हम भारतीय लोग के जीवन में सुबह उठने से लेकर रात में सोने से अगले सुबह तक प्रयोग में आनेवाले हर कुछ के प्रचार के लिए बॉलीवुडिया स्टाइल में कुछ न कुछ मॉडल जरूर है।
खैर मॉडल होना भी चाहिए। अब तो मॉडल स्कूल, मॉडल टाउन, मॉडल पैखाना रूम तरह तरह के सैंपल अपने आसपास में प्रेजेंट है।
हां तो चर्चा को आगे ले जाते हुए कुछ आजकल के बहुचर्चित मॉडल पर विचार कर लिया जाए।
बीमारी फैलाने वाली मॉडल की बात हुई तो वूहान वाली मॉडल नज़र आई। और जब कोरोना फ़ैल गया तो किसी इसे रोकने के लिए साउथ कोरिया वाली मॉडल की बात कर दी। फिर ईरान, इटली, फ्रांस, स्पेन, इंग्लैंड, और अब सब बंद कर के अमेरिका मॉडल चर्चा में रह गई है। वैसे अमेरिका मॉडल पर कम ट्रंप के “खराब” मॉडल पर विशेष टिप्पणी की गई है।
अब आते हैं भारत में, यहां भीलवाड़ा मॉडल का प्रचार करते करते जयपुर, से लेकर कोटा मॉडल सामने आ गया। और टोंक मॉडल गायब हो गया जहां पर कुछ स्पेशल ट्रीटमेंट वालों ने तलवारें चला दी।
बंगाल की बांकुरा वाली मॉडल और कार्यकर्ता द्वारा corona संदिग्ध को जला के सबूत मिटा देने वाली मॉडल अभी तत्काल चर्चा के बाहर है क्युकी यहां पर दीदी अपनी चारों तरफ वो गोल गोल घेरा लगा कर अपने आप को सोशल डिस्टेंसिंग कर ली है।
मध्य प्रदेश के इंदौर में वो पत्थर फेंक के दौड़ाने वाली मॉडल भी अपने आप में एक मॉडल ही है जिसका कॉपीराइट होने के बावजूद मोरादाबाद मॉडल सामने आ जाता है।
ये सब हो ही रहा था कि दिल्ली की आनंदविहार वाली मॉडल वहां महाराष्ट्र में इंजीनियरिंग वाली थीसिस की तरह थोड़ा सा मॉडिफाई (बस अड्डा के जगह मस्जिद) कर के पेस्ट कर दिया और फिर वही “मजदूर घर जाना चाहता है” वाला मॉडल हूबहू प्रयोग में आ गया।
लेकिन इन सब से परे आजकल केरल मॉडल चर्चा में है। वैसे होना भी क्यू नहीं चाहिए, क्यूंकि वहां ज्यादा है “लियूट्रेशी” तो हर कुछ में टॉपर होना तो बनता ही है। वैसे केरल की सरकार की PR मॉडल भी अपने आप में प्रसिद्ध हीं है। कारण वही “लियूट्रेशी”।
इतने सारे मॉडलों के मार्केट में आ जाने से और कुछ हुआ कि नहीं ये तो पता नहीं लेकिन इन सब के बीच तब्लीग़ी जमात का थुकफेकीया, मुतनाहा, और नंगा नाच वाले मॉडल के तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश सरकार की हर समस्या पर क्विक एक्शन वाली मॉडलें पहली फुरसत में चर्चा से गायब हो गए। क्या करें मॉडल ही ऐसा (अन सेक्युलर) है।