसा हुआ नहीं, और अभी भी छपाई धड़ल्ले से चल रही। क्रेडिट गोज टू पता नहीं किसको!

और फिर इसी तरह की एक और कोशिश यही बीते 22 मार्च को भी की गई जिसमें इन प्रिंटरों को तोड़ने के लिए लिए ताली, थाली, घड़ीघंट और नहीं कुछ तो कोई कोई संघी लोग शंख बजा दिया ताकि आवाज से कुछ जलजला टाईप आ जाएगा और कागज़ सब उड़ वूड जाएगा। एक हद तक उड़ा भी। इन फैक्ट काफी उड़ा। यहां मलेशिया से भी देख पाए हम तो।

फिर 5 अप्रैल को इन्हीं लोगों ने मोदी के कहने मात्र से हीं दीया जलाने की साज़िश रच दी जिससे बाकी बचे कूचे सब कुछ को जला के रख दे! और जला भी दिया, आप खुद हीं लेटेस्ट नासा की सेटेलाइट द्वारा ली गयी धुआं रिपोर्ट में यह क्लियरली देख पाएंगे। फिर हमें बताइयेगा कि हम सही कहे कि गलत!

वैसे जाते जाते यही कहूंगा कि जो भी हो, बस ये मोदी और अमित शाह की सरकार बस इतनी सी जिम्मेदारी रख ले कि इन छापाखाना चलाने वालों की खुद की कागज़ सलामत रहे, नहीं तो क्या ही दिखा पाएंगे!

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Ambuj Jha
Ambuj Jha
प्रमाणपत्र तो इलेक्ट्रॉनिक्स में एम् टेक की है, लेकिन विद्यार्थी समाज शास्त्र का हो गया हूँ. An M.Tech degree holder in Electronics, but ended up being student of Social Study.
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular