Thursday, April 25, 2024
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2014 से लोकतंत्र खतरे में है

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Shivam Kumar Pandey
Shivam Kumar Pandeyhttp://rashtrachintak.blogspot.com
Ex-BHUian • Graduate in Economics• Blogger • IR& Defence ,Political and Economic Columnist..

विदेशी विचारधारा से प्रेरित होकर कुछ लोग अपने देश और संस्कृति को गाली देने लग जाते हैं। ऐसे लोगों को समझाना बुझाना चाहिए अगर फिर भी नहीं समझते हैं तो इनका समाज में बहिष्कार करना कहीं से भी गलत नहीं है। इसे भारत का दुर्भाग्य कहेंगे कि यहां की माटी पर मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं, जो पाश्चात्य विचारधारा का अनुगामी बनते हुए यहां की परंपरा और प्रतीकों का जमकर माखौल उड़ाने में अपने को धन्य समझते है।

विदेशी चंदों पर पलने वाले ये लोग नक्सलवाद और अतंकवाद को बढ़ावा देते हुए मिल जाएंगे। इस देश की शिक्षा प्रणाली में यही लोग बैठे थे इन्होंने इतिहास की धारा को ऐसा मोड़ा की गोरी, गजनवी, बाबर, अकबर, नादिरशाह, तुर्की आदि सब महान हो गए। देश की सत्ता कांग्रेस के हाथ में थी और शिक्षा वामपंथियों के हाथ में देखने वाली बात ये है एक ने पूरे देश को बर्बाद किया दूसरे शिक्षा के माध्यम से देश को “मुल्क” बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। इतना ही नहीं वो अरबी लुटेरा मोहम्मद बिन कासिम जिसको हिन्दू राजा दाहिर ने 3 बार पराजित किया।जिसके घराने के लोगो ने आज के अफ़गानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, पंजाब, इरान के कइ हिस्सों पर शासन किया, पराजित होने के बाद बिन कासिम ने यही के स्थानीय शक्तियों जैसे जाट, मेढ, भुट्टो, नेहुर, बाजरा, कालाकोकर, बौद्ध नरेशो को मिलाकर 712 ई.अरोर के भीषड युद्ध मे उम्मैयत खलिफ़ा के लिए हराकर कासिम ने ह्ज्जाज बिन कासिम को सिर कलम करके भेजा, युद्ध से पूर्व राष्ट्रभक्त दाहिर ने कहा था कि युद्ध मे यदि जीता तो इतिहास बनकर देश याद करेगा और मरा तो भी इतिहास लिखा जायेगा, किन्तु आज दाहिर को दो चार पंक्तियों मे पराजित नरेश के रूप मे किताबो मे पढाया जाता है।

बलबन ने भी दाओब के हिंदुओं को कुचलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा। एक कड़ी लड़ाई हुई और बड़ी संख्या में हिंदुओं का कत्ल कर दिया गया और उनकी महिलाओं और बच्चों को गुलाम बना दिया गया। ऐसा सभी मुस्लिम शासकों ने किया। ये लोग हमारे देश को लुटने आए थे और लुटे भी! सारा धन लेकर चले गए पर मन्दिरो ने उनका क्या बिगाड़ा था? जिसको ये लोग ध्वस्त कर के चले गए। इससे साफ पता चलता है कि आज तक जितने भी आक्रमण हुए है हमारी संस्कृति को बर्बाद करने के मकसद से हुआ है। इन सबके ऊपर सवाल खड़ा करके इनको गाली दिया जाय तो कुछ तथाकथित लोग सेक्योरिलिजम के नाम पर नंगा नाच करने लग जाते हैं। फ़्रेंच, डच, और पुर्तगालियों से कामयाब ब्रिटिश थे जिन्होंने पूरे भारत को अच्छे से 200 साल तक लूटा।सोने की चिड़िया कहे जाने चाणक्य जैसे महान विद्वानो की धरती को पूरी तरह से धराशाही कर दिया गया। लॉर्ड मैकाले ने पूरी शिक्षा व्यस्था को बर्बाद कर दिया और पश्चिमी संस्कृति का प्रचार होने लगा। इन फिरंगियों ने अपने साथ थल,वायु और जल सेना के अतरिक्त भी एक सेना बना के रखी थी वो है “मिशनरी” जिसका कार्य भारतीय संस्कृति को बर्बाद करना और पैसे के बल पर लोगो को अपने धर्म शामिल करना था।

आजादी के बाद अंग्रेज़ तो चले गए पर उनकी बनाई हुई संस्था कांग्रेस और मिशनरी यही रह गई जो अब तक देश को तहस – नहस करने में लगी हुई है। कांग्रसियों का जूठन खाने वाले मार्क्स, स्टालिन, लेनिन या माओ की औलादो का सांठ गांठ इन मिशनरियों से रहता है। ये सब दलितों और आदिवासियों के बस्ती में जाके उनको हिन्दू धर्म के खिलाफ भड़का के और थोड़े पैसे देकर आसानी से बहला फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कर देते है। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में मिशनरियों का फैलाया गया जाल किसी से छिपा नहीं है। ओडिशा के कंधमाल जिले के जले पटा आश्रम में जन्माष्टमी के दिन स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या, 2008 अगस्त की घटना है। इसके बाद वहा चर्च (मिशनरी वालों) की गतिविधियां बढ़ गई थी। हिन्दू जनमानस ये सब पता नहीं कैसे भुल जाता है? मुल्ला मौलवी का खेल कश्मीर में देखा जा सकता है जब 90 के दशक में 50 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों का नरसंहार किया गया जिहाद के नाम पर, हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, घरों को फुक दिया गया।

बड़े – बड़े पोस्टर लगे थे हिंदुओं तुम जाओ अपनी पत्नी, लड़की और बहनों को छोड़ दो! ऐसी क्रूरता जिसकी दिखाई गई जिसको बताने में आंखो से रक्त के आंसू बहने लगते है। इन सबको दरकिनार करते हुए सत्ताधारियों ने मुस्लिम तुष्टिकरण की रजनीति को आगे रखा। पत्रकारों और पढ़े लिखे बुद्धिजीवियों ने भी इनका भरपूर साथ दिया। अफजल गुरु, याकूब मेमन आदि जैसे अतांकियो के मरने पर हमारे देश में यही मुट्ठीभर लोगो द्वारा शोक व्यक्त किया जाता है। इन लोगो लिए साल 2014 से देश में लोकतंत्र खतरे में है क्योंकि 8 सालो में कश्मीर से आतंकियों का सफाया हो रहा है, धारा 370 जो बेहूदगी से भरा उसका नाश हो गया, नक्सलवादियों कि कमर तोड़ी गई, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ हो गया, नागरिकता संशोधन कानून आदि। इतना ही नहीं चीन को भी मुंहतोड़ जवाब दिया जाता है इसके विपरित पिछली सरकार ने तो हिंदी- चीनी भाई भाई का माहौल बनाके रख दिया था।

शुक्र है कि देश में संघ जैसा कोई राष्ट्रवादी संगठन भी है जिसने कदम कदम पर संस्कृति कि रक्षा की और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने का काम किया नहीं तो इन कांग्रसियों और उसके सहयोगी विपक्षियों, लाल सलामी, तथाकथित सेक्युलर झामपंथियो और मीडिया वालो ने हिंदुओं को ही आतंकी सिद्ध करने में लग गए थे।

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