Saturday, April 27, 2024
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Shivam Kumar Pandey

Ex-BHUian • Graduate in Economics• Blogger • IR& Defence ,Political and Economic Columnist..

भारत: विश्वगुरु से विश्व नेतृत्व की यात्रा

जी20 सम्मलेन भारत की एक ऐतिहासिक सफलता है। जिसे आने वाले समय में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा। वैश्विक स्तर पर मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने जो पहचान बनाई उसको आने वाले समय में भी बरकरार रखना होगा तभी देश विश्व गुरु बन पायेगा।

क्या सिर्फ़ सत्ता के लिए राष्ट्र-खंडन भी मान्य हैं?

मोदी विरोध में अपने ही देश के सेना पर सवाल खड़े कर दिया था इन लोगों ने। सुरक्षाबलो पर बलात्कार का आरोप लगाना हो या बीएसएफ जवान का पतली दाल वाला नौटंकी सब साजिश का हिस्सा था। पूरी छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई थी लेकिन पुलावामा हमले के बाद वही सीआरपीएफ के जवान इनके लिए राजनीतिक मुद्दा बन जाते है।

कांग्रेस के राहुल देश के लिए राहु बन गए है?

वाह राहुल जी वाह जो देश का दो फाड़ करा दे वो सेकुलर नही होगा तो कौन होगा। इनके सामने ही खालिस्तानी समर्थक नारे लगा रहे थे।

इस्लामिक कट्टरपंथियो का मुहतोड़ जवाब देना जरूरी है

तथाकथित लेफ्ट विंग मीडिया, पत्रकार और विपक्ष के नेताओ ने कोई कसर नही छोड़ी है भारत और भारतीय सेना को बदनाम करने में। क्या-क्या आरोप नही लगा सुरक्षा बलो और सेना के जवानों पर कोई हत्यारा कहता तो कोई बलात्कारी।

Indian conviction of the “Akhand Bharat”

“Akhand Bharat” the agenda of ruling government of India. It won’t be fulfilled without occupying and including POK. Akhand Bharat is not a just political rather cultural concept.

और जिम्मेदार लोग इतिहास कि इस समीक्षा से आसानी से बच के निकल गए।

हमें सुखदेव और राजगुरु को भी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने भगत सिंह के साथ ही हंसते हुए फांसी के फंदे को गले लगाया था कि मातृभूमि का उद्धार हो सके। पर इन्हें क्या मालूम था आने वाले समय में भारत के टुकड़े हो जाएंगे।

इनकी हैवानियत का कोई अंतिम बिंदु नही है

सिर तन से जुदा करने वाले कठमुल्लों ने देश में अशांति और अराजकता का माहौल पैदा कर दिया है। हाथ में छुड़ा चाकू लेकर निकल पड़ते है काफिरों का गर्दन उड़ाने के लिए।

सामाजिक परिवर्तन सदा ही ताकत और विशेष सुविधाएं मांगने वालो के लिए भय पैदा करता है

इतिहास हमसे मांग करता है कि हम अपनी सूझ बूझ से बलिदानी शहीदों को समझे और संकीर्णता का शिकार होने से बचें। युवाओं को शहीद भगत सिंह का यह कथन गांठ बांध लेना चाहिए- "पढ़ो ,आलोचना करो , सोचो व इसकी (इतिहास की) सहायता से अपने विचार बनाने का प्रयत्न करो।"

2014 से लोकतंत्र खतरे में है

इसे भारत का दुर्भाग्य कहेंगे कि यहां की माटी पर मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं, जो पाश्चात्य विचारधारा का अनुगामी बनते हुए यहां की परंपरा और प्रतीकों का जमकर माखौल उड़ाने में अपने को धन्य समझते है।

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