जिंदगी में पहली बार दिमाग का **** हो रहा था
सैक्रेड गेम्स 1
सीजन वन का एक डायलॉग जो मुझे इस सीजन के एपिसोड 1 से लेकर 8 तक जेहन में घूमता रहा।
इस साल स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन मनाने से ज्यादा लोगों को चाहत थी कि बस 15 अगस्त आ जाए; क्योंकि मिशन मंगल जैसी फिल्म जो भारत को एक मिसाल के तौर पर पेश कर रही है, वह आ रही थी। बटला हाउस जिसने इतालवी मम्मी की आंखों में आंसू ला दिए। उसकी भी स्याह सच्चाई जिसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार काले कोयले के बजाय सफेद कोयले से लिखने की कोशिश की थी उसका भी पर्दाफाश हो रहा था।
लेकिन इससे भी बड़ा होने वाला था। हमारे जैसे चूतिये जिन्होंने उसका एक एक एपिसोड रटा था, एक एक डायलॉग पर सैकड़ों मीम बनाए थे। उन सब का त्यौहार आ रहा था, सैक्रेड गेम्स आ रहा था। बाकायदा 14 को फोन करके बताया गया कि आज रात 12 बजे ही अपलोड हो जाएगा। जैसे ही 12 बजे 6GB का रिचार्ज किया और सिर्फ यह देखने के लिए कि क्या चल रहा है इस सीजन में। लेकिन अफसोस नेटफ्लिक्स और जिओ दोनों धोखा दे गया। फिर काम आया आतंकवादियों का व्हाट्सएप, हमारे जैसे लोगों का टोरेंट- टेलीग्राम।
सैक्रेड गेम्स सीजन – 2 कहानी के तौर पर कहे तो फिक्शन के इस दौर में इससे ज्यादा गुथी हुई कहानी नहीं हो सकती। लेकिन यह भारत है जहां फिल्में सिर्फ फिल्में नहीं होती, लोगों की माई बाप होती हैं और अभिनेता भगवान।
सैक्रेड गेम्स कांग्रेस की गढ़ी हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को गालियों तथा सेक्स के साथ परोसता हुआ कंटेंट है। मुझे गालियों से कोई दिक्कत नहीं क्योंकि इससे ज्यादा मां बहन तो मैं भी रोज कर लेता हूं। गायतोंडे का तीसरा बाप (गुरुजी) इंदिरा गांधी की इमरजेंसी में गायब हुए बाप का बदला लेने के लिए सारा खेल शुरू करता है। जिसमें गायतोंडे उसका सेनापति और पाकिस्तान की आईएसआई और आतंकवादी संगठन उसके मददगार। देखने में ही बड़ा हास्यास्पद लगता है कि एक प्रवचन देने वाला इतना हरामी।
1992 की बाबरी मस्जिद गिराना उनके लिए हिंदू आतंक का रूप था लेकिन 93 का बम विस्फोट एक छोटी घटना। मुंबई पुलिस में पारुलकर, सरकार में भोसले, गुंडा गायतुंडे सब हिंदू आतंकवाद को पोषित करने में मददगार थे। लेकिन वही माजिद खान जो अपने फर्ज के प्रति सच्चा है, और उस बेचारे को मुंबई में उसके नाम की वजह से फ्लैट भी नहीं मिल पा रहा। कितनी निर्दय है हिंदू समाज जो एक मुसलमान को रहने भी नहीं देना चाहता। ऊपर से मियां माजिद, पारुलकर जैसे भ्रष्ट आदमी के साथ सिर्फ इसलिए है कि उसका नाम और उनकी जाति दोनों सामने ना आए। वाह वरुण ग्रोवर!
गुरु जी इतने पावरफुल आदमी है कि अपने भक्तों को ड्रग्स प्रसाद में देते हैं और कोई कुछ कह नहीं सकता। उनके फॉलोअर विदेशी है लेकिन सरकार का कोई आदमी और इंटेलिजेंस कोई काम की नहीं। अमेरिका का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ओसामा ने उड़ाया ये मेकर्स के लिए बड़ी बात नहीं थी बल्कि गुरुजी ने अगले 15 साल की तैयारी करके रखी वो भी न्यूक्लियर अटैक की और पूरा देखने के बाद कहानी ऐसी लगती है जैसे गुरुजी के कहने पर ही ओसामा ने अमेरिका पर बम गिराया था।
माना कि अनुराग कश्यप भारत विरोधी है मुझसे ज्यादा सेक्यूलर है। फिल्म में गाली उनके लिए फ्रीडम ऑफ स्पीच है लेकिन कोई उनको उनके कुकर्मों पर गाली दे तो यह उनको सहन नहीं होता वह इनटोलरेंट हो जाते हैं और अपना ट्विटर भी बन्द कर देते हैं, उसको हिंदू आतंकवादी कहने के लिए एक नई फिल्म भी बना सकते हैं। वरुण ग्रोवर मोदी विरोध और आर एस एस के हिंदुत्व को इतने गलत ढंग से लिखेंगे यह कल्पना कोई नहीं कर सकता। उनके मन कि बात जाननी है तो बस ऐसी तैसी डैमोक्रेसी के वीडियो देख लीजिए।
नेटफ्लिक्स ने हिंदू आतंकवाद को गढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अपनी पिछली वेब सीरीज लैला जिसमें हुमा कुरेशी थी। उसको इस तरह से दिखाया था 2047 भारत आर्यावर्त हो जाएगा जहां के भारत में दूसरे धर्म के लोगों का रेप किया जाएगा उनकी बीवियां छीनी जाएगा तो उसको याद करना होगा ISIS का इतिहास जहां सेक्स स्लेव थी जिनको सरेआम बेचा जाता है। उनको याद करना कश्मीरी पंडितो का दर्द जिनको बीबी और लड़कियां छोड़ने का फरमान जारी कर दिया गया था। उनको याद करना पाकिस्तान का सिंध जहां हिन्दुओं का बलात्कार किया जाता है धर्म परिवर्तन करवाया जाता है।
हमने आज तक सुना कि किसी हिंदू ने किसी का धर्म परिवर्तन करवाया, किसी हिंदू ग्रुप ने कई औरतों को बन्दी बनाया बलात्कार किया?
नहीं, लेकिन फिर भी फिक्शन में ये सब चीजें दिखाई जा रही है।
हम बॉलीवुड के जाल में इस तरह फंसे हैं कि हमें यह सिर्फ सिनेमैटिक ड्रामा नजर आती है। लेकिन ऐसा नहीं है किसी ने कहा है कि फिल्में (साहित्य) समाज का दर्पण होती है। अगर यह नॉरेटिव आज सेट हो गया तो आगे आने वाली पीढ़ी हमें सिर्फ हिंदू आतंकवादी के नाम से जानेगी।