दोस्तों ४ अक्टूबर १९९२ को उत्तर प्रदेश में श्री मुलायम सिंह यादव जी द्वारा एक नई क्षेत्रिय पार्टी का गठन किया गया और जोर शोर से जनता में ये संदेश फैलाया गया कि डा राम मनोहर लोहिया जी के उच्च आदर्शो और समाजवादी विचारो को आधार बनाकर समाजवादी पार्टी का गठन किया गया है। समाजवादी पार्टी डा लोहिया जी के उच्च आदर्शो पर चलकर जनता कि सेवा करेगी।
मित्रों पहले जान लेते हैं कि समाजवाद क्या है?
साधारण शब्दों के माध्यम से हम ये कह सकते हैं कि समाजवाद एक ऐसी व्यवस्था जिसके अंतर्गत ना कोई अमीर होता है ना कोई गरीब होता है, सबको विकास करने के समान अवसर उपलब्ध होते हैं, क़ानून के समक्ष सभी एक बराबर होते हैं, ना ऊंच नीच होती है और ना हि भेद भाव होता है, त्याग, कर्म और समर्पण के आगे पीछे पूरा सामाजिक ताना बाना बूना जाता है, यदि संक्षेप में कहे तो समाजिक व्यवस्था में समाज के आखिरी पायदान पर बैठे हुए दरिद्र नारायण हो या सबसे अगली पंक्ति में बैठा धनाद्य हो सभी में समानता बनाए रखने कि प्रवृति हि समाजवाद कहलाती है।
समाजवादी सिद्धांत विशेष रूप से पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध कार्य करता है।
हमारे स्व डॉ॰ राममनोहर लोहिया जी (जिनका जन्म २३ मार्च १९१० को उत्तर प्रदेश के अयोध्या जनपद में जो कि वर्तमान- अम्बेडकर नगर जनपद, अकबरपुर नामक स्थान में हुआ था) इसी सामाजवादी व्यवस्था के समर्थक और प्रचारक थे। पटना में १७ मई १९३४ को आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता में देश के समाजवादी अंजुमन-ए-इस्लामिया हॉल में इकट्ठे हुए, जहां समाजवादी पार्टी की स्थापना का निर्णय लिया गया। यहां लोहिया ने समाजवादी आंदोलन की रूपरेखा प्रस्तुत की थी।
२१-२२ अक्टूबर १९३४ को बम्बई के वर्लि स्थित ‘रेडिमनी टेरेस’ में १५० समाजवादियों ने इकट्ठा होकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की।डा लोहिया जी राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य चुने गए। कांग्रेस सोशलिस्ट सप्ताहिक मुखपत्र के सम्पादक भी बनाए गए।
परन्तु यंहा हम उनके जीवन वृत्त पर चर्चा ना करके उनके नाम से और उनके विचारो को आत्मसात करके बाबू मुलायम सिंह यादव जी ने सामाजवादी पार्टी कि स्थापना कि थी जो वर्तमान में उनके सपूत श्री अखिलेश यादव जी के हाथो में है, उस पर चर्चा करेंगे।
अब ज़रा देखते हैं कि मुलायम सिंह यादव और उनके सपूत श्री अखिलेश यादव जी ने किस प्रकार डा राममनोहर लोहिया जी के सामाजवाद का चिरहरण करते हुए किस प्रकार समाजवाद को परिवारवाद में बदलकर उसे पूर्णतया परिवारवादी सामाजवाद बना दिया।
मित्रों समाजवादी व्यवस्था में सम्पूर्ण जनमानस को विकास करने का एकसमान अवसर प्रदान किया जाता है वो भी बगैर किसी भेदभाव के, बस इसी विचार को ध्यान में रखकर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने अपने परिवार को हि राज्य मानकर और परिवार के सदस्यों को जनता जनार्दन मानकर विकास का कितना समान अवसर प्रदान किया उसे नीचे लिखी गई सूची के आधार पर स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है, तनिक ध्यान से पढ़िए:-
१ – मुलायम सिंह यादव -( वर्तमान सांसद और तीन बार मुख्यमंत्री)। २ – अखिलेश यादव (पुत्र मुलायम सिंह यादव) – पूर्व मुख्य्मंत्री और वर्तमान सांसद। ३ – रामगोपाल यादव (भाई मुलायम सिंह यादव) – सांसद।४- डिम्पल यादव (पुत्र बधु मुलायम, पत्नी अखिलेश ) – सांसद। ५ – धर्मेंद्र यादव (भतीजे) – सांसद। ६ -अक्षय यादव (भतीजे ) – सांसद। ७ -तेजप्रताप यादव (पोते) – सांसद। ८ -शिवपाल सिंह यादव (भाई) – विधायक(पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार)।९ -अंशुल यादव(भतीजे) – जिलापंचायत अध्यक्ष इटावा। १० -शंध्या यादव (भतीजी) – जिलापंचायत अध्यक्ष मैनपुरी। ११ -मृदुला यादव (भतीजे की पत्नी)- ब्लॉक प्रमुख सैफई। १२ -अजंट सिंह यादव(बहनोई) – ब्लॉक प्रमुख। १३ -प्रेमलता यादव (भाई की पत्नी) – जिलापंचायत सदस्य। १४ -सरला यादव (भाई की पत्नी) – निदेशक जिला सहकारी बेंक इटावा। १५ -आदित्य यादव (भतीजे) – PCF के चेयरमैन।१६ -अनुराग यादव (भतीजे ) – राष्ट्रीय सचिव समाजबादी युवजन सभा।
१७-अरबिंद यादव (भांजे ) – एमएलसी। १८ -बिल्लू यादव (भांजे) – ब्लॉक प्रमुख करहल। १९ -मिनाक्षी यादव (भांजे की पत्नी – जिलापंचायत सदस्य मैनपुरी)।२० -बंदना यादव (रिस्तेदार) – जिलापंचायत अध्यक्ष हमीरपुर और अब पुत्रबधू अर्पणा यादव – प्रत्यासी विधानसभा क्षेत्र लखनऊ केंट
वाह रे समाजबाद…….
जब मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के परिवार में समाजवाद पूरा हुआ तो वो लेकर चलें आए अपनी जातीगत व्यवस्था में उनके सरकारी कार्यकाल में यूपीपीसीएस से चुने गए ८६ एसडीएम में ५४ यादव परिवार से थे यही नहीं श्री अखिलेश यादव जी के ३ वर्ष के कार्यकाल के दौरान उत्तरप्रदेश में १:- ७५ BSA में ६२ यादव समाज से; २:- ६७% थानाध्यक्ष यादव समाज से; ३:- जो यादव BDO है उनको ३ से ४ ब्लाक का आवंटन; ४:- भर्ती परीक्षाओं में चयनित उम्मीदवारों में से ६९ %यादव समाज से; ५:- सड़क पानी बिजली का केवल शिलापट्ट पर नाम व कमीशन; ६:- UPSC का अध्यक्ष श्री अनिल यादव जी; ७:- उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का अध्यक्ष श्री रामवीर यादव जी; ८:- अधीनस्थ सेवा आयोग का अध्यक्ष श्री राज किशोर यादव जी; ९:-माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड का अध्यक्ष श्री रामपाल यादव जी।
और सुनिए यंही नहीं रुका समाजवाद बल्कि और आगे बढ़ा तथा सरकार द्वारा दिए जाने वाले “यश भारती” सम्मान में भी समाजवाद का डंडा चला और उनके सरकार द्वारा दिया जाने वाला पुरस्कार वर्ष २०१५-१६ में निम्नलिखित व्यक्तियों के हिस्से में आया….
१:- हिरा लाल यादव(लोकगायक); २:-. श्री बंश गोपाल यादव; ३:- श्री धर्मेंद्र यादव; ४:- श्री लाल बचन यादव; ५:- श्री योगेंद्र यादव; ६:- श्री विजय पाल यादव; ७:- श्री राजेश यादव; ७:-श्री भगत सिंह यादव; ८:- श्री अभिषेक यादव; ९:-श्री हामिद उल्लाह;१०:-श्री दर्शन सिंह यादव; ११:-श्री विष्णु यादव; १२:-डा सी एस यादव; १३:-श्री अवनीश यादव; १४:- पूनम यादव और १५:- श्री खुशवीर यादव।
अब भईया परिवार और सरकार में समाजवाद तो आपने देख लिया अब ज़रा पार्टी में भी समाजवाद देख लीजिये:-
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी के ३ वर्ष के कार्यकाल के दौरान उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के ७५ जिलाध्यक्षो में से६३ यादव समाज से थे।
इसके पश्चात् भी यदि समाजवाद का कुछ स्वरूप बचा रहा तो उसे ” मुस्लिम तुष्टिकरण ” कि निति के अंतर्गत उन्हीं लोगों को दिया गया कभी हज हाउस के नाम पर, कभी कब्रिस्तान के नाम पर, कभी मदरसो के नाम पर तो कभी मौलाना बंधुओ को मासिक तनख्वाह के नाम पर और तो और राम भक्तो पर गोलिया चलवाकर। इसके अतिरिक्त और कोई स्थान इस उत्तर प्रदेश में ना तो मुलायम सिंह यादव को मिला और ना हि अखिलेश यादव को मिला।
तो इस प्रकार मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का समाजवाद लगातार २०१७ तक बुलंदियों पर रहा और फिर उत्तर प्रदेश कि जनता ने इस समाजवाद को पहचान लिया तो ये परिवारवादी, जातिवादी और मुस्लिम तुष्टिकरण वादी समाजवाद पिछले पाँच वर्षो से सत्ता से बाहर है और उसका चिरहरण नहीं कर पा रहा, अब उत्तर प्रदेश कि जनता सचेत हो चुकी है और मुलायम व् अखिलेश के समाजवाद और स्व डा राम मनोहर लोहिया के समाजवाद में व्याप्त अंतर और विचारधारा कि पवित्रता को समझ चुकी है, इसलिए अबकी बार भी उत्तर प्रदेश में भाजपा कि हि सरकार बनेगी जो असली सामाजवाद का नारा बुलंद करती है और उसके अनुसार कैरी करती है (सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास)
धन्यवाद
नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)