”कर बुरा तो हो भला” यही थीम और पंचलाइन हुआ करती थी बांकेलाल की कहानियों की। बाँकेलाल सीरीज कॉमिक्स के हर एपिसोड में राजा के खिलाफ बाँकेलाल की साजिशों के तरीके अलग-अलग होते थे लेकिन कहानी का परिणाम सबमें एक। बाँकेलाल हमेशा राजा को मारने की नई साजिश करता था लेकिन घटनाएं और परिस्थितियां ऐसी उलझतीं कि वो साजिश अंततः राजा का कुछ लाभ ही कर देती। राजा भी इस लाभ का श्रेय बाँकेलाल को देकर उसके गाल पर पुच्ची ले लेता है। बाँकेलाल मन ही मन ‘बेड़ागर्क! सत्यानाश!’ बड़बड़ाते हुए अपना सिर धुनते रह जाता था।
कांग्रेस पार्टी के दुर्भाग्य और भाजपा के सौभाग्य से राहुल गांधी की हालत कुछ-कुछ ऐसी ही है। कल उन्होंने ट्विटर पर अपील की कि जनता प्रधानमंत्री मोदी के नमो ऐप का बहिष्कार करे, उसे डिलीट करे क्योंकि वो ऐप कथित तौर पर यूजर्स का डेटा चुराकर कहीं और ट्रांसफर कर रहा है। अब उनकी इस अपील में न जाने कौन सी पनौती लगी कि प्रधानमंत्री के नमो ऐप को इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की संख्या 24 घण्टे में ही लगभग 1 लाख बढ़ गई। सिर्फ यही नहीं, न जाने कौन से गुप्त कारणों से गूगल प्ले स्टोर से खुद कांग्रेस का ऐप ‘With INC’ भी डिलीट करना पड़ा। यानी ‘लेने के देने पड़ गए’ वाली कहावत शब्दतः अर्थात् लिटरली चरितार्थ हुई।
यह अकेली घटना नहीं है। इसके पहले हाल में कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने ट्वीट कर पूछा कि क्या मोदी राज में भ्रष्टाचार कम हुआ है। सवाल तो इस नियत से पूछा गया था कि सारे फॉलोवर्स “नहीं” में जवाब देंगे। लेकिन बेचारे कांग्रेसियों को क्या पता कि उनके नेताओं और पेजों को आधे से ज्यादा लोग तो सिर्फ इसलिए फॉलो करते हैं ताकि कांग्रेस के बेवकूफाना ट्वीट्स के मजे ले सकें। नतीजतन 87% प्रतिशत लोगों ने जवाब दिया कि “हाँ” मोदी राज में भ्रष्टाचार कम हुआ है। इससे तिलमिलाए कांग्रेसी एडमिन ने पहले तो लोगों को ब्लॉक करना शुरू किया लेकिन फिर खीझकर अपना सवाल ही डिलीट कर दिया। यानी बाँकेलाल की साजिश उल्टी पड़ी।
एक और मामला देखिए। 2017 यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने सपा, कांग्रेस, अखिलेश और मायावती को संक्षिप्त रूप में SCAM कहकर हटाने की बात की तो राहुल गाँधी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मेरे लिए SCAM का अर्थ Service, Courage, Ability, Modesty है। संयोग से उसी समय उत्तर भारत में भूकम्प के हल्के झटके लगे थे। तब मोदी ने फौरन दोनों घटनाओं को जोड़ते हुए कहा कि जो लोग SCAM में भी सेवा (Service) का भाव खोज लेते हों उनकी बातें सुनकर धरती माँ भी हिल जाया करती है। इस पर पूरा देश राहुल गाँधी पर हिल-हिलकर हँसा। यानी यहाँ भी बेड़ागर्क! सत्यानाश!
अपने ही बयानों में फंस जाने और अपने पेज पर अपने ही ट्विटर पोल में हार जाने के हादसे इतने आम हो गए हैं कि अब तो यह चुटकुला चल निकला है कि राहुल गाँधी अगर किसी रेस में अकेले दौड़ें तो भी हार सकते हैं। कभी कभी लगता है कि फुटबॉल की भाषा में ‘सुसाइड गोल’ या क्रिकेट की भाषा में ‘हिट विकेट’ या एक मुस्लिम कहावत कि ‘नमाज छुड़ाने गए थे, रोजे गले पड़ गए’ या विशुद्ध भारतीय कहावत कि ‘अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारना’ जैसी उपमाएँ विशेषतौर पर राहुल गांधी के लिए ही बनी हैं। बचपन में जब तक मैंने कॉमिक्स पढ़ा था तब तक बाँकेलाल अपनी “कर बुरा तो हो भला” वाली नियति से तो बाहर नहीं निकल पाया था। भगवान जाने इन अंतहीन पनौतियों के झंझावत से राहुल जी कब और कौन सी एस्केप वेलोसिटी से निकलेंगे।