2 अप्रैल 2018 को कांग्रेस पार्टी एवं उसके कुछ अन्य सहयोगी दलों द्वारा प्रायोजित “भारत बंद” मे कम से कम 12 निर्दोष देशवासियों की जान चली गयी है. लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेताओं को इससे क्या मतलब है.
कभी नकली किसान आन्दोलन, कभी नकली दलित आन्दोलन और कभी करनी सेना का आन्दोलन, जैसे प्रायोजित षड्यंत्र करके कांग्रेस पार्टी अपनी बौखलाहट का बेशर्म प्रदर्शन करती आई है. इसके चलते अगर निर्दोष लोगों की जान भी चली जाये तो उससे कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को कोई फर्क नही पड़ता है.
जब यह लोग इस तरह की नौटंकी करते हैं तो इतनी मूर्खता के साथ करते हैं कि तुरंत ही पकड भी लिये जाते हैं. कल का भारत बंद सिर्फ भाजपा शासित राज्यों मे ही हुआ. जिन राज्यों मे भाजपा की सरकारें नही हैं, वहां यह “भारत बंद” क्यों नही हुआ? क्या वहां दलित नही हैं? इसका सीधा सीधा मतलब यही है कि यह सारी नौटंकी कांग्रेस द्वारा प्रायोजित साज़िश का एक हिस्सा थी.
सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं जिनमे एक ही आदमी “करनी सेना के आन्दोलन” मे राजपूत बना हुआ है और वही आदमी भारत बंद मे दलित बना हुआ है. कांग्रेसी गुंडे कभी नकली किसान बन जाते हैं, कभी करनी सेना के गुंडे बन जाते है और कभी भारत बंद कराने के लिये दलित बन जाते हैं. कुछ भी करना पड जाये, बस किसी तरह अगले साल 2019 मे होने वाले चुनावों मे मोदी जी हार जाएं और इनकी जीत हो जाये ताकि जिस तरह से यह देश और जनता को पिछले 60 सालों से लूटते आये थे, उसे आगे भी लूटने का मौका मिल जाये.
पाठकों को यह अच्छी तरह याद होगा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रिय मंत्री मणि शंकर अय्यर पाकिस्तान गये थे और वहां जाकर यह अपील की थी कि मोदी को हटाने मे पाकिस्तान उनकी मदद करे. पाकिस्तान हैरान था उनकी इस देशद्रोह की हरकत पर. लेकिन जब अपील कर ही दी गयी तो कुछ ना कुछ तो करना था.
कुछ ही दिनो बाद पाकिस्तान के एक बहुत बड़े राजनीतिक रणनीतिकार और विश्लेषक सैयद तारिक पीरज़ादा के नाम से चल रहे ट्वीटर अकाउंट पे 25 अगस्त 2015 को एक ट्वीट आया। उसमें अय्यर जी की समस्या का हल बता दिया गया. ट्वीट था- ”मोदी को हराने का सिर्फ एक ही तरीका है और वह यह कि हिन्दुओं को जात-पात के आधार पर बांट दिया जाये.”
अब इसे संयोग कहें या क्या कि तब से ऐसा ही चल रहा है. इन लोगों के हौसले और भी अधिक बुलंद होते जा रहे हैं और जब भी कोई चुनाव सर पर होता है, कोई ना कोई आन्दोलन या बंद प्रायोजित कर देते हैं. इन सभी आंदोलनो मे आदमी या कहिये कि अभिनेता वही होते है. बस जरूरत के हिसाब से कभी वे किसान बन जाते हैं, कभी करनी सेना के राजपूत बन जाते हैं और कभी वे दलित बन जाते हैं.
देखा जाये तो यह कांग्रेस की चाल है. कांग्रेस यह चाहती है कि दलितों को बदनाम करके वह दलितों और गैर दलितों को अलग कर दिया जाये ताकि हिन्दुओं के वोट बैंक का बंटवारा हो जाये. करनी सेना के आन्दोलन के जरिये राजस्थान उपचुनावों मे जो सफलता कांग्रेस को मिली है और इसी देश विभाजन की नीति के चलते कुछ सफलता गुजरात मे कांग्रेस को मिली है. इन छोटी मोटी सफलताओं से कांग्रेस को यह लग रहा है कि पाकिस्तान का सुझाया गया फॉर्मूला रामबाण है और उसकी 2019 की नैया भी पार करा देगा.