3 Articles by
Dr Lalit Singh Rajpurohit
वर्तमान में नई दिल्ली में, एमओपीएण्डजी मंत्रालय के अधीन सरकारी उपक्रम में 'राजभाषा अधिकारी' के पद पर तैनात हैं। कविताएं, कहानियाँ क्षेत्रीय अखबारों एवं पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रही हैं। पत्रकारिता एवं संपादन के क्षेत्र में खेतेश्वर संदेश नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। विभिन्न संगठनों / हिंदी सेवा समितियों के साथ राजभाषा हिंदी प्रचार प्रसार के कार्यों से जुड़े हैं। प्रतिलिपि, वाटपेड एवं जुगरनट जैसे आनलाइन हिंदी पुस्तक प्रकाशन मंचों पर उनकी रचनाओं/कहानियों का एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग है। दो पुस्तकें हिंदी कहानी संग्रह आत्माऍं बोल सकती हैं तथा एक कविता संग्रह प्रकाशित।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भाषा विवाद का जिन
यदि हम इसी तरह भाषाई मामलों पर तल्खी लाते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के हालात भी यूरोप जैसे हो जाए। इसलिए एक स्थायी देश के निर्माण के लिए समाजवाद और राष्ट्रवाद दोनों जरूरी हैं, भाषाई विवाद नहीं।
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राजभाषा हिंदी का विकास और यथास्थिति
बहुभाषी समाज में अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए संपर्क भाषा हिन्दी ही हो सकती है। हिन्दी भाषा समस्त देश-विदेशवासियों को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है।
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खालिश हिंदी के नाम पर त्रिभाषी साइनबोर्ड का विरोध
बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने अपने स्टेशनों के साइनबोर्डों को कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखवाया तो बहुत से अंग्रेजीदां लोग इसके विरोध में उतर आए और इस मुद्दे को ट्वीटर पर ट्रोल किया जाने लगा।