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काका हाथरसी अपनी कविताओं में जो अस्वीकरण दे न सके
काका हाथरसी की रचनाएं आज के दौर में भी कई नेताओं पे फ़िट बैठती हैं
राजभाषा हिंदी का विकास और यथास्थिति
बहुभाषी समाज में अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए संपर्क भाषा हिन्दी ही हो सकती है। हिन्दी भाषा समस्त देश-विदेशवासियों को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है।
हिंदी भाषा का बढ़ता अंग्रेजीकरण
हिंदी भाषा मे बढ़ते प्रदूषण के लिए मीडिया से ज्यादा हम एक समाज के तौर जिम्मेदार है। न जाने कितनी बार हम हिंदी भाषा का मजाक बनते हुए देखते हैं परन्तु हमारे लिए यह सब अब ‘नार्मल’ हो चला हैं।
कुछ दिन तो गुजारिये गधराज में!
राजनीती की प्रयोगशाळा कहे जाने वाले उत्तरप्रदेश में गणतंत्र को गधातंत्र कैसे बनाया जाता है ये यूपी के नेताओ से अच्छा भला कौन बता सकता है। यहाँ गधो के लिए, गधो के द्वारा, गधो की ही सरकारे बनती आयी है।
How a Jan-Dhan account changed the life of an ISB Graduate
Ashish -
We as a country, as a system, want to make Digital India a rapid success, our banking and other services need to be communicated in native and vernacular languages as well, other than English.
A practical approach to preserve Indian vernacular languages
We need to be aware that our books for Hindi are incredibly boring for young children. In an era of trains, planes, cars, computers and internet, the excited school student does not want to read a sermon on morals, culture or patriotism.
प्रोपगैंडा की आज़ादी
आज का दर्शक-पाठक जागरूक हो गया है रवीश जी। आप जिस रंग के चश्मे को लगा कर समाचार लिखते-दिखाते हैं, जरूरी नहीं कि वो उसी रंग के चश्मे से उसे पढ़े-देखे। वो अब पढ़ता-सुनता-देखता है और फिर सोचता है कि आपके बताये-दिखाये खबर में कितना सच है और कितना वैचारिक पक्षपात।
प्रधानमंत्री जी को खुला-पत्र – एक राष्ट्रवादी मन की व्यथा!!
The nation demands a tough response to Pakistan