सार: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने आरोप लगाया कि संघ और भाजपा का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था। लेकिन कमलनाथ को यह नहीं भूलना चाहिए कि आजादी कांग्रेस और महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़ी गई थी, आज़ादी की लड़ाई में हर भारतीय का योगदान था। गांधी जी ने ए.ओ. द्वारा गठित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को समाप्त करने की बात भी कही थी। स्वतंत्रता संग्राम में किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी का कोई योगदान नहीं है, आजादी की लड़ाई में सभी का रक्त शामिल है।
विस्तार:15 अगस्त को भारत ने अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पिछले सात दशकों में जितनी आलोचनाओं का सामना किया है, दुनिया में शायद ही कोई ऐसा संगठन होगा जिसकी इतनी आलोचना की गई हो, विपक्ष हमेशा यह आरोप लगाता रहा है कि संघ और भाजपा का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था। इस विषय पर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि हम इस बहस में नहीं पड़ते कि संघ ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ाई में योगदान था या नहीं, इस पर बहस करने से पहले हमें संघ की स्थापना के कारणों को देखना होगा। संघ के संस्थापक, डॉ केशव बलिराम हेडगेवार, कांग्रेस में शामिल हो गए और 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का हिस्सा थे और वो जेल भी गए थे। महात्मा गांधी द्वारा खिलाफत आंदोलन का समर्थन करने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और उन्होंने 1925 में संघ की स्थापना की।
संघ के पूर्व प्रचारक नरेंद्र सहगल ने अपनी पुस्तक ‘भारतवर्ष की’ में लिखा है सर्वांग स्वतंत्रता’, क्रांतिकारी राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे।मदन मोहन मालवीय संघ के कार्यक्रमों में आए थे और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1938 और 1939 में नागपुर में आंदोलन देखा था।नरेंद्र सहगल ने अपनी अन्य पुस्तक “डॉ हेडगेवार संघ और स्वतंत्रता संग्राम” में उल्लेख किया है कि 1885 में ब्रिटिश ए.ओ.ह्यूम द्वारा गठित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1929 तक कभी भी भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की बात नहीं की।लेकिन दिसंबर 1929 में लाहौर में आयोजित कांग्रेस के अखिल भारतीय अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया गया। डॉ. हेडगेवार ने पूर्ण स्वतंत्रता के इस प्रस्ताव का स्वागत किया।नेहरू के 26 जनवरी 1930 को देश के हर प्रांत में स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले आदेश पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, डॉ हेडगेवार जी ने पूरे देश में विशेषकर संघ की शाखाओं पर स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्देश दिया।देश भर में स्वतंत्रता दिवस का आयोजन करना कांग्रेस और संघ का ऐतिहासिक निर्णय था।
महात्मा गांधी ने की थी संघ की तारीफ
संघ प्रशंसा और प्रसिद्धि का लोभ त्याग कर अपने कार्य में लगा हुआ था।उन दिनों महात्मा गांधी की संघ को जानने की इच्छा कई दिनों से प्रबल थी।वर्धा में संघ का शीतकालीन शिविर चल रहा था, शिविर के दूसरे दिन सुबह ठीक 6 बजे महात्मा गांधी शिविर में आए। संघ में सभी जातियों, ब्राह्मणों और मराठों आदि के स्वयंसेवक हैं।गांधी जी ने यह देखकर बड़ा आश्चर्य व्यक्त किया कि सभी जातियों के स्वयंसेवक एक साथ रहते हैं, डॉ हेडगेवार की अनुपस्थिति में श्री अप्पा जी जोशी वहां मौजूद थे। उन्होंने विनम्रता से पूछा,”आपने जातिगत भेदभाव की भावना को कैसे मिटा दिया, इस काम में कई संगठन, संस्थाएं काम कर रही हैं, फिर भी लोगों के मन में भेदभाव है,आपने यह काम इतनी आसानी से कैसे किया” तो अप्पा जी ने जवाब दिया “सब हिन्दू मेरा भाई-भाई का रिश्ता है, इस भावना को जगाने से सभी भेदभाव नष्ट हो जाते हैं, इसका पूरा श्रेय संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार जी को जाता है।
भारत के विभाजन के बाद सितंबर 1947 में गांधी जी ने फिर से संघ की शाखा में जाने की इच्छा व्यक्त की।जब यह खबर तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरु जी को मिली तो वे तुरंत दिल्ली के बिरला भवन पहुंचे।जिसके बाद उन्होंने गांधी जी से मुलाकात की और संघ कार्य के बारे में विस्तार से बताया।16 सितंबर 1947 को गांधी जी ने वाल्मीकि कॉलोनी के मैदान में लगभग 500 स्वयंसेवकों को संबोधित किया और संघ के कार्य की प्रशंसा की।
संघ को गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था
आजादी के बाद महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन कुछ समय बाद प्रतिबंध हटा लिया गया था। आरएसएस दिल्ली राज्य कार्यकारिणी के सदस्य राजीव तुली का कहना है कि 1962 और 1965 के युद्ध में संघ ने बड़ी भूमिका निभाई,इसीलिए पंडित जवाहरलाल नेहरू को 26 जनवरी 1963 की परेड में भाग लेने के लिए संघ को आमंत्रित करना पड़ा, महज दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर 3500 स्वयंसेवक वर्दी में आए। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान संघ को याद किया था। 1965 के युद्ध में देश भर से आरएसएस के स्वयंसेवक सेना की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने सरकारी कामों में और खासकर सैनिकों की मदद में अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
हाल ही में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े अभिनेता अजय देवगन ने एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए इस बात पर जोर दिया कि हमारे इतिहास को दबा दिया गया है। बड़ी विडंबना है किराजनीतिक परिदृश्य में एक ही पार्टी के लोग देश को आजाद कराने का श्रेय लेते नजर आते हैं।