Wednesday, October 4, 2023

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Poor Muslim representation in Indian politics

Since the past some years a question crops up in the social media off and on, about the poor representation of Indian Muslims in the country’s politics. Raising such a issue after seven decades of independence is grossly baseless.

Trudeau’s Hobson’s choice – Canada India relations

If Canada or any other country would choose to do business with India in its old-fashioned ways, there will certainly be a “global response to global terror”. Canadian Prime Minister Trudeau has a Hobson’s choice on his hand.

When Dr Shashi Tharoor lies in lucid English

Dr Tharoor made a narrative that was full of blatant lies and unsubstantiated bla..bla..bla.

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ऑपइंडिया के लिए आपके लिखे लेख

सनातन धर्म के अध्यात्म से उत्पन्न “विज्ञान”

सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड में व्याप्त समस्त चराचर जगत का एक मात्र धर्म सनातन और उसके पवित्र पुस्तकों अर्थात, वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता और मनुस्मृति इत्यादि द्वारा व्यक्त अध्यात्म की अनंत शक्ति ने समस्त ब्रह्माण्ड को अपने आकर्षण में बाँध रखा है।

हमारा चाँद और हमारा चंद्रयान भाग-२!: प्रकाश राज और न्यूयार्क टाइम्स का मुंह काला

मित्रों इस लेख से जुड़े व्यंग अर्थात कार्टून को देखिये। मित्रों जब वर्ष २०१४ में भारत से दुर्भाग्य के मनहूस साये को पराजित कर "मोदी"...

ज्ञानवापी, इस्लाम हि नहीं, अब्राहम से भी प्राचीन है

जब इस धरा पर ना तो अब्राहम थे, ना यहूदी थे, ना ईसाई थे और ना इस्लाम था और यही नहीं जब ना तो रोमन सभ्यता थी, ना तो बेबिलोनिया की सभ्यता थी, ना तो मिश्र की सभ्यता थी, ना मेसोपोटामिया अस्तित्व में थी और ना माया और यूनानी सभ्यता थी, तब भी हमारे भोले बाबा की काशी थी जिसे आज आप बनारस या वाराणसी के नाम से जानते हैँ।

हमारा चांद हमारा चंद्रयान

असफलताओं को पीछे छोड़, उनसे सबक सीखते और सफलताओ का विश्वकीर्तिमान गढ़ते हुए हम भारतवासी सम्पूर्ण विश्व में सर्वप्रथम दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले मानव प्रजाती बन गये। यह संकल्प से सिद्धी तक की यात्रा का सर्वोत्तम उदाहरण है।

भारत को आजाद कराने में कवि, लेखक और साहित्य आदि का योगदान

साहित्य समाज का दर्पण होता है। जैसा समाज होता है, वैसा ही साहित्य दिखाई देता है।

सनातन विमर्श के महानायक– गोस्वामी तुलसीदास

तुलसी चाहते तो वेद, पूरण, उपनिषद, गीता या महाभारत को लोकवाणी या जनवाणी में लिख सकते थे, क्या कठिन था उनके लिए किन्तु उन्होंने रामकथा को चुना क्योंकि रामकथा, मर्यादा पुरुषोत्तम की कथा है, रामकथा राष्ट्रनिर्माण की कथा है, रामकथा असुरों के सर्वांग उन्मूलन की कथा है और तुलसी के समकालीन समाज को उन मूल्यों की आवश्यकता थी जो पद दलित हो चुके हिन्दू समाज को मर्यादा में बांधकर उसकी शक्ति को पुनः सहेजने में सहायक सिद्ध हों।

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