Religious terrorism उर्फ़ धार्मिक आतंकवाद: धार्मिक आतंकवाद (religious terrorism) वो घिनौनी, अमानवीय और घृणित मानसिकता है जो समाज की सहिष्णु और सहनशील वर्ग के लोगों की धार्मिक आस्थाओं, देवी देवताओं और मंदिरों को अपमानित और खण्डित कर के समाज में फूट डाल रही है।
ये धार्मिक आतंकवाद की मानसिकता और अजेंडा चलाता कौन है?
दोस्तों समाज का एक धड़ा है जो कि शकुनि और मंथरा से भी लाखों गुना कपटी और क्रूर है, जो धर्मनिपेक्षता, उदारवादिता और बुद्धिजीविता का नक़ली मुखौटा लगाये आपकी मानकिसकता पर क़ब्ज़ा कर आपके आत्मसम्मान और पहचान को अपंग बनाये बैठा है।
जो कि बड़ी ही चालाकी से अपने इस धार्मिक आतंकवाद (#religiousterrorism) के अजेंडे के तहत समाज के एक ही हिस्से (हिंदू) को जो की वास्तविकता में उदारवादी, सहिष्णु और सहनशील है को साम्प्रदायिक ना हो जाने का डर दिखा दिखा कर इतना कमज़ोर, कायर और छद्दम धर्मनिरपेक्षि (pseudo secular) बना चुका है की वो अपनी ही धार्मिक, पौराणिक आस्थाओं मान्यताओं और देवी देवताओं को गालियाँ दिये जाने और अपमानित किये जाने पर भी ठहाके लगाते हुए तालियाँ बजा कर उस अपमान को सहन करने के लिये मजबूर हो गया है।
क्या आप जानते हैं? ये कपटी छद्दम धर्मनिरपेक्षि, और आत्मघोषित उदारवादी और बुद्धिजीवीयों द्वारा सहिष्णु और उदारवादी समुदाय (हिंदू) की मानसिकता पर क़ब्ज़ा कर उसको साम्प्रदायिक ना हो जाने का डर दिखा कर उसको अपमानित, प्रताड़ित और समाप्त करने के अपने धार्मिक आतंकवाद (#religiousterrorism) के अजेंडे का सफल परीक्षण आज से लगभग 30 साल पहले कश्मीर में और उसके बाद समय समय पर देश के अन्य हिस्सों में भी किया जा चुका है।
19 जनवरी 1990 की रात से पहले कश्मीर में रहने वाले हिंदुओं को भी साम्प्रदायिक ना हो जाने का डर दिखा कर उनकी धार्मिक भावनाओं को बार बार अपमानित किया जाता रहा और अंत में 19 जनवरी 1990 की रात को धार्मिक आतंकवाद का अजेंडा चलाने वाले वामी क़ौमी छद्दमियों ने पूरी तैयारी के साथ कट्टर धार्मिक आतंकियों द्वारा सैंकड़ों कश्मीरी हिंदूओं की हत्याएँ, सैंकड़ों की तादात में माँ, बहन, बेटियों के साथ बलात्कार किया गया और लाखों की संख्या में हिंदुओं को जान बचा कर कश्मीर से भागने के लिए मजबूर कर दिया।
1990 से 2014 तक ये छद्दम धर्मनिपेक्षि वामी क़ौमी लोग आपने धार्मिक आतंकवाद के अजेंडे को सत्ताधारियों की मदद से फ़िल्मों, फूहड़ कामेडी शो, आतंकी मानसिकता से ग्रसित शायरों के मुशायरों और दलाल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में पनपाते रहे।
लेकिन जैसे ही 2014 में सत्ता बदली और सत्ता में इस धार्मिक आतंकवाद की मानसिकता से विरुद्ध मानसिकता वाले लोग आये तो इनको अपने इस धार्मिक आतंकवाद के अजेंडे को ख़तरा महसूस होने लगा इसलिए इन्होंने इसे फैलाने की गति तेज़ कर दी ताकि ज़्यादा से ज़्यादा हिंदुओं की मानसिकता को छद्दम धर्मनिरपेक्षता के हथियार से अपाहिज किया जा सके और मौक़ा देख कर उन्हें समाप्त करने के अपने एतिहासिक सपने को पूरा किया जा सके।
और इस अजेंडा को बढ़ाने में प्रमुख भूमिकाएँ निभाई: >देश विरोधी दलाल मीडिया ने> आतंकी मानसिकता से ग्रसित शायरों ने> फूहड़ स्टेंड अप्स ने> और फ़िल्म जगत के एक बहुत बड़े हिस्से नेजिन्होंने मनोरंजन और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर समाज के एक ही हिस्से (हिंदू) की धार्मिक और पौराणिक आस्थाओं मान्यताओं और भावनाओं का बार बार इस तरह से वैचारिक बलात्कार किया की अगर उसका कोई विरोध करता तो उसको साम्प्रदायिक ना हो जाने का डर दिखा कर कायर, कमज़ोर और छद्दम धर्मनिरपेक्षि बनने पर मजबूर कर दिया।
उदाहरण के तौर पर:
1: छिपा वेब सीरीज़ में हनुमान जी के बारे में कहा गया कि एक घृणित आतंकी बुढ़िया ने हनुमान जी को थप्पड़ मर के भगा दिया। सरीके की अपमानजनक टिप्पणीयाँ की गयी।
2: पाताल लोक वेब सीरिज़ में मंदिर में मांस बनाते और खाते दिखाया गया।
3:बुलबुल वेब सीरीज़ में भगवान श्री कृष्ण का अपमान किया गया।
4: अ सिम्पल मर्डर वेब सीरीज़ में एक हत्यारे को अर्जुन और हत्या के लिए उकसाने वाले अपराधी को श्री कृष्ण के रूप में दिखा कर अपमान किया गया।
5: सेक्रेड गेम 2 में पूरे वैश्विक आतंकवाद की जड़ जो की सारा संसार जानता है की पाकिस्तान है उसको धार्मिक आतंकवाद का अजेंडा चलाने वाले फ़िल्मकारों और कलाकारों ने पूरे वैश्विक आतंकवाद की जड़ हिंदू और हिंदुस्तान को दिखा कर झूँठ फैलाया गया।
6: और हाल ही में आयी घटिया वेब सीरिज़ तांडव में भगवान राम और शिव का अपमान किया गया और गालियाँ भी दी गयी।
दोस्तों क्या ये सम्भव है की आपके सामने कोई आतंकी आपके माता पिता भाई बहन और पूरे परिवार को गालियाँ दे, मारे पीटे और अपमानित करे और आप ठहाके लगाते हुए तालियाँ बजा कर मनोरंजित होते रहें, और तो और उस आतंकी की इस घिनौनी हरकत को अभिव्यक्ति की आज़ादी बता कर अपने परिवार के उस अपमान का मज़ा लूटें?
शायद नहीं!
दोस्तों हमारी सभ्यता, संस्कृति, धर्म, देवी देवता और देश हमारे माता पिता और परिवार के समान ही सम्मानीय है।इनका अपमान करने वाले का विरोध करने से आप साम्प्रदायिक नहीं हो जाओगे,क्यूँ की धर्मनिरपेक्ष तो वो होता है जो सभी धर्मों को समान भाव से सम्मान और स्वतंत्रता देता हो और जब आप अपने ही धर्म, देवताओं, मंदिरों की रक्षा और सम्मान नहीं कर सकते तो आप सही मायने में छद्दम धर्मनिरपेक्षियों की श्रेणी में आएँगे।
इन वामी क़ौमी छद्दम धर्मनिरपेक्षि और आत्मघोषित बुद्धिजीवियों ने अपने धार्मिक आतंकवाद (#religiousterrorism) के अजेंडे से समाज के एक हिस्से को धार्मिक भावनाओं के आहत होनें के नाम पर हत्या जैसा अमानवीय कृत्य के लिए भड़का रहे हैं और वहीं समाज के उदारवादी और सहिष्णु हिस्से को साम्प्रदायिक ना हो जाने का डर दिखा कर वैचारिक और मानसिक अपंग बना रहे हैं जो की देश और समाज की एकता और सौहार्द के लिये घातक है।
इनके इस धार्मिक आतंकवाद (#religiousterrorism) के अजेंडे को पहचाने और इनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएँ, इनका बहिष्कार करें तथा क़ानून की सहायता से इनका प्रतिकार करें।
जय हिंद जय भारत
(बात कड़वी है)