चीन के साथ जंग पाकिस्तान की तुलना में कहीं ज्यादा मुश्किल होगी, जिसके कई कारण हैं:
- सैनिक संसाधनों में पाक की अपेक्षा चीन कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है।
- चीन आर्थिक महाशक्ति है जबकि पाक अर्थव्यवस्था कर्ज में डूबी & FATF की ग्रे-लिस्ट में है।
- चीन की पैठ दुनिया भर के(भारत के भी) वामपंथी मीडिया हाउस में है जिससे अपना प्रोपेगैंडा चलाता है!
- चीन से लड़ाई में भारत के वामपंथी (Communists) राजनीतिक पार्टियां(CPI, CPI-M, CPI-ML), कैडर और छात्र संघ (AISA, AISF, etc) भारत का नहीं, चीन का साथ देंगे(1962 की तरह)!
- क्योंकि चीन कम्युनिस्ट देश है वहां सरकार को न विपक्ष की चिंता है और न ही गद्दारों की।
- भारत कोरोनावायरस के कारण पहले ही एक बड़ी आपदा से जूझ रहा है!
1962 में जब भारत चीन से विशाल भूमि क्षेत्र हारा था तब चीन के पास वायुसेना नहीं थी और चीनी अर्थव्यवस्था भारत से पीछे थी। आज 2020 में चीन विश्व की तीसरी सबसे बड़ी वायुसेना रखता है और उसकी अर्थव्यवस्था भारत से तीन गुना ज्यादा है! तो क्या हम अपनी ज़मीन पर चीन को कब्ज़ा कर लेने दें? बिल्कुल नहीं। मगर समझदार लोग जंग का समय और स्थान अपनी ताकत और अपनी सहूलियत के अनुसार चुनते हैं। चीन की सेना विशाल जरूर है, मगर उसकी मौजूदा सेना में किसी सैनिक या अफसर ने कभी कोई जंग नहीं लड़ी और फिर पहाड़ी की लड़ाई तो और भी कठिन आयाम है, जिसमें भारतीय सेना को महारत हासिल है।
1971 में 25 अप्रैल को जब इंदिरा गांधी ने एक कैबिनेट मीटिंग में जनरल सैम मानेकशॉ को ईस्ट पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) पर हमले के लिए कहा तो सैम ने साफ शब्दों में कहा, “मैडम अगर आप अभी जंग पर जाने का आदेश देंगी तो मैं गारंटी देता हूं 100% हमारी हार की!” सैम की इस निराशाजनक गारंटी के कई कारण थे- सैन्य संसाधनों व तैयारी की कमी, मौसम, चीन के हस्तक्षेप की संभावना, इत्यादि। इंदिरा इसे सुनकर गुस्से से इतनी लाल हुई कि मीटिंग खत्म होने के बाद सैम ने अपने इस्तीफे की पेशकश की जिसे इंदिरा ने ठुकरा दिया। सैम ने तब दूसरी गारंटी दी कि “जंग तो हम कर लेंगे, मगर अभी नहीं; यदि हमें तैयारी और प्लानिंग का पूरा वक्त मिलता है तो मैं आपको जीत का विश्वास दिलाता हूं!” दिसंबर को जब इंदिरा ने सैम से युद्ध के लिए फिर पूछा तो पूरी घेराबंदी और तैयारी के बाद सैम ने मज़ाकिया अंदाज में जवाब दिया, “मैं तैयार हूं स्वीटी”। 3 दिसंबर को शुरू हुई जंग को एक पखवाड़े के ही भीतर जीत कर 16 दिसंबर 1971 को अपने किए वादे के मुताबिक सैम ने विजय श्री दिला कर ईस्ट पाकिस्तान को आज़ाद मुल्क बांग्लादेश बना दिया।
आज भी चीन के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई करने को लेकर सरकार पर विपक्ष और जनता का बड़ा दबाव है, सरकार को अब सेना प्रमुखों और CDS को पूरी छूट, साजो-सामान और पर्याप्त समय देना चाहिए, तभी कार्रवाई असरदार रहेगी। तब तक सरकार को चीन की वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक घेराबंदी, देश के अंदर चीन की आर्थिक घेराबंदी और विशेष रूप से चीन को समर्थन करने वाले वामपंथियों पर लगाम कसनी चाहिए! जंग हारने या जवानों की वीरगति के लिए नहीं लड़ी जातीं, जीतने के लिए लड़ी जातीं हैं और जीत तभी मुमकिन है जब आप पूरी तैयारी, प्लानिंग और संसाधनों के साथ जाएं!