Saturday, April 27, 2024
HomeHindiपत्रकार मनदीप पूनिया के प्रति मेरी घोर संवेदनाएं है!

पत्रकार मनदीप पूनिया के प्रति मेरी घोर संवेदनाएं है!

Also Read

शिवा नारायण
शिवा नारायण
माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास्टर्स, ईटीवी नेटवर्क का पूर्व में कर्मी, वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता।

इन्होंने मनदीप पूनिया को अपने जाल में फंसा लिया। पत्रकार मनदीप पूनिया के प्रति मेरी घोर संवेदनाएं है।

संवेदना क्यों है?

जैसे ही कोई भी आईआईएमसी, पत्रकारिता विश्वविद्यालय या किसी भी विश्वविद्यालय के दहलीज पर पहला कदम रखता है तो वहां इना, बैएना, सायना और अली खड़ा मिलेगा। किसी का बाल खड़ा, लाल, हरा, पीला, जीभ में अंगुठी, मूंह में बाली और सिर पर क्रास।

मनदीप देखते ही सहसा चौंकेगा, आकर्षित होगा। सोचेगा इनमें नयापन है, ऐसा क्यों है, ये अद्भुत हैं, इनसे दोस्ती बनाओ। इनमें विविधता है, ऐसे तो मेरे दूर सुदूर गांव में नहीं दिखते। वाह-वाह करेगा।

क्या वहीं आधुनिकता की मंजिल है, जिसे मेरे बाबूजी ने गांव में सपने संजोए हैं।

फिर मनदीप से भांति-भांति के बहुरुपिए के वेश धारण किए नरपिशाच मुखातिब होंगे। उसके बाद मनदीप की भाव-भंगिमा आकलन कर मुंह खोलते ही ओपन सेक्स की बात करेंगे, क्रांति की बात करेंगे, नग्नता की बात करेंगे, आसमान में धान रोपने की बात एवं नारीवाद। मनदीप का मन प्रफुल्लित। वाह-वाह। वो सोचेगा रोम-रोम पुलकित हो जाएगा।

डीड ईट का भाव हिलोरें मारेगा।

ये गैंग सामान्य विद्यार्थी को एक ऐसे यूटोपिया का द्वि-स्वप्न दिखाएंगे, जहां फंतासी में ही यथार्थ सिद्ध होने लगेगा।

अब यहीं से शुरू होती एक छात्र को वैचारिक जोम्बी बनाने की परिणिति। यानी वामपंथियों और इस्लामिस्टों का एक नया जोम्बी जोड़ने का मिशन। मनदीप बाहर निकलते ही कम्पलिट पैकेज बन जाएगा।

यह गिरोह दिल्ली से लेकर हर नामी गिरामी विश्विद्यालय में नये छात्रों पर धावा बोलने के लिए हनी ट्रैप बनाया है। दिमाग के तार से खेलने के बाद ये व्यवस्था विरोधी बात करने, अभिव्यक्ति की आजादी की रट्टू तोता बना देंगे। भले ही अभिव्यक्ति के नाम पर मां सीता, दुर्गा और सरस्वती का चीरहरण कर देंगे, लेकिन अल्लाह के नाम पर उफ्फ तक नहीं लिखेंगे।

और आखिरकार में मौजूदा सरकार के प्रति कहीं कोई आपके दिल में नरमी पता चल गई तो निष्पक्षता का नगाड़ा बजाकर सवाल पूछने के लिए उकसाएंगे। निष्पक्षता का मतलब सरकार की सिर्फ और सिर्फ खामियां ढूंढो अभियान। कहीं आंदोलन की सुगबुगाहट बने तो देश में आग लगने का अफवाह फैला दो। जातिय हिंसा इनके लिए मुफीद है क्योंकि रक्तरंजित क्रांति के बाद ही शर्तिया लोकतंत्र का इलाज करेंगे।

यह सबकुछ तबतक चलता रहेगा, जबतक ये खुद सत्ता में नहीं आ जाते और जब ये आ जाएंगे तो उत्तरी कोरिया, चीन, रूस, सीरिया और तमाम तानाशाहों का देश इनके शासन पद्धति सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। जहां निष्पक्षता नामक इतिहास ही नहीं है, क्योंकि नाशपिट्टो के राज में मीडिया नाम की चिड़िया पहले दिन काट दी जाती है।

मनदीप पूनिया एक पात्र है और ऐसे हजारों छात्र देश के हर विश्वविद्यालय में ट्रैप में फंसते हैं। व्यवस्था विरोध में फेक न्यूज की फैक्ट्री ही नहीं नक्सली भी बनते हैं। वो वैचारिक जोम्बी बनकर अपने आला का हुक्म बजाते हैं। फिर जोम्बिज का श्रृंखला बनता ही रहता है।

इतिश्री तथैव च वाम-इस्लाम कथा।

उन सभी मनदीपों (जोम्बी) के साथ मेरी संवेदनाएं है!

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

शिवा नारायण
शिवा नारायण
माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास्टर्स, ईटीवी नेटवर्क का पूर्व में कर्मी, वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता।
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular