13 जुलाई 2002, ऐसा दिन जिसे कोई भारतीय भुलाना नहीं चाहेगा, एक रोमांचक मैच में लंदन के लॉर्ड्स के मैदान में टीम इंडिया ने अंग्रेजों द्वारा दिए गए 326 रनों के लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया और उसके बाद सौरव गांगुली द्वारा जर्सी उतार कर हवा में लहराना आज भी याद है, तब से भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा दोनों बदल गई थी!
पर क्या यही बड़ी घटना थी उस दिन या कुछ और भी हुआ था? याद नहीं आएगा, हम बताते हैं, इसी मैच से जुड़ी वो काली घटना जिसको हमने भुला दिया।
जब यह मैच करोड़ों दर्शक अपने घरों में टीवी पर देख रहे थे तो जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू शहर के बाहरी इलाके में कासिम नगर की झुग्गी-झोपड़ी वाली मज़दूर बस्ती में कुछ गरीब और मज़दूर झुंड बना कर एक रेडियो पर इस रोमांचक मैच को सुन रहे थे क्योंकि इलाके के ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण वहां पॉवर कट हो गया था!
शाम को पौने आठ बजे साधुओं के भेष में लश्कर-ए-तैयबा के कुछ इस्लामी आतंकवादी आए और वहां के कच्चे घरों और सड़कों की तरफ एक के बाद एक ग्रेनेड फेंकने लगे, जिससे लोगों में अफरातफरी मच गई। फिर आतंकवादियों ने बिना कोई रहम दिखाए अपनी AK-56 बंदूकों से गोलियों की अंधाधुंध बौछार कर दी। जब इतने से भी मन न भरा तो आतंकियों ने इलाके के मंदिर पर भी हमला किया, जिसमें वहां छिपे कुछ बेसहारा भिखारी भी मारे गए। बाद में आतंकी इलाके से सटे जंगलों की तरफ भाग निकले, इलाके के लोगों ने रात में देर तक जंगलों की तरफ से गोलीबारी और धमाकों की आवाज़ सुनी। इस पूरे हमले में 30 लोग मारे गए और 30 लोग घायल हुए, मरने वालों में 1 बच्चा और 13 महिलाएं भी शामिल थे, सारे मृतक हिंदू धर्म के थे। इस हमले से 2 महीने पहले भी जम्मू के ही कालूचक फौजी कालोनी पर भी आतंकी हमला हुआ था जिसमें भी फौजी परिवारों के 30 लोग मारे गए थे।
उधर लंदन में टीम इंडिया की अप्रत्याशित लग रही जीत के बाद भारत के अन्य शहरों की तरह जम्मू शहर के गांधी नगर इलाके में भी कुछ लोगों ने खुशी में बम-पटाखे चलाए गए, उनको यह नहीं पता था कि जब वो मैच में लीन थे तो उनके ही शहर में इतना बड़ा आतंकी हमला हो गया था। जिन पत्रकारों को कासिम नगर हमले की जानकारी मिल चुकी थी, उनको बम-पटाखों के शोर से यह भ्रम हुआ कि शायद गांधी नगर में भी आतंकी हमला हुआ है। देश-विदेश के नेताओं ने कासिम नगर आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की।
विडंबना की पराकाष्ठा देखिए, जहां लंदन में भारत की जीत के हीरो मोहम्मद कैफ रहे और भारतीयों ने उनको खुशी-खुशी सिर-आंखों पर बैठाया और उस जीत का दिल खोल कर जश्न मनाया, वहीं जम्मू के कासिम नगर में इस्लामी आतंकवाद ने गरीब और बेसहारा मज़दूरों को निर्ममता से मौत के घाट केवल इसलिए उतारा क्योंकि वो सब हिंदू थे। हम हर साल 13 जुलाई को नटवैस्ट ट्रॉफी का वो फाइनल तो याद रखते हैं पर शायद हमने कासिम नगर का वो दर्दनाक हादसा भी कालूचक आतंकी हमले की तरह भुला दिया है!