अयोध्या में राम मंदिर बनने का मामला कई वर्षों से अदालतों में लटका हुआ है। देश में हमेशा गरमा-गरम बहस का मुद्दा है। इस नाम पर कई दंगे भी हो चुके हैं, बहुत बड़ी संपत्ति का नुकसान हो चुका है एवं भारत माता ने न जाने कितने बेटे-बेटियों का लहू देखा है।
अदालत जब भी निर्णय लेगी तो किसी एक ही पक्ष में देगी। हमारे राजनेताओ, राजनैतिक पार्टियों एवं धार्मिक नेताओं ने जो वर्षों से अपनी राजनीतिक रोटियां पकाते आए हैं, क्या वे उस अदालती निर्णय को शांतिपूर्वक जमीन पर होने देंगे? क्या देश में शांति का माहौल बना रहने देंगे? क्या कानून एवं व्यवस्था बने रहने देंगे? क्या सामाजिक ताने-बाने को नहीं छेड़ेंगे? हमारा इतिहास बताता है की लोगो ने अदालती निर्णय के खिलाफ भी हिंसा फेलाई है।
इतिहासकार बताते हैं कि बाबर ने प्राचीन मंदिर को तोड़कर साथ में मस्जिद बनवाई। इस मस्जिद में बरसों से कोई भी नमाज अदा नहीं हुई। क्या यह मस्जिद मक्का की तरह कोई विशेष महत्व रखती है या एक सामान्य मस्जिद है, जहां कई वर्षों से नमाज भी नहीं पढ़ी गई। इस्लाम के जानकार बताते हैं की जहा लंबे समय से नमाज़ नही पढ़ी गई हो वह मस्जिद नही हो सकती। अगर मक्का या वेटिकन सिटी जैसे किसी विशेष विश्वास की जगह पर उनके पूजा स्थल को तोड़कर किसी अन्य धर्म का पूजा स्थल बनाया होता तो क्या ऐसा संभव था? अगर एक बार ऐसा मान भी ले तो समाधान की क्या संभावनाए होगी?
a. मामला अदालत में पहुंचता अदालत विश्वास, भू-स्वामित्व, पुरातत्व या इतिहास के आधार पर निर्णय करती
b. क्या इस जगह का मालिक दूसरी जगह के बदले यह जगह दे सकता था?
c. क्या दोनों पक्ष बैठकर अन्य किसी भी समाधान पर आ सकते थे?
d. दूसरे पक्ष की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह जगह भेंट स्वरूप देकर पहला पक्ष बड़े सौहार्द की मिसाल कायम करता एवं दोनों पक्षों में बड़ा सौहार्द बढ़ता
e. इस जगह पर अस्पताल, विद्यालय या अन्य कोई सामाजिक उपयोग कि इमारत बना दी जाती
मेरी समझ से हर कोई निष्पक्ष, शांतिप्रिय एवं सामान्य समझ वाला व्यक्ति समाधान (d) सर्वोत्तम बताता।
हमारी गंगा-जमनि संस्कृति रही है, जहा दुनिया की सबसे ज़्यादा विविधता (कई धर्मो, जातियो, संप्रदायो, वेश-भूषा, भाषा, ख़ान-पान) वाले लोग सदियो से साथ रहते हैं। सभी ने आज़ादी की लड़ाई साथ लड़ी थी। अंग्रेज़ो ने हमे कमजोर करने के लिए धर्म, जाती एवं कई अन्य तरीके से बाँटा जिसको हमारे राजनेताओ ने बड़े अच्छे से आगे बड़ाया एवं आज एक बहुत बड़ी खाई खड़ी करदी हैं।
प्रबंध का एक सिद्धांत कहता है कि आप अपनी कमजोरी को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना ले। कैसे हम इस जगह को सामाजिक सौहद्र मे बहुत बड़े योगदान का प्रतीक बना सकते हैं? इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए मैं इस समस्या का समाधान कुछ ऐसे देखता हूं।
हमारे देश में बसने वाले सभी मुख्य धर्मों के, देश हित में सोचने वाले निष्पक्ष व्यक्तियों की एक टोली बनाकर एक संस्था (सर्वधर्म संस्था) बनानी चाहिए। अगर डॉक्टर अब्दुल कलाम आज जीवित होते तो मैं उनका नाम इस संस्था के मुखिया के तौर पर सुझाव करता। इस संस्था को इस भूमि के आसपास का बड़ा क्षेत्र अपने पास लेना चाहिए इस जगह का उपयोग कुछ ऐसे करना चाहिए।
इस क्षेत्र में एक दूसरे की तरफ देखते हुए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरिजाघर बनना चाहिए। साथ में इस संस्था का एक बड़ा आधुनिक सुविधाओं से युक्त कार्यालय होना चाहिए। मेरे विचार से यह संस्था सर्वसम्मति से निर्णय लेगी की राम मंदिर वर्तमान स्थान पर ही बनना चाहिए। यह दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र ऐसा उदाहरण होगा जहा मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरिजाघर एक ही प्रांगण मे हो। यह बहुत बड़ा पर्यटन स्थल एवं दुनिया का इस विषय पर शोध का सब से बड़ा केंद्र होगा। यह संस्था भी दुनिया की सबसे बड़ी एवं सर्वोत्तम संस्था होगी। इस संस्था में निम्न बिंदुओं पर कार्य शोध कार्य होना चाहिए।
a. देश में सामाजिक सौहार्द खराब होने के मुख्य क्या कारण हैं। इन कारणों को तुरंत, मध्यावधि एवं एवं दीर्घावधि में दूर करने के क्या उपाय होने चाहिए?
b. सौहार्द बिगड़ने की स्थिति में सबसे आसान तरीके से, सबसे जल्दी कैसे सामान्य किया जाए?
c. समाज में विधमान गलतफहमियों को दूर करने के क्या छोटे, बड़े कदम होने चाहिए? उनको पहचान कर उन पर कम करना, जिससे सभी देशवासी मिलकर राष्ट्र के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चल सके।
d. यह संस्था कुछ इस तरीके के कार्य भी हाथ में ले, सकारात्मक कार्यो को समाज तक पहुचा कर प्रेरित करे एवं बढ़ावा दे जैसे:
· हरियाणा के एक छोटे कस्बे में संघ परिवार कि एक यात्रा निकलती है एवं समापन पर उसी कस्बे के मुस्लिम भाई लोग खान-पान की व्यवस्था करते हैं।
· उत्तराखंड में बारिश के समय ईद की नमाज के लिए गुरुद्वारा खोल दिया जाता है
· केरल में एक पादरी अनजान मुस्लिम युवक को अपनी किडनी दान देता है। इस तरह की सकारात्मक घटनाएं समाज के पास पहुंचाना।
· एक वर्ग जुलूस निकाले तो उसे क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। दूसरे वर्गो को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। क्या दूसरा वर्ग रास्ते में, या अंत में उसका स्वागत कर सकता है, शुभकामनाएं दे सकता है, या शामिल हो सकता है? धार्मिक स्थलों, संस्थाओ एवं धार्मिक पुजारिओं को कौनसे सन्देश देने चाहिए और कौनसे नहीं
· कैसे एक दूसरे के त्यौहार मिलजुल कर भाईचारे सहित मना सकते हैं, बधाई दे सकते हैं, अन्य सभी धर्मों के लोग शामिल हो सकते हैं।
· इस संस्था का मुख्य लक्ष्य होगा की जितनी भी धर्म के नाम पर समाज में विघटन हुए हैं, उन सब से सहस्त्र गुना जोड़ने के उपाय किए जाएं।
· यह स्थान विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल की तरह विकसित हो एवं इस संस्था का खर्च पर्यटन से होने वाली आमदनी से ही चलें या समाज के पैसे से। इस संस्था में कहीं पर भी सरकारी पैसा ना लगे इस संस्था में सरकार, राजनीतिज्ञ एवं धार्मिक नेताओं की कहीं भी सहभागिता नहीं हो। इस संस्था को बनाने एवं चलाने का सारा खर्चा समाज के सभी वर्गो एवं धर्मों के लोगो से देश एवं दुनिया के कोने-कोzने से आए।
जय हिंद