Wednesday, April 17, 2024
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कर्ज माफी की असली परिभाषा सीखे विपक्ष, तिल का ताड़ ना बनाए

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Sampat Saraswat
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Author #JindagiBookLaunch | Panelist @PrasarBharati | Speaker | Columnist @Kreatelymedia @dainikbhaskar | Mythologist | Illustrator | Mountaineer

सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने पिछले 5 सालों में देश के उद्योगपतियों का 10 लाख करोड़ रूपये का कर्ज माफ किया है। हालाँकि यह दावा भ्रामक है। जिन विलफुल डिफॉल्टर्स के कर्ज को बट्टे खाते (Write off)) में डाला गया है, वह कर्ज माफी नहीं है।

दरअसल राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के पिछले पांच वर्षों में बट्टे खाते में डाली जाने वाली राशि की जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड ने बताया कि पिछले 5 वित्त वर्ष (2017-18 से 2021-22) में 9,91,640 करोड़ रुपये का बैंक बट्टे खाते में डाला गया है। इस लिस्ट में सबसे पहले फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बैंकों का 7,110 करोड़ रुपये बकाया है। यहाँ गौर करने वाली बात है कि मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल पूछते हुए ‘कर्ज माफी’ शब्द का जिक्र नहीं किया है।

बैंक के लोन को बट्टे खाते में डालने का मतलब कर्जमाफी नहीं होता है। ऐसे कर्जदार जो सक्षम होने के बावजूद जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे हैं तो बैंक चार साल पुराने फंसे हुए कर्ज को बैलेंस सीट से हटा देते हैं। बैंक इस कर्ज को राइट ऑफ कर देते हैं यानी बट्टे खाते में डाल देते हैं ताकि बहीखाते में इस कर्ज का उल्लेख न हो और बहीखाता साफ-सुथरा रहे और उसी हिसाब से प्रभावी तरीके से टैक्स देनदारी हो लेकिन यह कर्जमाफी नहीं है। इसके बाद भारत सरकार कर्जदारों से कानूनी प्रक्रिया के तहत वसूली करती है। मल्लिकार्जुन खरगे के सवाल के जवाब में भी बताया गया है कि बट्टे खाते में डाले गए उधारकर्ताओं से वसूली की प्रक्रिया चलती रहती है। बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ता को लाभ नहीं होता है।

आरबीआई ने फरवरी, 2016 में एक स्पष्टीकरण जारी किया था, उस समय रघुराम राजन आरबीआई प्रमुख थे। इसमें लोन राईट ऑफ करने और माफ करने के बीच के अंतर को स्पष्ट किया था।

राइट ऑफ या बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब कर्ज की वसूली को बंद करना नहीं होता है। इसकी पुष्टि के लिए हमने यह चेक किया कि बैंकों ने अब तक इन भगोड़े कारोबारियों की संपत्ति से कितने कर्ज की वसूली की है। सर्च में हमें ऐसी कई न्यूज रिपोर्ट्स मिली, जिसमें बैंकों की तरफ से की गई वसूली का जिक्र है। बिजनस स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि बैंकों ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीवर मोदी और मेहुल चौकसी से 18,000 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है।

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