दिल्ली के मालिक अरविंद केजरीवाल को खाँसी और बुखार की शिकायत है। इसके बाद उन्होंने खुद को आइसोलेटेड कर लिया है। बात तो ये भी हो रही है कि लोगों को हॉस्पिटल न जाने का सलाह खुद ही दे चुके है तो किस मुह से उठ के हॉस्पिटल चले जाएं। टीवी पर आकर रोज भाषण देना और जमीन पर काम करना दोनो ही अलग बात है; खुद गाजियाबाद में थे और मालिक बन बैठे दिल्ली के अब दिल्ली में बस दिल्ली वालों का इलाज होगा।
दिल्ली सरकार को ये सोचना पड़ेगा कि जमीनी हकीकत कुछ और ही है रोज एक दिल्ली वासी उनके खोखले दावो का पोल खोल रहा है अभी कुछ दिन पहले अमनप्रीत की बात की जाए या सिद्दीकी की दोनों की मामलो में वो अपने प्रियजन को खो चुके है और दिल्ली सरकार को बता चुके है कि कहा कमी हो रही है- रिपोर्ट देर से आने, पर्याप्त सामग्री न मुहैया होने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है, अभी ये हालात है तो अभी कोरोना का पीक आना बाकी है तब क्या होगा तब किसपे दोष मढ़ा जाएगा किसको बली का बकरा बनाया जाएगा।
खोखले वादे ज्यादा समय तक जमीन पे नही टिकते उनको उजागर होने में ज्यादा समय नही लगता। कभी अरविंद केजरीवाल कभी सत्येंद्र जैन डॉक्टरों को हॉस्पिटलो को धमकी दे रहे है पर इन्हें ये भी समझना पड़ेगा कि यह समय धमकी खोखले वादों को बचाने का नही है। गलतिया स्वीकार करिये और उससे सीखते हुए व्यावथाओ को दुरुस्त कीजिये लोगो की पहुच से सरल बनाइये।
सिखना चाहिये चाहे वो कोई भी हो आप बगल के राज्यो से सीखिए कैसे ओवर क्राउडेड होने के बावजूद उन्होंने मैनेज कर रखा है ना आप सीखना चाहते ही ना हेल्प लेना चाहते हो। बस दोषरोपण और बेवजह के मुद्दों में भटकना और फ्री की मलाई खाना जैसा आप करते थे वही सीखा दिए दिल्ली वालों को। अगर दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट होस्पिटल केवल दिल्ली वालों के लिए है तो माफ् कीजिये न आप न आपका आधा मंत्रिमंडल दिल्ली का नही है और उसी तर्ज पर हरियाणा उत्तर प्रदेश पानी सब्जिया अनाज देना बंद कर दे तो आप क्या करेंगे फिर वही दोसरोपण। पहले उकसाइये अपने कर्मो से अपने वाणी से फिर उसपे कोई उत्तर दे तो उसे दोषी बना दीजिये।
केजरीवाल जी दिल्ली को स्टेट ऑफ वार की मुद्रा में ले जा रहे हैं। घने ही लम्पट बने फिर रहे हैं और आज डैमेज कंट्रोल में इसोलेट हो गए धन्य हो विधाता जिसने आप जैसा प्राणी भी धरती पर प्रकट किया।