आवश्यक होगा कि भाजपा के समर्थक ही भाजपा पर सकारात्मक दबाव बनाएं। मौलिक रूप से समर्थन और विषय विशेष पर आलोचना का मंत्र अपनाएं। जिससे इनके निचले स्तर के नेताओं के दिमाग ठिकाने रहें।
If the visible differences are deliberate and are meant to reflect the changing predisposition of India towards the factors which threaten its democracy then there is a lot to be read between the lines.
प्रश्न ये है विपक्षी नेता और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओ को ही केवल दिखाई दे रहा है की "संविधान खतरे में है" पर आम जनता को तो जैसे लगता है इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है या फिर वो अच्छी तरह समझती है की संविधान खतरे में नहीं बल्कि भ्रष्टो का भ्रष्टाचार खतरे में है, लुटेरों का लूट खसोट खतरे में है, माफियाओ की माफियागिरी खतरे में है, गुंडों की गुंडागर्दी, दंगाइयों के दंगे फसाद, हुड़दंगियों का हुड़दंग और दलालो की दलाली खतरे में है।
नरेंद्र मोदी राजनीति के शीर्ष पर पहुँचने वाले उन चुनिंदा राजनेता के रूप में दायित्वों का निर्वहन किया और फिर गुजरात के मुख्यमंत्री बने और इस दायित्व का निर्वहन किया, 2014 में भारतवर्ष के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभर रहे नरेंद्र दामोदर दास मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार एनडीए द्वारा घोषित किया गया।
दुष्ट व्यक्ति दूसरे की उन्नति को देखकर जलता है वह स्वयं उन्नति नहीं कर सकता । इसलिए वह निन्दा करने लगता है और यही कार्य आज ये विपक्षि मिलकर कर रहे हैं।
The preparations for forming a strong opposition against Narendra Modi may have already started, but, who will be the face of this opposition, the most debate is to be held on this matter. BJP has an undisputed and powerful face in the form of Narendra Modi.
It is ironic that be it the anti-CAA protests or the farmers’ agitation, the opposition has been consigned to the footnotes of the biggest anti-government protests during Modi 2.0.