स्वतंत्रता के बाद भारत में इस प्रकार की स्थिति पहले कभी नहीं देखी गयी होगी, भारतीय राजनीति में सभी मर्यादाएं टूट रही हैं। सभी राजनैतिक दलों ने कानून की व्याख्या अपने हिसाब से तय कर ली है।
सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह की तालिबानी तरीके से की गई हत्या ने अब कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पहला सवाल यह है कि आखिर भारत जैसे देश में भी क्या इस तरीके से किसी की हत्या की जा सकती है?
अगर उत्तर प्रदेश को दिल्ली समझने वाले यह सोचते है की इस तरह के कांडो से UP का Voter दहल जाएगा तो वह भुल गए हैं की यह वह राज्य है जहां के परिक्वता की मिसाले दी जाती है।
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के विरोध में बने माहौल को लपकने के लिए कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी, दिल्ली ही नहीं, छत्तीसगढ़ और पंजाब से भी नेता लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े।
घटना वाले दिन से हि कांग्रेस के, आप के, सपा के और बसपा के तथा अन्य पार्टियों के तथाकथित नेता किस आधार पर देश के गृह राज्य मंत्री और ऊनके बेटे के ऊपर किसानों की हत्या का आरोप लगा रहे हैं। वो कौन से साक्ष्य हैं या साक्षीदार है जिनके आधार पर विपक्षी इतना छाती पीट पीट कर आशीष मिश्रा कि गिरफ्तारी कि बात कर रहे हैं, अब तक तो सबकुछ हवा में है।