Friday, March 29, 2024

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Fashion of abusing Hindu Culture

Warped arguments of Dr Ram Puniyani: A Rejoinder

As a person of scientific temper, Ram Puniyani must know that the younger generation all over the world has access to a lot more information and tools to make a comparative assessment of all the Faiths and their Founders

हिंदुत्व का अपमान संयोग या प्रयोग

हाल ही में कांग्रेस के बड़े नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या को लेकर घमासान शुरू हो गया है, जिसकी एक लाइन पर विवाद हो रहा है, जिसमें हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम से की गई है. क्या ये कांग्रेस पार्टी का प्रयोग है क्योंकि ये पहली बार नहीं है जब हिंदुत्व का अपमान कांग्रेस पार्टी के नेताओ द्वारा किया गया कांग्रेस पार्टी का लंबा इतिहास है इसके पीछे जो जानना जरूरी है.

The ideological effect

How come a nation with so vivid culture and tradition that emerges as a nation of ramified unity in diversity, can be bifurcated into two schools of thoughts?

Answering the critics of Hinduism, Truschke & Et al. (1)

Let not those forces destroy our ancestral identity which our forefathers preserved giving a tremendous fight to its destroyers.

पत्रकार मनदीप पूनिया के प्रति मेरी घोर संवेदनाएं है!

मनदीप पूनिया एक पात्र है और ऐसे हजारों छात्र देश के हर विश्वविद्यालय में ट्रैप में फंसते हैं। व्यवस्था विरोध में फेक न्यूज की फैक्ट्री ही नहीं नक्सली भी बनते हैं। वो वैचारिक जोम्बी बनकर अपने आला का हुक्म बजाते हैं। फिर जोम्बिज का श्रृंखला बनता ही रहता है।

धार्मिक भावनाएं और अभिव्यक्ति की आज़ादी

पेंटर हुसैन हो या ताजातरीन केस ऑफ़ मुनव्वर फारुकी, ये सेलेक्टिवली सेक्युलर लोग हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने में खुद को कूल डूड समझ पैसा कमाते हैं।

3 reasons why I am not a secular anymore

Why is it that we wake up one day and find ourselves in a Dharamsankat whether to choose the chalta hai attitude and be accepted or support the truth and ekla Chalo re?

ठग लेंगे, ठग लेंगे, पण्डे ठग लेंगे – क्या सच में?

तथाकथित उदारवादियों और वामपंथियों ने अत्यंत सूक्ष्मता से हम सनातन लोगों के मानस में उस प्रत्येक व्यक्ति, प्रक्रिया, स्थान, विचार, संस्कार, परंपरा के प्रति अनासक्ति उत्पन्न की है जो हमें हमारी पहचान या मूल से जोड़ता है. हमें अपने अस्तित्व के प्रति आस्थावान बनाता है.

लाला लाजपत राय व आंबेडकर का वो डर हिन्दुओं के लिए इस्लाम को लेकर, देश को पुनः खंडित करने का आभास दिला रही है

ये चिंतन करने का विषय है कि आग कहीं न कहीं जलती रहती है इसीलिए इस देश के इतने टुकड़े करने के बाद भी धर्म के आधार पर फिर से उसी मोड़ पर खड़े होकर धुआं निकलते हुए देखते रहते हैं।

भगवान का धर्मंतार्ण हिन्दोस्तान में

हिंदुत्व धर्म से ज्यादा एक जीवन पद्धति है, जिसे कोई भी गैर-हिन्दु अपने धर्म में आस्था रखते हुए भी सिर्फ़ श्रधाभाव, सहिष्णुता और अच्छे आचरण से अपना सकता है।

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