Friday, April 26, 2024
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“क्या मंदिर बनने से रोजगार मिल जाएगा?” आखिर इसका सच क्या?

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Sampat Saraswat
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Author #JindagiBookLaunch | Panelist @PrasarBharati | Speaker | Columnist @Kreatelymedia @dainikbhaskar | Mythologist | Illustrator | Mountaineer

रिसर्च कर लो तो पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर के रेवेन्यू में सबसे बड़ा हाथ वैष्णो देवी मंदिर का होता है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, वृंदावन, बनारस, तिरुमला जैसे जगह के रोजगार का मुख्य केंद्र वहां स्थित देवालय ही हैं।

फूल-पत्ती, माला, प्रसाद को बेचकर जहाँ सैकड़ों अत्यंत गरीब लोग अपने परिवारों की जीविका चलाते हैं वही देश-विदेश के लाखों दर्शनार्थियों के आने से उस क्षेत्र के सभी हजारों छोटे-बड़े दुकानों की अच्छी बिक्री होती हैं, पर्यटन तथा होटल व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों की जीविका बढ़ती है और रोजगार का सृजन होता है। साथ ही सरकार का भी रेवेन्यु बढ़ता है।

मंदिर सिर्फ रोज़गार हीं नहीं देते अपितु आम लोगों की सेवा हेतु मंदिर ट्रस्ट विद्यालय, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय का भी निर्माण करवाते हैं, जिससे फायदा आम जनमानस को होता है।

आइए बताते हैं कि भारत के मंदिर करोड़ों लोगों को रोजगार कैसे देतें है…

  1. धार्मिक पुस्तक बेचनें वालों को और उन्हें छापने वालों को रोजगार देते हैं।
  2. माला बेचने वालों को घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
  3. फूल वालों को माला बनाने और किसानों को रोजगार देतें हैं।
  4. मूर्तियां-फोटुएं बनाने और बेचनें वालों को रोजगार देते हैं।
  5. मंदिर प्रसाद बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
  6. कांवड़ बनाने-बेचने वालों को भी रोजगार देतें हैं।
  7. रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देते हैं।
  8. लाखों गरीब पुजारियों को भी रोजगार देते हैं।
  9. रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।
  10. मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती हैं उन्हें भी रोजगार मिलता है।
  11. मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचने वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।
  12. मंदिरों के कारण दीया बनाने और कलश बनाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
  13. मंदिरों से उन 65000 खच्चर वालों को रोजगार मिलता है जो कि श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जाते हैं।
  14. भारत में दो लाख से अधिक जो भी होटल हैं और धर्मशालाएं हैं उनमें रहने वालों को मंदिर ही तो रोजगार देते हैं।
  15. तिलक बनाने वाले- नारियल और सिंदूर आदि बेचने वालों को भी ये मंदिर रोजगार देते हैं।
  16. गुड-चना बनाने वालों को भी मंदिर रोजगार देते हैं।
  17. मंदिरों के कारण लाखों अपंग और भिखारियों और अनाथ बच्चों को रोजी-रोटी मिलती है।
  18. मंदिरों के कारण लाखों वानरों की रक्षा होती है और सांपों की हत्या होने से बचती है।
  19. मंदिरों के कारण ही हिंदू धर्म में पीपल – बरगद – पिलखन- आदि वृक्षों की रक्षा होती है।
  20. मंदिर के कारण जो हजारों मेले हर वर्ष लगते हैं – इन मेलों में जो चरखा-झूला चलाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
  21. मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घूमते हैं और छोटे-छोटे चाय-पकौड़े-टिक्की बेचने वाले सभी गरीबों का जीवन यापन भी तो चलता है।

सनातन धर्म उन करोड़ों लोगों को रोजगार देता है जो गरीब हैं। इनमें केवल पंडित ही नहीं, हर धर्म, हर जाति के जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं और जिन के पास धन-जमीन और खेती नहीं है जो बेसहारा हैं जिनका कोई नहीं, उनके राम हैं… उनके श्याम हैं और उनके महादेव हैं…

बाकी सरकार के विरोध के लिए 1000 अन्य मुद्दे हैं, उन पर विरोध कीजिए, शायद लोगों से समर्थन भी मिलेगा। पर हर बात की आड़ में मंदिरों और इष्ट देवों पर कटाक्ष करना बंद करिए। आजकल कुछ प्रचलन सा है की वामपंथी विचारधारा तथा वामपंथी व्यवस्था को दवाब के साथ लागू करवाने की मंशा से कुछ लोग लगातार मंदिर व्यवस्था, गुरु परंपरा व्यवस्था तथा ब्राह्मण रीति रिवाज के ऊपर अनावश्यक टिप्पणी करने से नहीं कतरा रहे हैं। वामपंथियों द्वारा आए दिन मंदिर में दान पेटी के नाम पर, मंदिर में दर्शन के नाम पर, मंदिर में पूजा के नाम पर, अनावश्यक आरोप लगाकर हिंदू सनातन संस्कृति को खंडित करने तथा अविश्वास पैदा करने का असफल प्रयास किया जा रहा है।

अध्यात्मिक व्यवस्था तथा वैदिक ब्राह्मण के रीति-रिवाजों तथा परंपराओं पर बेवजह चोट करना अभी वामपंथियों का मुख्य मसौदा बनकर रह गया है। हिंदू सनातन संस्कृति को किसी भी तरह से कमजोर दर्शाकर कभी शिवलिंग पर दूध चढ़ाने, दीपावली पर पटाखे फोड़ने, होली पर गुलाल और पानी उड़ाने जैसे मुद्दों को उठाकर आज की युवा पीढ़ी को घाटे नफे का अनुमान दिखाकर केवल और केवल हिंदू संस्कृति को खंडित करने का प्रयास है।

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