समाज की सबसे छोटी परन्तु संगठित इकाई परिवार ख़त्म हो चुकी है। इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो हम जिस विश्वगुरु राष्ट्र की कल्पना करते है वह ख़त्म हो जाएगी।
जेपी के पीछे साये की तरह खड़े रहने वाले नानाजी देशमुख संघ प्रचारक थे और जेपी के समाजवादी विचारों के इतर उनकी विचारधारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर आधारित थी।
किसी ने कहा है कि फिल्में (साहित्य) समाज का दर्पण होती है। अगर यह नॉरेटिव आज सेट हो गया तो आगे आने वाली पीढ़ी हमें सिर्फ हिंदू आतंकवादी के नाम से जानेगी।
जाति की राजनीति करने वाले सभी नेता ब्राह्मणवाद विचारधारा से ग्रसित हैं, क्योंकि वह समाज में एकीकृत भाव का निर्माण होने ही नहीं देना चाहते। बाकि समझ अपनी-अपनी।
सोफे पे बैठने वाले सरस शराबी लोग कबीर सिंह का कहीं सिर्फ इसलिए तो विरोध नहीं कर रहे कि बॉलीवुड धीरे-धीरे मोदी के समर्थन में आ रहा है और शाहिद भी मोदी को पसंद करते हैं और ऐसा अर्जुन रेड्डी और कबीर सिंह के रिव्यू को देखकर भी लग सकता है।
सोशल मीडिया में एक पोस्ट लगातार घूम रही है कि शिक्षित लोगों के स्टेट केरल में बीजेपी को कोई सीट नहीं मिली। तो उनके शिक्षितपने की औकात कितनी है वो देख लेनी चाहिए ।
19 फ़रवरी को जब इमरान पुलवामा को लेकर कैमरे के सामने आते हैं तो अपने देश को defend करने के लिए उन्हें 6 मिनट के विडियो में भी कई कट लेने पड़े। इस विडियो में इमरान कुछ अलग नहीं कर पाए। यहाँ भी वह वही शब्द बोले जो उन्हें पाकिस्तानी सेना और ISI की तरफ से उनको दिए गये।
एक तरफ पूरा देश पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों की शहादत को याद कर रहा था वहीँ दूसरी तरफ आतंकी मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र बसीम हिलाल अपने आतंकी बाप को बधाई देने में जुटा था। इसने अपने ट्वीट में लिखा था How the Jaish यह सीधे तौर पर भारत के विरोध को प्रदर्शित करता है।