Friday, March 29, 2024
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हत्या का षड्यंत्र २०२० में और उस पर अमल २०२२ में

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Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

साल २०२० में एक यूट्यूब चैनल पर खालिस्तानी आतंकवादियो ने एक एनिमेटेड वीडियो अपलोड किया था, जिसमें जो कुछ दिखाया गया था वो कुछ इस प्रकार है:-

१:- प्रधानमंत्री जी अपने कार्यालय से बाहर निकलते हैं अपनी SPG सुरक्षा के साथ और गाड़ी में बैठकर निर्धारित स्थान कि ओर बढ़ने लगते हैं।

२:- उधर आतंकियों को सुचना पहुंचती है और पुर्वनियोजित षड्यंत्र के अनुसार अपने अपने ट्रैक्टर लेकर निकल पड़ते हैं, उनका इरादा किसानों कि आड़ में प्रधामंत्री को निर्धारित स्थान रोककर उन्हें घेरकर खत्म करने का है।

३:- जैसे हि प्रधानमंत्री का काफिला एक ब्रिज पर पहुंचता है वंहा पहले से जमा हुए किसानों और उनके बीच में छुपे हुए आतंकियों के द्वारा उन्हें रोक लिया जाता है।

४:- ब्रिज पर प्रधानमंत्री जी कि कार बुरी तरिके से फस जाती है, वो ना तो आगे जा सकते हैं, ना पीछे, ना दाये और ना बाएं। उनकी कार के पास ३ SPG कमांडो दिखाए जाते हैं उस वीडियो में और फिर किसानों के भेष में छीपे आतंकी उन्हें घेर लेते हैं, किसी के हाथ में राड है तो किसी के हाथ में धारदार हथियार और फिर सब मिलकर…….

मित्रों इस वीडियो कि एक एक बात पर अमल किया गया है फिरोजपुर (पन्जाब) की घटना में और वो कैसे आइये देखते हैं।

१:- प्रधानमंत्री जी को पहले हवाई मार्ग से जाना था परन्तु मौसम खराब  होने के कारण हवाई मार्ग से जाना जोखिम भरा था अत: उन्होंने आकस्मिक रूट यानी सड़क मार्ग से जाने का निर्णय किया (विदित हो कि केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियो द्वारा पंजाब पुलिस को एक दिन पूर्व हि मौसम खराब होने का अनुमान बताकर आकस्मिक और सुरक्षित मार्ग कि व्यवस्था करने का सलाह दिया गया था)।

२:- सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब के डीजीपी (DGP) से बात की और सड़क मार्ग से निर्धारित स्थान पर जाने के निर्णय से अवगत कराया और सुरक्षित मार्ग कि माँग की। फिर (DGP) डीजीपी ने कहा कि इस मार्ग पर सब ओके है निकल जाओ, मुद्दे कि बात ये है कि DGP या उनके किसी नॉमिनी को प्रधानमंत्री के काफिले के साथ जाना पड़ता है, परन्तु DGP कि गाड़ी तो काफिले में थी परन्तु ना तो DGP उस गाड़ी में थे और ना हि उनका कोई नॉमिनी।

३:-प्रधानमंत्री जी के काफिले को हरी झंडी दिखाने के बाद उनके मार्ग की खबर प्रदर्शनकारियों को दे दी जाती है।

४:- फिर उस २०२० के वीडियो में दिखाए गए दृश्य के अनुसार २०२२ में उस ब्रिज के ऊपर प्रधानमंत्रीजी के काफिले को रोक दिया जाता है, प्रदर्शनकारियों कि भीड़ के द्वारा।

५:- उस २०२० के वीडियो में दिखाए गए दृश्य के अनुसार प्रधानमंत्री जी की गाड़ी चारों ओर से घिर जाती है, यंहा भी ना वो आगे जा सकते हैं और ना पीछे, ना तो दाये जा सकते हैं और ना बाएं।

६:-अब बस अंतिम दौर के दृश्य के अनुसार ब्रिज पर कुछ होना था, SPG के कमांडो प्रधानमंत्री जी को सुरक्षा घेरे में लेकर अपने आग उगलने वाले हथियारों के साथ सतर्कता से किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए अपनी मजबूत उंगलियों को हथियारों के ट्रिगर पर मजबूती से चिपका कर प्रतीक्षा करने लगते हैं।

करीब २० मिनट के इस भयानक मंजर के पश्चात प्रधानमंत्री जी के आदेश पर त्वरित गति से अमल करते हुए, काफिले को किसी प्रकार वापस लौटा ले जाने में सफल हो जाते हैं।

(मित्रों यंहा पर मुझे महाराष्ट्र के पालघर में हुए दो संतो कि भयानक हत्या कि याद आ गई किस प्रकार पुलिसवालो ने उन संतो को जानवरो के हवाले कर दिया ताकि उनकी बोटी बोटी नोच कर उन्हें जिंदा खा जाए और हुआ भी वही।)

अब ज़रा तत्कालीन हालात पर गौर कीजिए आप तत्क्षण ये पाएंगे कि प्रधानमंत्री जी को पुल पर रोक दिया गया था, जिसका अर्थ है कि उनके पास दाएं या बाएं मुड़ने का कोई रास्ता नहीं था।जाहिर है, वह प्रदर्शनकारियों के कारण आगे भी नहीं बढ़ सकते थे, वे वापस भी नहीं जा सकते थे क्योंकि पीछे का रास्ता अन्य वाहनों द्वारा अवरुद्ध है जिसका स्पष्ट तात्पर्य है कि वे इस तरह से जाम में फंसे हुए थे कि आतंकी हमला होने पर वे बच नहीं सकते थे।

पंजाब सरकार ने प्रधानमंत्री जी के रूट को सुरक्षित नहीं किया। उन्होंने पहले से सड़कों की सफाई नहीं की प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री जी के वास्तविक मार्ग कि जानकारी मिल गई ताकि वे एक छोटी सूचना के साथ सड़क को अवरुद्ध कर सकें। जब प्रदर्शनकारियों ने पीएम के काफिले को रोका तो पंजाब पुलिस को तुरंत पीछे से आने वाले ट्रैफिक को रोकना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं किया। जब प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री जी के काफिले के करीब जाने लगे तो पंजाब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया।आमतौर पर प्रोटोकॉल के अनुसार, पंजाब के सीएम को भटिंडा में उनका स्वागत करने और फिरोजपुर तक उनके साथ जाने के लिए जाना चाहिए था। लेकिन उन्होंने नहीं जाने का फैसला किया। केवल एक मंत्री ने भटिंडा में पीएम का स्वागत किया और उन्हें वहीं छोड़ दिया। वह भी पीएम के साथ यात्रा नहीं कर रहे थे। यानी पंजाब कांग्रेस पार्टी का कोई भी नेता पीएम के साथ फिरोजपुर नहीं गया।

संक्षेप में, पीएम को अवरुद्ध कर दिया गया, अलग-थलग कर दिया गया और लाठियों और तलवारों से प्रदर्शनकारियों का सामना करने के लिए छोड़ दिया गया।

क्या प्लान था…??? क्या पंजाब में मोदी को मारना था? यह विफल क्यों हुआ? ऐसे कई जिज्ञासाएं ह्रदय में उथल पुथल मचाए हुए हैं।

क्या इसलिए कि सीडीएस बिपिन रावत की तरह ही उनके हेलीकॉप्टर को क्रैश करने की योजना थी, लेकिन खराब मौसम के कारण यह विफल हो गया? योजना बी के अनुसार सड़क पर ही उनकी हत्या करने की थी लेकिन हत्यारे समय पर वहां नहीं पहुंच पाए या फिर प्रधानमंत्री जी के काफिले ने यू टर्न बहुत जल्दी ले लिया और किस वजह से हत्यारे अपना काम नहीं कर पाए? हम सभी को ये यकीन है कि इस योजना में कुछ विफल रहा है इसलिए आज हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी जीवित हैं।

-प्रेसीडेंट और प्राइम मिनिस्टर की सुरक्षा ब्लू बुक के हिसाब से तय होती है । ब्लू बुक में सारी सुरक्षा डिटेल और निर्देश होते हैं जो राज्य सरकार को करने होते हैं । स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप… लोकल-टॉप एजेंसी और पुलिस के अलावा किसी को भी मालूम नहीं पड़ सकता है कि प्रधानमंत्री का दस्ता कहां से निकलने वाला है ? लेकिन जानबूझकर प्रदर्शनकारियों के बीच में प्रधानमंत्री जी के रूट का ब्यौरा लीक करवाया गया !

एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री संजय दीक्षित द्वारा संचालित एक प्रसिद्ध यूट्यूब चैनल “जयपुर डायलॉग्स” ने देश के शीर्ष पांच लोगों की सुरक्षा को कैसे संभाला जाता है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसका विवरण दिया है? उन्होंने खुद एक शीर्ष आईएएस अधिकारी होने के नाते अपने करियर में इन आवश्यकताओं को संभाला है।

श्री संजय दीक्षित बताते हैं कि:-

1) यद्यपि कि प्रधानमंत्री जी की व्यक्तिगत सुरक्षा एसपीजी (SPG) द्वारा नियंत्रित की जाती है, फिर भी सड़क मार्ग पर सुरक्षा सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित की जाती है।

2) केंद्रीय गृह मंत्रालय यात्रा सुरक्षा विवरण को अंतिम रूप देने के लिए राज्य सरकार के साथ काफी पहले से काम करता है। यंहा भी एक हफ्ते पहले से सभी सुरक्षा एजेंसियां राज सरकार और उसकी पुलिस के संपर्क में अनवरत थी।

3)योजना में मुख्य योजना, बैकअप योजना ए, बी और सी शामिल हैं। इन सभी योजनाओं को राज्य के गृह विभाग और आईजीपी के साथ अंतिम रूप दिया जाता है। अंतिम समय में कुछ भी तय नहीं होता है। लेकिन वैकल्पिक यात्रा मार्गों (बैकअप प्लान ए, बी, सी) को गुप्त रखा जाता है। केवल शीर्ष 2-3 राज्य के अधिकारी ही सारी योजनाओं को जानते हैं।

4) इस मामले में, सभी जानते थे, पीएम बठिंडा से फिरोजपुर के लिए हेलीकॉप्टर लेने जा रहे थे। इसमें कोई रहस्य नहीं था। लेकिन आखिरी वक्त में खराब मौसम के चलते पीएम ने हेलिकॉप्टर से यात्रा नहीं करने का फैसला किया और रोड ट्रिप करने का फैसला किया।

5) पंजाब सरकार के लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। बैकअप योजनाओं ए, बी या सी को अंतिम रूप देने के दौरान पहले ही इस पर चर्चा की गई होगी। एकमात्र अज्ञात कारक यह था कि प्रधानमंत्री जी ए, बी या सी में से कौन से मार्ग प्रस्थान करेंगे परन्तु राज्य सरकार का ये प्रथम दायित्व बनता है कि वो तीनो मार्ग को साफ रखे।

6) जब पीएम ने रोड ट्रिप करने का फैसला किया, तो इसकी सूचना पंजाब पुलिस के आईजीपी को दी गई। उन्होंने लेने के लिए सबसे अच्छे मार्ग का आकलन किया होगा और तदनुसार पीएम सुरक्षा की सलाह दी होगी। यही वजह है कि पीएम को भटिंडा एयरपोर्ट से सड़क यात्रा शुरू करने में 20 मिनट का समय लगा।

7) मार्ग चुनने के इस निर्णय को अंतिम क्षण तक गुप्त रखा जाता है और जब भी यह निर्णय लिया जाता है, तो इसे केवल कुछ लोगों को ही सूचित किया जाता है, वह भी जानने की आवश्यकता के आधार पर। इसलिए इसे बहुत ही गुप्त रख्खा जाता है। यह मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुसार प्रक्रिया है, जिसे ब्लू बुक भी कहा जाता है।

अब प्रश्न ये है कि यदि चुने हुए मार्ग को गुप्त रखा गया तो आंदोलनकारी उस मार्ग पर कैसे पहुंचे? यानी पंजाब पुलिस से टॉप सीक्रेट जानकारियां लीक हुई हैं। लीक का पता लगाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है क्योंकि केवल कुछ शीर्ष पुलिस अधिकारी ही मार्ग जानते थे। मुझे यकीन है कि केंद्र सरकार इसका पता लगा लेगी। लेकिन बात यह है कि पंजाब पुलिस की ओर से सुरक्षा में सेंध लगना तय है।

एक और बिंदु यंहा उल्लेखनीय है कि जब पुल पर प्रदर्शनकारियों द्वारा पीएम के काफिले को रोका गया, उसके तुरंत बाद, आने वाले वाहनों द्वारा उनकी वापसी का मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया। यानी उनके पास यू टर्न लेने और वापस जाने का कोई रास्ता नहीं था।

यह सुरक्षा में बहुत गंभीर चूक है। राज्य पुलिस को इस मार्ग पर यातायात को इस तरह से नियंत्रित करना चाहिए था कि कोई भी वाहन पीएम के काफिले के चंद किलोमीटर के दायरे में न पहुंच सके।

अब दोस्तों यंहा पर महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जिस मोदी जी ने कांग्रेस के शाशनकाल में आतंकवादियों के द्वारा ललकारने पर अपनी जान हथेली पर रखकर श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा दिया था और जिस मोदी से सीधी टक्कर अमेरिका, चीन व अन्य वैश्विक स्तर के ताकतवर नेता भी नहीं ले रहे और जो कभी किसी से डरता भी नहीं है, फिर वो मोदी जी उस ब्रिज से चुपचाप वापस क्यों लौट गया.?…

तो मित्रों २०२० के वीडियो का परिदृश्य ऊपर लिखें गए तथ्यों से दर्शाते वक़्त मैंने बताया था कि किसानों कि आड़ में वो दुर्दांत आतंकी भी उस भीड़ में शामिल थे, जिन्होंने हमारे प्रधानमंत्री जी को मारने कि पूरी योजना बना रखी थी, परन्तु हमारे प्रधानमंत्री जी ने ब्रिज से चुपचाप वापस होकर खालिस्तानी आतंकियों के द्वारा हिन्दुओ और सिक्खों के मध्य दंगे करवाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया। मित्रों भूलो मत तीन कृषि विधेयकों के विरोध के नाम पर पहले भी हिन्दुओ और सिक्खों के मध्य दंगे करवाने कि योजना बनायीं गई थी, परन्तु उसके विफल हो जाने के कारण, वो गद्दार इन हालात का फायदा उठा सकते थे, आप सोच रहे है कैसे , आइये आपको समझाते हैं:-

तथाकथित किसानों की भीड़ इतनी नजदीक आ गई थी कि प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में लगी SPG ने एक्शन लेने की तैयारी कर दी थी। अर्थात जो हथियार सीने पर लटके हुए हम देखते हैं वो उन जाबाज कमांडो के हाथो में उनकी उंगलीयो के इशारो कि प्रतीक्षा में मुस्तैदी से तने हुए थे। SPG कमांडो जो कि एक सेंकड में ही दुश्मन को सटीक निशाने से ढ़ेर कर सकते हैं जिनके पास हजारों गोलियां व अन्य असलहा हर समय गाड़ी में लैस रहता है और जीनका एक ही लक्ष्य होता है कि प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा होनी हि चाहिए भले ही इसके लिए किसी भी हद तक जाना पड़े।

नजदीक आते गद्दारों की भीड़ ने SPG कमांडो को हथियार चलाने की अनुमति लेने के लिए विवश कर ही दिया था कि एकाएक अपनी गाड़ी में शांतचित्त गम्भीर मुद्रा में बैठे राजनीतिक सन्यासी ने कुछ तर्क देकर गद्दारों द्वारा इक्क्ठा की गई अपनी सैकड़ों प्रजा (सिक्खों)की जान बचाने के लिए एक अचंभित करने वाला निर्णय ले लिया और जिस SPG दस्ते के स्वचालित अत्याधुनिक हथियारों की मैगजीनों में भरी हजारों गोलियां सिर्फ ट्रिगर दबने का ही इंतजार कर रही थी, एकाएक उस SPG दस्ते को काफ़िला वापस मोड़ने की तैयारी का आदेश दे दिया। अत: पल भर बाद हि सैकड़ों, हजारों लोगों की जान लेने पर विवश हो जाने वाले SPG कमांडो एकाएक त्वरित कार्यवाही करते हुए एक एक वाहन को पुनः वापसी के लिए मूव करवाने लग गए और इस प्रकार एक दूरदर्शी महान नायक ने अपनी प्रजा के लिए राजधर्म का पालन करने का निर्णय लिया अपनी खामोशी से सैकड़ों सवालों का मौन प्रत्युत्तर देते हुए स्वयं को एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ नेता सिद्ध कर दिया….

विदेशी गुप्त दौरे पर गए बहरूपिये व उसकी विधर्मी बहन तथा विदेशी मूल की माता ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि हिंदुओं की धरती पर अब विदेशी गद्दारों के षड्यंत्र असफल हो जायेंगे……क्योंकि सनातन संस्कृति के धर्मोपदेशानुसार राजधर्म निभाने वाले नेता को हिन्दूओ ने शीर्षसता पर बिठाया है…..

तो मित्रों इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे देश में पल रहे आस्तीन के सांप (जिसमें एक खुद को पाकिस्तानी भिखारी और षड्यंत्रकारी इमरान खान का छोटा भाई मानता है और दूसरा जो क्रीप्टो क्रिस्टियन है) ने खालिस्तानी आतंकियों से मिलकर २०२० में बनाए और एनिमेटेड वीडियो के द्वारा दर्शाये गए षड्यंत्र को किस प्रकार असली जामा पहनाने कि कोशिश कि। इसलिए हमें कम से कम चुनाव भर् तो संयम से काम लेना हि होगा, उसके पश्चात् इन आतंकियों और इनके साथियों का दमन शुरू होगा।

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