लेफ्ट और लेफ्टिस्ट तो थे ही पर ये अलग से जमात पैदा हो गयी लिबरल- ये ना घर के है ना घाट के इन्हें बस लाइम लाइट में रहने की आदत है इसके लिए ये कुछ भी कर सकते है।
टीवी पर आकर रोज भाषण देना और जमीन पर काम करना दोनो ही अलग बात है; खुद गाजियाबाद में थे और मालिक बन बैठे दिल्ली के अब दिल्ली में बस दिल्ली वालों का इलाज होगा।
हमें भी एक जिम्मेदारी लेनी होगी किस चीज का कितना प्रयोग किया जाए। किसी चीज को आदत बनने से पहले उसपे रोक लगाई जाए। आसपास के लोगो को भी थोड़ा समझाया जाए। समय का सदुपयोग भी बहुत जरूरी है।