Tuesday, April 23, 2024
HomeHindi2024 में मोदी का चुनावी मुकाबला किसके साथ होगा?

2024 में मोदी का चुनावी मुकाबला किसके साथ होगा?

Also Read

RAJEEV GUPTA
RAJEEV GUPTAhttp://www.carajeevgupta.blogspot.in
Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.

हालांकि 2024 अभी दूर है लेकिन 2024 में होने वाले  लोकसभा चुनावों की तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं. कांग्रेस पार्टी समेत देश के सभी विपक्षी दल अपनी-अपनी  खोयी हुई राजनीतिक जमीन को तलाशने में अभी से जुट गए हैं. लोकसभा चुनावों से पहले काफी राज्यों में विधान सभा चुनाव भी होने हैं लेकिन सबकी नज़र लोकसभा चुनावों पर ही लगी हुई है क्योंकि सत्ता और शक्ति का असली मज़ा तो केंद्र में सरकार बनाकर ही लिया जा सकता है. हालांकि विपक्षी दलों की जिन राज्यों में सरकारें हैं, वे सब वहां भी सत्ता का जबरदस्त दुरूपयोग करके अपनी “सत्ता और शक्ति” का प्रदर्शन करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं, लेकिन इन विपक्षी दलों की सत्ता की भूख सिर्फ इतने भर से शांत हो जाने वाली नहीं है. कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र में और ममता की सरकार पश्चिम बंगाल में जिस तरह से सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही हैं वह किसी से छिपा हुआ नहीं है.

कल्पना कीजिये कि सत्ता के भूखे इन भेड़ियों को अगर केंद्र की सत्ता किसी तरह से हाथ लग जाए तो यह देश का कितना नुकसान करेंगे. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में हालात ऐसे बने हुए हैं कि दोनों राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाए बिना इन दोनों राज्यों में हालात सामान्य होने वाले नहीं हैं. महाराष्ट्र सरकार के काले कारनामों की पोल खोलने पर देश के एक बड़े पत्रकार और उसके मीडिया समूह पर सरकार के इशारे पर फ़र्ज़ी मामले दर्ज़ किये जा रहें हैं. फ़र्ज़ी मामलों के आधार पर ही अर्नब गोस्वामी और उस मीडिया समूह के बड़े अधिकारियों को गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार किया जा रहा है और उन्हें हिरासत में प्रताड़ित भी किया जा रहा है. पुलिस अफसरों को सरकार ने टारगेट दिए हुए हैं कि वे व्यापारियों और उद्योगपतियों से नियमित धन की अवैध वसूली करके सरकार में बैठे लोगों की भूख शांत करते रहें- पुलिस अफसरों की हिम्मत इस हद तक बढ़ गयी कि वह वसूली करने के लिए देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अम्बानी को भी धमकाने से बाज़ नहीं आ रहें हैं.

छोटे मोटे व्यापारियों और उद्योग पतियों ने तो इनकी बात मानकर इन्हे वसूली की रकम नियमित रूप से पहुंचा ही दी होगी वर्ना उन्हें भी फ़र्ज़ी मामलों में गिरफ्तार होकर थाने में चमड़े की मोटी बेल्टों से पिटाई झेलनी पड़ती. देश की जो अदालतें भाजपा शासित राज्यों की हर छोटी मोटी बात का स्वत: संज्ञान ले लेती हैं, उन्हें इस बात का शायद समय ही नहीं मिला कि वे महाराष्ट्र में हो रही इन आपराधिक वारदातों का संज्ञान लेकर उन पर समय रहते उचित कार्यवाही करें. पश्चिम बंगाल में तो हालात इतने ज्यादा बदतर हो चुके हैं कि वहां सरकार नाम की कोई चीज़ ही नज़र नहीं आ रही है. कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प पडी हुई है. राज्य सरकार के सरकारी तंत्र की मदद से दलित हिन्दुओं का नरसंहार किया जा रहा है, उन्हें प्रदेश छोड़कर भागने के लिए विवश किया जा रहा है, उनकी माँ-बहनों के साथ सामूहिक बलात्कार किया जा रहा है-देश के सारे मीडिया हॉउस, दलितों के मसीहा और अदालतों में बैठे जज, सब के सब पश्चिम बंगाल में हो रही इस अभूतपूर्व सरकारी गुंडागर्दी पर चुप्पी लगाए बैठे हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट में बैठे हुए जज भी ममता के खिलाफ मामलों को सुनकर उन पर फैसला करने की बजाये, अपने आप को उन मामलों से अलग कर रहें हैं. देश की जनता को हमारी न्यायपालिका क्या सन्देश देना चाहती है, यह सभी की समझ से परे है. जितनी गुंडागर्दी और यौन हिंसा महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में हुई है, किसी भाजपा शासित राज्य में अगर उसका दसवां हिस्सा भी हुआ होता तो अब तक किसी न किसी अदालत ने उसका स्वत: संज्ञान लेकर वहां न सिर्फ राष्ट्रपति शासन लगा दिया होता,बल्कि वहां के मुख्यमंत्री को हिरासत में लेने का आदेश भी पास कर दिया होता लेकिन महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.

कोई भी राजनीतिक पार्टी इस हालत में नहीं है कि वह अपने कारनामों के बल बूते पर 2024 के चुनावों में मोदी सरकार को टक्कर दे सके. लिहाज़ा मोदी सरकार के खिलाफ लगातार झूठ और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाई जा रही हैं. इसके लिए अलग अलग तरह की टूल-किट अलग अलग पार्टियां बना रही हैं. इन टूल किटों में सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ नहीं, देश के खिलाफ भी ज़हर उगला जा रहा है. देश के खिलाफ साज़िश करने वालों को कड़ी मशक्कत करके पुलिस अगर पकड़ भी रही है, तो हमारी अदालतें न सिर्फ उन साज़िशकर्ताओं को जेल से रिहा कर रही हैं, बल्कि पुलिस को इस बात के लिए डाँट भी लगा रही हैं कि उन्होंने इन साज़िश करने वालों को पकड़ने कि हिम्मत कैसे की. आतंकवादियों को “छात्र” और “सामाजिक कार्यकर्त्ता” बताकर बेल पर रिहा किया जा रहा है और पुलिस को लगातार डाँट लगाई जा रही है कि उसने इन लोगों को गिरफ्तार क्यों किया. देश की संसद से पास किये गए कानूनों के खिलाफ सड़कों पर राजनीतिक गुंडागर्दी को अंजाम दिया जा रहा है और अदालतें उस गुंडागर्दी को रोकने की बजाये उन कानूनों को ही रोकने का आदेश पास कर रही हैं.

कुल मिलाकर विपक्ष फेक न्यूज़ का अजेंडा चलाकर देश के खिलाफ लगातार साज़िश को अंजाम दे रहा है और अदालतें विपक्षी दलों के इस अजेंडा के साथ साफ़ खड़ी नज़र आ रही हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भी राफेल के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई गयी थी और उस फेक न्यूज़ को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर दी गयी थी. चुनाव ख़त्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था लेकिन सवाल यह है कि जिस याचिका को चुनावों के पहले ही खारिज हो जाना चाहिए था, उसे चुनावों के बाद खारिज क्यों किया गया?

2024 में भी यही सब कुछ होने वाला है और उसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं. अलग अलग पार्टियां देश के खिलाफ साज़िश करने वाली अलग अलग टूल किट बना रही हैं और उन पर अमल भी कर रही हैं. उन्हें पकडे जाने का भी डर नहीं है-पकड़ी गयीं तो अदालत से उन्हें राहत मिलने की पूरी उम्मीद है. देखा जाए तो 2024 का मुकाबला मोदी बनाम किसी राजनीतिक पार्टी नहीं होगा बल्कि मोदी जी को देश की न्यायपालिका से मुकाबला करके यह चुनाव जीतना होगा.

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

RAJEEV GUPTA
RAJEEV GUPTAhttp://www.carajeevgupta.blogspot.in
Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular