Tuesday, April 30, 2024

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वानप्रस्थ संकुल समय की मांग हैं: इसे अन्यथा न लें

बड़े नगरों के उच्च वर्गीय और विकसित क्षेत्रों के बड़े-बड़े घरों में बुजुर्ग दम्पति या दोनों में से शेष रहा कोई एक, अकेले रह रहा है। बच्चे शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी जैसे कारणों से दूसरे नगरों या देशों में रह रहे हैं। इनका जीवन अलग प्रकार के भय से ग्रस्त है।

भारत में ब्राह्मण होना (अच्छा या बुरा)

शायद आज के भारत में ब्राह्मण होना 1930 के जर्मनी में यहूदी होने जैसा है। यहूदी जर्मनी की आबादी का एक बहुत छोटा हिस्सा थे, फिर भी जर्मनी की लगभग सभी समस्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था।

राम ही दर्शन हैं

अयोध्या में मंदिर निर्माण के पक्ष में आये सुप्रीम फैसले ने पश्चिमी शिक्षा से अलंकृत भारतीय लोगों की कलई खोल दी है।

संस्कृति के अस्तित्व का संघर्ष और सनातन की तैयारी

दीपावली से रक्षा बंधन तक सनातन संस्कृति के समस्त पर्व निशाने पर हैं।सनातन संकृति आज अपनी उद्भव भूमि पर ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।

फूहड़ वेबसिरीज़

मैं असहाय सा देखता हूँ कि युगों युगों की शाश्वत संस्कृति पर सड़कछाप नौटंकीबाज हमला करते हैं. बड़ी ही सहजता से किसी जानवर का नाम किसी देवता के नाम से जोड़ दिया जाता है.

गला काटना दयालुता कैसे? कमेंट करने पर PETA ने इंस्टाग्राम पर किया ब्लॉक

दूध पीना क्रूरता और गला काटना दयालुता यह अपने आप में ही कई सवाल उठाता है। यह सवाल भी उठता है कि मर्सी किलिंग के नाम पर अमेरिका में हजारों जानवरों को मौत के घाट उतार देना किस तरह की दयालुता है।

जो भविष्य में तख्त़ और SOTY-3 को 100 करोड़ की opening दिलाएंगे, उनके लिए जल में रहकर मगरों से बैर पाल रही है...

आज के पूंजीवादी समाज में केवल सराहना कर देना मात्र उपाय नहीं है, वित्तीय तौर पर सहयोग अति आवश्यक है।अलग-अलग किस्म के विज्ञापन, प्रचार या समीक्षाओं से सम्मोहित न होकर अपने दिमाग एवं दिल का इस्तेमाल करते हुए किसी भी कला को पहचानना और उसके आधार पर ही उसे सराहना या आर्थिक सहयोग प्रदान करना ही हमारी शैली होनी चाहिए।

“जान भी, जहान भी”

अब देश का प्रत्येक व्यक्ति "जान भी, जहान भी", दोनों की चिंता करते हुए अपने दायित्व निभाएगा साथ ही साथ सरकार और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करेगा।

धर्म – कर्म

वह क्या है जिससे सद्कर्म की प्रेरणा मिलती है? कौन है जो जीवन को दिशा प्रदान करता है? किसे पढ़, सुन और देख मनुष्य अपने कर्म निर्धारित करता है?

राहुल गाँधी ने की interview में कॉमेडी

। राहुल गाँधीजी का यह इंटरव्यू काफी मनोरंजक था और उम्मीद है की आगे भी राहुल गाँधी हमें ऐसे ही चुटकुले सुनाते रहेंगे।

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