अगर उत्तर प्रदेश को दिल्ली समझने वाले यह सोचते है की इस तरह के कांडो से UP का Voter दहल जाएगा तो वह भुल गए हैं की यह वह राज्य है जहां के परिक्वता की मिसाले दी जाती है।
यह जानकारी उत्साह जनक है और उससे भी ऊपर यह सुखद है कि बिहार के राजनीति में लालू के जाति गोलबंदी और और तुष्टीकरण से ऊपर महिला विकास और सशक्तिकरण की एक स्वस्थ और बहुप्रतीक्षित विमर्श शुरू हुई जो अब तब बिहार के राजनीतिक पृष्टभूमि से नदारद थी!