Saturday, November 2, 2024
HomeHindiकोरोना काल: स्कूल बनाम अभिवावक

कोरोना काल: स्कूल बनाम अभिवावक

Also Read

ASHISH TRIPATHI
ASHISH TRIPATHI
Right Winger, an army brat, interested in issues of society(particularly middle class), like to have realistic view (equidistant from pessimistic as well as optimistic).

मार्च में सरकार ने कोरोनावायरस वैश्विक महामारी का संज्ञान लेते हुए देश भर में लॉकडाउन लागू किया था, जिसके फलस्वरूप लगभग सभी चीजें, संस्थाएं, आर्थक गतिविधियां, स्कूल-कॉलेज आदि बंद हो गए थे। मई के महीने से सरकार ने धीरे-धीरे कुछ कुछ चीजों को रियायत देते हुए खोलना शुरू कर दिया था, मगर स्कूल जुलाई से पहले खुलने के आसार नहीं। इस दौरान स्कूल की फीस को लेकर अभिभावकों समूह द्वारा वाट्सऐप पर तरह तरह के मैसेज भेजकर फीस न देने के लिए माहौल बनाया जा रहा है।

April, स्कूल पूरी तरह बंद: “जब क्लासें ही नहीं चल रहीं हैं तो स्कूल फीस किस बात की मांग रहे हैं? हम पैसे नहीं देंगे!”

May, ऑनलाइन क्लास चलीं: “हमारे बच्चे जब ऑफलाइन में क्लास में होते हुए भी ठीक से पढ़ नहीं पाते तो मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास में बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे?”(बच्चे मोबाइल पर अपने पेरेंट्स से ज़्यादा सक्रिय हैं और जब पेरेंट्स अपने घरों में अपने सामने अपने 2-3 बच्चों को शांतिपूर्वक मोबाइल के सामने पढ़ने नहीं बैठा सकते तो क्लास में टीचर से उन जैसे 50 बच्चों को अनुशासित ढंग से पढ़ाने का महत्व समझते हैं?)

June, सरकारें अगले महीने स्कूल खोलने का विचार कर रही है: “हमारे बच्चे सोशल डिसटेंसिंग का पालन नहीं कर पाएंगे, बच्चों में इम्युनिटी पॉवर कम है; जब तक वैक्सीन नहीं आएगी, तब तक हम बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे!”

मेडिकल जानकारों का मानना है कि सारी प्रक्रिया से गुजरने के बाद बाज़ार में वैक्सीन उपलब्ध होने में 2 साल का समय लग सकता है, तो क्या तब तक स्कूलों को बंद ही रखा जाएगा?

फीस को ले कर स्कूल बनाम अभिवावकों के इस विरोधाभास ने अगर तूल पकड़ा तो ज़ाहिर है कि इसमें राजनीति भी आएगी और राजनीति सही या ग़लत की जगह संख्या किस की ज्यादा है और किससे ज्यादा राजनीतिक फायदा है की बुनियाद पर काम करती है। एक क्लास में टीचर तो 5-6 पढ़ाते हैं मगर उसमें पढ़ने वाले 50 छात्रों के 100 अभिभावकों का पलड़ा अधिक प्रभावशाली रहेगा!

क्या बच्चों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल की है, अभिभावकों की बिल्कुल भी नहीं? क्या कोरोनावायरस वैश्विक महामारी में जब दुनिया ज़्यादा से ज़्यादा चीजों को ऑनलाइन कर रही है तो ऑनलाइन शिक्षा से परहेज़ क्यों? वैसे भी शायद यही ऑनलाइन क्लास आने वाले भविष्य में पूर्णतः आम बात हो सकती है, कई देशों में पेन-पेपर की जगह बच्चे कम्प्यूटर पर ही नोट्स बनाते हैं, टेस्ट देते हैं।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

ASHISH TRIPATHI
ASHISH TRIPATHI
Right Winger, an army brat, interested in issues of society(particularly middle class), like to have realistic view (equidistant from pessimistic as well as optimistic).
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular