बधाई हो बिहार पुलिस! नमन आपके “पुरुषार्थ” को! महाराष्ट्र पुलिस की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए तहे दिल से धन्यवाद!
सेक्युलरिज्म, धार्मिक सौहार्द की कीमत तो हमेशा से हिंदुओं के शवों से चुकाई जाती रही है। इसमें कोई नई बात नही है। ये तो परम्परा रही है। पहले पालघर साघुओं की पुलिस की मैजिदगी में लीनचिंग और अब मुंगेर में दुर्गा बिसर्जन करने वालो का पुलिस के द्वारा किल्लिंग। अब समय आ गया है कि इस सूचि में “पुलिस के पुरुषार्थ” को भी ऑफिशियली जोड़ दिया जाय। जी हां, इस नए ट्रेंड के अनुसार अब “पुलिस के पुरुषार्थ” की कीमत भी अब हिंदुओं के शवों से चुकाई जा सकती है। ब्लैक लाइफ मैटर्स! मुस्लिम लाइफ मैटर्स! ये कितना फैंसी लगता है।
पर हिन्दू लाइफ का क्या है – इनका लाइफ कभी मैटर नही किया है। गांधी और बाबा अम्बेडकर के टाइम पे भी नही। सेक्युलरिज्म, धार्मिक सौहार्द और “पुलिस के पुरुषार्थ” की हिंदू लाइफ से सस्ती कीमत और क्या हो सकती है? हमारे अधिकतम हिन्दू भाइयों को सराफत से घर पे चैन की बांसुरी भी तो बजानी है। और हर पॉसिबल मौके पे गंगा-जमुनी तहजीब की दुहाई भी देनी है। अब करोड़ो हिंदुओं के सराफत का कुछ तो प्राइस चुकाना होगा, है कि नही? देयर इज नो फ़्री लंच!
पालघर में तो साधुओं को ट्रेवल करते समय लिंच किया गया। पर मुंगेर में तो तुम्हारे देवी के सामने ही। हिंदुओं तुम्हारे शराफत की दाद देने के लिए शब्द कहा से लाऊँ। सच में तुम्हारे टोलरेंस को नापने के लिए इंजिनीरिंग की स्ट्रेंथ ऑफ मैटेरियल किताब का ज्ञान भी काम पड़ जाता है!
पहले तो केवल पीसफुल क्रिमिनल तुम्हे मारते थे पर अब तो सरकारी तन्त्र भी मार रहा है। और सरकारी तंत्र तो १०० प्रतिशत सेक्युलर और हलाल है। अहो भाग्य तुम्हारे। ‘गंगा-जमुनी तहजीब’, सेक्युलरिज्म, ‘धार्मिक सौहार्द’ जैसे शब्दों का अविष्कार का क्या कहना – ये सब तुम्हारे लिए ही तो है। तुम्हारी सारी अक्षमता कितनी आसानी से छुप जाती है इनके आड़ में। है ना फैंटास्टिक अविष्कार। इसके अलावा ‘ईश्वर -अल्ला तेरो नाम’ जैसी ट्विस्टेड मीनिंग वाले मंत्र भी रट सकते हो।
तुम्हारी पर्जिंग तुम्हे मुबारक हिंदुओं!