अब ज़रा देखते हैं कि मुलायम सिंह यादव और उनके सपूत श्री अखिलेश यादव जी ने किस प्रकार डा राममनोहर लोहिया जी के सामाजवाद का चिरहरण करते हुए किस प्रकार समाजवाद को परिवारवाद में बदलकर उसे पूर्णतया परिवारवादी सामाजवाद बना दिया।
ऐसा नहीं हैं की मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कुछ काम नहीं किया हैं, लेकिन शायद वह भी जानते हैं की उनके किये वो कुछ काम उन्हें प्रदेश में दोबारा जीत दिलाने के लिए काफी नहीं हैं। वह भी तब जब सीधा मुक़ाबला भाजपा से हो।