आज के पूंजीवादी समाज में केवल सराहना कर देना मात्र उपाय नहीं है, वित्तीय तौर पर सहयोग अति आवश्यक है।अलग-अलग किस्म के विज्ञापन, प्रचार या समीक्षाओं से सम्मोहित न होकर अपने दिमाग एवं दिल का इस्तेमाल करते हुए किसी भी कला को पहचानना और उसके आधार पर ही उसे सराहना या आर्थिक सहयोग प्रदान करना ही हमारी शैली होनी चाहिए।
Now when the Chinese army, in a cowardly manner, has attacked the Indian army and killed 20 of our Bravehearts in the most barbaric manner, a member of the Pakistan gang in Bollywood wants to avenge Uri insult. And it's doing it by calling Indian troops as Terrorists. (by @pakodewallah)
Would things would have come to this brutal stage if the hypocritic lobby of opposition political parties, media and Bollywood have said truths to the protesters about the constitutionality of CAA and NRC?
किसी ने कहा है कि फिल्में (साहित्य) समाज का दर्पण होती है। अगर यह नॉरेटिव आज सेट हो गया तो आगे आने वाली पीढ़ी हमें सिर्फ हिंदू आतंकवादी के नाम से जानेगी।
हालिया दिनों में लोकसभा चुनाव के कारन बहुत सारे लोगों ने अपना वक्तव्य व्यक्त किया जिसमे कई अभिनेता भी हैं। स्वरा भास्कर, जावेद अख्तर का कन्हैया कुमार को समर्थन करना, कमल हसन का हिन्दू आतंकवाद को लेकर नाथूराम गोडसे को आतंकवादी कहना, अनुराग कश्यप का सरकार के खिलाफ अपने विचार रखना, रणवीर शोरी का सरकार के साथ खड़े होना ऐसे कई उदाहरण हैं।
Entertainment industry (Anurag Kashyap, Aamir Khan, Shirish Kunder, etc) is on mission to save Indian secularism and culture, which RSS is otherwise killing, by it's maligning communal propaganda.
देश के लिबरल्स के रवैये को देख के इन्हें उदारवादी की जगह उधारवादी कहना हीं ठीक होगा क्योंकि उनकी उदार सोच उधार मांग के लायी गयी सोच लगती है और ये सोच सिर्फ तभी सामने आती है जब चंद दक्षिणपंथी हिन्दू इनके सोच की कसौटी पे खड़े नही उतरते।