Saturday, April 27, 2024
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कनाडा का बवाल- जस्टिन ट्रूडो!

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.


जी हाँ मित्रों जिस प्रकार हमारे देश में कट्टर ईमानदार (अर्थात सिर से लेकर पाव तक महाबेईमान) लोगों की अगुवाई श्री बवाल जी करते हैँ, ठीक उसी प्रकार कनाडा के बवाल श्रीमान जस्टिन ट्रूडो भी करते हैँ।

आइये कनाडा के इस बवाल के पृष्ठभूमि में थोड़ा झाँक लेते हैँ:-

जोसेफ फ़िलिप पियरे येव्स एलियट ट्रूडो नामक एक नेता हुआ करते थे जिन्हें लोग सामान्यत: पियरे ट्रूडो या पियरे एलियट ट्रूडो कहते थे। ये महाशय अप्रैल २०, १९६८ से ४ जून १९७९ तक और फिर ३ मार्च १९८० से ३० जून १९८४ तक कनाडा के १५वें प्रधानमंत्री के रूप में देश का कार्यभार सम्हाला था।
खालिस्तानियों से प्रेम पूर्ण रिश्ते की शुरुआत इन्होंने ने हि किया था।

मित्रों अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए इन्होंने “खालिस्तानी तुष्टिकरण” की नीति अपनाई और अपने देश को खालिस्तानी आतंकियों का सैरगाह बना दिया।

एक मार्गरेट जॉन सिनक्लेयर नामक महिला थी जिनका जन्म सितम्बर १०, १९४८ को कनाडा के वैंकुअर, ब्रिटिश कोलंबिया में हुआ था। इन्हीं से पियरे ट्रूड़ो ने विवाह किया था। और इस प्रकार पियरे ट्रूड़ो और मार्गरेट जॉन सिनक्लेयर ट्रूड़ो के अधिमिलन से ” कनाडा का बवाल अर्थात “जस्टिन ट्रूड़ो” का जन्म हुआ।

कनाडा के बवाल अर्थात जस्टिन ट्रूड़ो के पिता पियरे ट्रूड़ो का खालिस्तान प्रेम:-
मित्रों पियरे ट्रूड़ो को खालिस्तानी कितने प्रिय थे, इसे इस भयानक घटना से समझ सकते हैँ।वर्ष १९८२ में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो से अनुरोध किया था कि खूंखार खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर सिंह परमार का प्रत्यर्पण(डिपोर्ट) किया जाए, अर्थात उसे भारत के हवाले कर दिया जाए क्योंकि तलविंदर भारत में एक मोस्ट वांटेड कहलिस्तानी आतंकवादी था।

पियरे ट्रूड़ो ने अपने खालिस्तानी प्रेम के कारण इसे नकारते हुए तर्क दिया कि राष्ट्रमंडल देशों(Commonwealth Countries) के बीच प्रत्यर्पण के प्रोटोकॉल लागू नहीं होते अत: उस खूंखार और भयावह आतंकी को भारत के हवाले नहीं किया जायेगा। मित्रों पियरे ट्रूड़ो को यह निर्णय अत्यंत भारी पड़ा।

टेरी मिल्वस्की (जो कनाडा के वरिष्ठ पत्रकार और खालिस्तानी आंदोलन पर लंबे समय तक रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार के रूप में जाने जाते हैँ) ने अपनी किताब ‘ब्लड: फिफ्टी इयर्स ऑफ द ग्लोबल खालिस्तान प्रोजेक्ट’ में एक भयानक घटना का जिक्र किया है, आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने लिखा है कि “भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को ठुकराने से कनाडा को कुछ हासिल नहीं हुआ, बल्कि नुकसान ही हुआ। उन्होंने जिस आतंकवादी तलविंदर सिंह के प्रत्यर्पण से इनकार किया था, उसी ने १९८५ में एयर इंडिया के कनिष्क विमान को टाइम बम से उड़ा दिया था। इसमें सवार सभी ३२९ लोगों की मौत हो गई थी। इनमें ज़्यादातर कनाडाई नागरिक शामिल थे.”

पियरे ट्रूड़ो ने वर्ष १९८४ में राजनीति से सन्यास ले लिया और उनके बाद जॉन टर्नर कनाडा के प्रधानमंत्री बने। पियरे ट्रूडो ने सन्यास लेने से पूर्व कनाडा को खालिस्तानी आतंकवादियों तथा भारत विरोधी गतिविधियों का प्रमुख अड्डा बना दिया।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष २००२ में टोरंटो से प्रकाशित होने वाली एक पंजाबी साप्ताहिक पत्रिका ‘सांझ सवेरा’ ने स्व श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या वाले दिन उनके शव की एक तस्वीर छापी, इस पर लिखा था – ‘पापी को मारने वाले शहीदों का सम्मान करें’ कनाडा सरकार ने इस भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के बजाय सांझ सवेरा को सरकारी विज्ञापन देकर आर्थिक सहायता पहुंचाती रही. अब “सांझ सवेरा” कनाडा का एक प्रमुख दैनिक अखबार है और भारत विरोधी प्रॉपगेंडा फैलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

अब बाप भारत विरोधी खालिस्तानी आतंकवादियों का सच्चा मित्र था तो बेटा कैसे पीछे रहता। विरासत में मिली राजनीति और भारत के प्रति द्वेष को लेकर कनाडा का बवाल अर्थात जस्तीन ट्रूड़ो कनाडा का २३ वा प्रधानमंत्री बना, कैसे आइये देखते हैँ:-

जस्टिन ट्रूडो का जन्म ओटावा नागरिक अस्पताल, ओटावा, ओंटारियो में पिता पियर ट्रूडो और माँ मार्गरेट ट्रूडो (née सिनक्लेयर) के यहाँ हुआ था। ट्रूडो के माता-पिता वर्ष १९७७ में अलग हो गये ।

ट्रूडो ने किशोरावस्था से ही अपने पिता की पार्टी लिबरल पार्टी का समर्थन किया। वर्ष १९८८ के संघीय चुनावों में लिबरल दल के उम्मीदवार जॉन टर्नर के लिये प्रचार किया। अपने पिता की मृत्यु के बाद ट्रूडो लिबरल पार्टी की गतिविधियों में और ज्यादा शामिल होने लगे। उन्हें वर्ष २००६ के संघीय चुनावों में लिबरल पार्टी की हार के बाद दल से युवाओं को जोडने के लिये बने एक कार्य दल का अध्यक्ष बनाया गया।

धीरे धीरे अपने पिता के प्रभाव का उपयोग करते हुए जस्टिन ट्रूड़ो लिबरल पार्टी के केंद्र में पहुंच गये और उसके प्रमुख नेता के रूप में उभरे। वर्ष २०१५ के चुनाव में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को १५८ सीटें मिली थीं, जो की पूर्ण बहुमत से १२ कम थी, क्योंकि ३३८ सीटों वाली संसद में पूर्ण बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम १७० सीटों की जरूरत पड़ती है।

ऐसे में उनका समर्थन किया एनडीपी पार्टी ने जिसके २४ सांसद जीतकर आए थे। इस एनडीपी का मुखिया जगमीत सिंह है। यह जगमित सिंह कोई भारत का हित चाहने वाला नहीं है, बल्कि कनाडा में खालिस्तान का एक सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर बना हुआ है। इसक पुरानी गतिविधियां तो इस बात की तस्दीक करती ही है इसका एंटी इंडिया एजेंडा हर बार सर्वोपरि रहा है, हाल ही में इसने जिस तरह से पीएम मोदी और भारत के विरुद्ध विश वमन किया है, वो बताने के लिए काफी है कि कनाडा में खालिस्तानी इतने आश्वस्त होकर कैसे घूम रहे हैं।

अब कनाडा का यह बवाल अपनी सरकार को बचाने के लिए खालिस्तानियों के इशारों पर नाच रहा है। इसके कार्यकाल में कनाडा कहलिस्तानियों के गिरफ्त हैँ, खालिस्तानी आतंकी अपनी मर्जी से कनाडा को चला रहे हैँ।

कनाडा और भारत के रिश्ते:-
भारत और कनाडा के रिश्ते जितने खराब आज के दौर में वो अपने आप में एक गंभीर विषय है। कनाडा के बवाल ने कनाडा के संसद में जिस प्रकार खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह “निज्जर” की हत्या का बेबुनियादी आरोप भारत सरकार के मत्थे चढ़ाकर् एक सोचे समझे विवाद को जन्म दिया है, वो एक दूसरे राजनायिको को अपने अपने देशों से बाहर निकलने के साथ साथ भारत सरकार द्वारा कनाडा के नागरिकों के लिए भारत का वीजा सस्पेंड करने तक आ पहुंचा है। इस समय भारत और कनाडा के बीच में रिश्ते अत्यंत कसैले हो गए हैं, अविश्वास की एक गहरी खाई पैदा हो चुकी है। इस खाई को पैदा करने में कनाडा के बवाल( प्रधानमंत्री) जस्टिन ट्रूडो की एक अहम भूमिका मानी जा रही है।

ट्रूड़ो की साजिश:-
मित्रों कनाडा के इस बवाल ने ब्रिटेन और अमेरिका को भी अपने इस षड्यंत्र में शामिल करने का प्रयास किया था और अनुरोध करते हुए कहा था की ब्रिटेन और आमेरिका भी इस विषय पर भारत की आलोचना करें, परन्तु ब्रिटेन और आमेरिका ने इस ट्रूड़ो को झिड़क कर भगा दिया और फिर इन्होंने अकेले हि मोर्चा सम्हाला।

मित्रों आपको बताते चलें कि दिनांक १८ जून २०२३ को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के एक पार्किंग इलाके में एक गुरुद्वारे के बाहर खूंखार आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को गोली मार दी गई थी। हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि खालिस्तान का मुद्दा दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बना है. इससे पहले भी कनाडा ने कई बार खालिस्तानियों का बचाव किया है और इसके दो उदाहरण उपर प्रस्तुत किये जा चुके हैँ।

इस कनाडा के बवाल के कार्यकाल में खालिस्तानियों के हौसले कितने बुलंद हैँ आप जगमित सिंह के इस ट्वीट से हि अंदाजा लगा सकते हैँ। हाल ही में एक्स (ट्विटर) पर जगमीत सिंह ने लिखा था- “हमे इन आरोपों की जानकारी मिली है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत के एजेंट्स् ने की है। ये नहीं भूलना चाहिए कि वो यहां की धरती पर मारा गया एक कनाडाई नागरिक था। मैं आप सभी से वादा करता हूं कि नरेंद्र मोदी को इस मामले में जवाबदेह ठहराउंगा और न्याय दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।”

आतंकवादी संगठन:-
भारतीय अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि आतंकवादी समूहों का समर्थन करने वाले कम से कम नौ अलगाववादी संगठनों ने अपने ठिकाने कनाडा में बना रखे हैँ। उनके मुताबिक, विश्व सिख संगठन (WSO), खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF), सिख फॉर जस्टिस (SFJ) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे खालिस्तान समर्थक खूंखार आतंकी संगठन पाकिस्तान के इशारे पर कथित तौर पर कनाडा की धरती से स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।

क्या आप भूल सकत्ते हैँ कि वर्ष २०२२ में ब्रैम्पटन में खालिस्तान समर्थक खूंखार आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस'(SFJ) ने खालिस्तान के मुद्दे पर एक तथाकथित जनमत संग्रह किया था. इसमें दावा किया गया था कि खालिस्तान के समर्थन में १ लाख से भी ज़्यादा लोग इकट्ठे हुए थे। क्या कोई देश अपनी धरती का उपयोग किसी अन्य देश के विरुद्ध आतंकी कार्यवाही करने वाले संगठनों द्वारा करने की इतनी आजादी दे सकता है, नहीं ना।

भारत के दूतावास पर हमला करके भारतीय झंडे को अपमानित करने की छुट दे सकता है, नहीं ना।इन घटनाओं के बाद भारत सरकार ने कनाडा से आग्रह किया था कि वे भारत विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाएं, साथ ही उन सभी लोगों को आतंकवादी घोषित किया जाए, जिन्हें भारतीय एजेंसियों ने आतंकवादी घोषित किया है, परन्तु कनाडा का बवाल तो इन आतंकियों को कनाडा का इज्जतदार नागरिक बताने में लगा हुआ है।

कनाडा के बवाल की दशा:-
जस्टिन ट्रूड़ो का तो सम्मान पहले भी नहीं था। आप याद करिये ये वर्ष २०१८ में भारत के दौरे पर आये था, भारत में चार से पांच दिनों तक रहे पर भारत के प्रधानमंत्री ने इससे मुलाक़ात नहीं की। यंहा तक की ये जब ताजमहल देखने गये तब भी उत्तर प्रदेश सरकार का कोई मंत्री इससे मिलने नहीं गया और ये अपना सा मुंह लेकर कनाडा वापस चला गये।

अब तो भारत से खुलकर पंगा लेने के पश्चात कनाडा में इस समय जस्टिन ट्रूडो खुद बुरी तरह घिरे हुए हैं। विदेशी नीति हो या हो कोई दूसरा डिपार्टमेंट, हर तरफ ट्रूडो की आलोचना हो रही है। जी20 समिट जो भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है, जिसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की असल ताकत को समझा दिया है, वहां भी जस्टिन ट्रूडो की नीयत ने उन्हें सवालों के घेरे में ला दिया। अपने देश में उनकी खुद की ही मीडिया ने ही उनका इस्तीफा मांगना तक शुरू कर दिया। अब इस समय वहीं जस्टिन ट्रूडो भारत के सबसे बड़े दुश्मन खालिस्तान गतिविधियों के पहरेदार के रूप में देखे जा रहे हैं।

कनाडा के इस बवाल ने खालिस्तानियो को खुली आजादी दे रखी है, भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की उनके खिलाफ ना कोई एक्शन हो रहा है, न उनके लिए कोई चेतावनी जारी की जा रही है, बस बोलने और प्रदर्शन करने की आजादी के नाम पर हिंदुस्तान के खिलाफ साजिश रचने वाली एक नई पिच तैयार की जा रही है।

मित्रों इसी का परिणाम है की सिक्ख फॉर जस्टिस (SFJ ) का मुखिया “पन्नू” वीडियो जारी कर खुलेआम कनाडा के हिन्दुओं को कनाडा छोड़ देने की धमकियां दे रहा है और कनाडा का केजरीवाल तमाशा देख रहा है।

मित्रों २७-२८ सितंबर को कनाडा में खालिस्तानियो द्वारा बड़े पैमाने पर दंगा फसाद करने और हिन्दुओ के कत्लेआम करने की सजिश रची गयी है। यदि कनाडा के हिन्दु सावधान नहीं रहे और अपनी सुरक्षा का माकुल इंतजाम नहीं किये तो बड़े पैमाने पर हिन्दु जिनोसाइड देखने को मिलेगा कनाडा की धरती पर। यह कनाडा का बवाल किसी भी हद तक गिर कर खूंखार खालिस्तानियों का साथ दे सकता है।

भारत सरकार को सावधान रहने की आवश्यकता है। वैसे आपको बताते चले कि एक और खालिस्तानी आतंकी और गैंगस्टर सुखविंदर सिंह उर्फ सुक्खा दुनुके (Khalistani terrorist Sukhdool Singh) को उसके अंजाम अर्थात मौत तक पहुंचा दिया गया है। उसकी हत्या कनाडा के विनिपेग सिटी में गोली मारकर कर की गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुक्खा A कैटगरी का आतंकी था और वो पंजाब से वर्ष २०१७ में जाली पासपोर्ट तैयार करवाकर कनाडा भाग गया था. सुक्खा की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है!इंडिया टु़डे से जुड़े अरविंद ओझा और कमलजीत संधू की रिपोर्ट के मुताबिक सुक्खा खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला का राइट हैंड माना जाता था! वो NIA की वॉटेंड लिस्ट में शामिल था! सुक्खा कनाडा में बैठकर भारत में अपने गुर्गों के जरिए रंगदारी या उगाही का काम भी करता था! यह उन ४१ आतंकियों व गैंगस्टरों की सूची में शामिल था, जिसे NIA ने भी जारी किया था!

याद रखिये जिस प्रकार यह कनाडा का बवाल खालिस्तानी आतंकियों को प्रश्रय और और सुरक्षा दे रहा है, शीघ्र हि “कनाडा बनेगा खालिस्तान” के नारे आपको सुनाई देने लगेंगे और कनाडा वासियो को ब्रिटेन या अमेरिका में शरण लेना पड़ेगा। कनाडा को ये खालिस्तानी बर्बाद कर देंगे।

लेखक:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
[email protected]

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