रविवार शाम को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। इस घटना की खबर लगते ही गैर-बीजेपी शासित प्रदेशों के नेताओं ने तुरंत राजनीति शुरू कर दी। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के विरोध में बने माहौल को लपकने के लिए कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी, दिल्ली ही नहीं, छत्तीसगढ़ और पंजाब से भी नेता लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े।
पुलिस के रोकने पर प्रियंका वाड्रा पुलिस से भीड़ गयी, अखिलेश यादव लखनऊ में ही सड़क पर धरना देने लगे और उनके समर्थकों ने पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी, शिवपाल यादव घर में नजरबंद किए गए तो दीवार फांदकर भाग निकले। बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया।गढ़मुक्तेश्वर में राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी के समर्थकों ने टोल प्लाजा बैरियर तोड़ दिया और जयंत दौड़ते हुए अपनी गाड़ी में सवार हुए और लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े। सभी विपक्षी नेताओं की फुर्ती बता रही थी कि चुनाव से पहले विपक्ष इस मामले को भुनाना चाह रहा है। लखीमपुर खीरी की घटना ने बीजेपी के खिलाफ माहौल को और गरमा दिया था।विपक्ष चौतरफा योगी सरकार पर टूट पड़ा।
दूसरी तरफ हालात को संभालने के लिए प्रदेश के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए।रविवार देर रात तक वह लखीमपुर की घटना को लेकर अपने आवास पर सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे पल-पल का अपडेट ले रहे थे, हिंसक विरोध के बाद मामले को संभालने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी।
रात में ही सीएम योगी ने ट्वीट किया कि जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। यूपी सरकार इस घटना के कारणों की तह में जाएगी और घटना में शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी। दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने बताया कि मौके पर शासन द्वारा अपर मुख्य सचिव नियुक्ति, कार्मिक एवं कृषि, ए.डी.जी. कानून-व्यवस्था, आयुक्त लखनऊ तथा आई.जी. लखनऊ मौजूद हैं तथा स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए घटना के कारणों की गहराई से जांच कर रहे हैं। घटना में लिप्त जो भी जिम्मेदार होगा, सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी।
उन्होंने क्षेत्र के लोगों से अपील की कि वे किसी के बहकावे में न आएं और मौके पर शांति-व्यवस्था कायम रखने में अपना योगदान दें। किसी प्रकार के निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मौके पर हो रही जांच तथा कार्यवाही का इंतजार करें। यह कहकर योगी ने लखीमपुर खीरी को लेकर फैल रही अफवाहों, अटकलों और चर्चाओं पर विराम लगाने की कोशिश की।
दरअसल,केंद्र की मोदी सरकार हो या यूपी की योगी सरकार पहले दिन से किसान आंदोलन पर उनका एक समान रुख रहा है। सरकार की ओर से बार-बार कहा गया है कि तीनों नए कानूनों से किसानों को लाभ होगा और मंडिया खत्म नहीं होंगी, MSP घटाई नहीं बल्कि और बढ़ाई जा रही है। हाल में भी केंद्र सरकार ने कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर देशवासियों को यह संदेश दिया था कि सरकार किसानों के साथ है और दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन के पीछे राजनीतिक मकसद है। विपक्ष के कई नेता रात में ही लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े थे, ऐसे में योगी अलर्ट मोड में थे। उन्होंने माहौल को बिगड़ने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए।
सरकार को आशंका थी कि नेताओं के पहुंचने से इलाके में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। लखीमपुर में इंटरनेट सेवा रोकने का आदेश भी जल्द ही जारी हो गया था। घटनास्थल तिकुनिया को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और आईजी रेंज लक्ष्मी सिंह ने लखीमपुर खीरी में डेरा डाल दिया।ऐसे में कांग्रेस, आप, सपा हो या बसपा सभी दलों के नेताओं को अलग-अलग जगहों पर हिरासत में लेने के निर्देश दे दिए गए। मीडिया में भले ही उनके तीखे बयान आए पर सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही। विपक्षी नेता लखीमपुर जाने की असफल कोशिश करते नजर आए। उधर, योगी की कोशिश थी कि हालात को काबू में रखते हुए किसानों को शांत कराने के कदम उठाए जाएं।
उन्होंने 20 घंटे के भीतर कुछ इस तरह से हालात को संभाला कि विपक्ष की सारी सियासत धरी की धरी रह गई। चुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन के बीच लखीमपुर कांड से भंवर में फंसी बीजेपी को योगी ने निकालने की पूरी कोशिश की और वह सफल रहे। जो माहौल सुबह से गरमाया हुआ था दोपहर एक बजते-बजते हवा हो गया।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार की साथ में प्रेस कॉफ्रेंस की तस्वीर सामने आते ही विपक्ष की आवाज ठंडी पड़ गई क्योंकि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की सारी मांगें मान चुकी थी।इससे विपक्ष के लिए मुद्दे को गरमाने के सारे रास्ते बंद हो गए। बीजेपी के प्रवक्ताओं ने बताया कि सीएम योगी ने रातभर जागकर मामले को प्रभावी ढंग से हैंडल किया।उन्होंने विपक्ष पर बरसते हुए कहा कि योगी के आगे आपकी एक न चली। राकेश टिकैत के सहारे समझौता करा योगी ने विपक्ष के सारे वार फेल कर दिए।
सरकार ने मान ली सारी मांगें
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि सरकार ने किसानों की मांगें मान ली हैं। कल लखीमपुर खीरी में मारे गए चारों किसानों के परिवारों को 45 लाख रुपये और एक सरकारी नौकरी दी जाएगी। घायलों को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। किसानों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की जाएगी और रिटायर्ड हाई कोर्ट जज मामले की जांच करेंगे।
एडीजी के साथ टिकैत के बैठने से ही साफ हो गया था कि मामला सुलझ गया है। यह खबर मिलते ही जहां-जहां विपक्ष प्रदर्शन में जुटा था, कार्यकर्ता एक-एक कर बिखरने लगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी लखीमपुर कांड में स्कोप न देख गोरखपुर में मर्डर, प्रयागराज में संत की संदिग्ध मौत के मामलों का जिक्र कर नए ट्रैक पर जाते दिखे।
यह कुछ वैसा ही है जैसे क्रिकेट में – आगे बढ़कर खेल दिया है ‘मुद्दा’ चर्चा से बाहर, विपक्षी टीम के पास कोई मौका नहीं।
– अभिषेक कुमार
(सभी विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं)