Wednesday, April 24, 2024
HomeHindiदिल्ली दंगे- एक सुनियोजित हिन्दू नरसंहार और देश व सरकार को बदनाम करने का...

दिल्ली दंगे- एक सुनियोजित हिन्दू नरसंहार और देश व सरकार को बदनाम करने का प्रयोग

Also Read

किसी भी प्रकार के दंगे दुर्भाग्यपूर्ण होते है क्यों की इनसे देश की आत्मा को चोट पहुँचती है और गरीव की सबसे ज्यादा जानमाल की हानि होती है। इसलिए दिल्ली में हुए दंगो, जो कि सुनियोजित हिन्दू नरसंहार का प्रयोग थे, के मूलकारणों को समझना जरूरी है। मुख्यता कारण यह थे: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर काँग्रेस सहित सम्पूर्ण बिपक्ष द्वारा अल्पसंख्यक समाज में असत्य और भ्रामक संदेश, देशद्रोही तत्वों के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प का भारत में होना एक अवसर, माननीय न्यायालयो द्वारा प्रदर्शनकारियों के पक्ष में सरंक्षणकारी निर्णय, और दिल्ली पुलिसकर्मियों में तत्कालीन मनोबल का अभाव।

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर काँग्रेस सहित सम्पूर्ण बिपक्ष व अल्पसंख्यक समाज के नेताओं का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार, जिन्होंने यह जानते हुए भी कि यह कानून किसी की भी नागरिकता नही ले सकता, अल्पसंख्यक समाज में असत्य और भ्रामक संदेश दिये, उनमें असुरक्षा की भावना पैदा की, देशद्रोही तत्वों को सरंक्षण दिया, और देश की भावनाओ को महीनों आहत किया।

क्या लगता है यह बयान देशहित में थे? “तुम 100 करोड़ हो, 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो, देख लेंगे किसमें कितना दम है” (अकबरुद्दीन ओवैसी), “15 करोड़ हैं, लेकिन 100 करोड़ पर भारी हैं” (वारिस पठान), “आज बक्त आ गया है इसपार या उसपार के फैसले का” (सोनिया गांधी), “ऐसे कानून, जिससे लाखों नागरिक बंदी की तरह रखे जाते है” (प्रियंका गांधी), “जालिमो का खात्मा ओखला और जामिया से होगा, हम शरीया बनेगे ईंशाअल्लाह” (अमानुल्हा खान, आप एमएलए), “किसका हांथ मजबूत है, हमारा या उस कातिल का” (मणिशंकर अयियर), “असम को भारत से काटना हमारी ज़िम्मेदारी है, हम permanently नहीं तो एक-आद महिने के लिए तो कर ही सकते है” (शरजील इमाम, पूर्व जेएनयू छात्र), “Shaheen Bagh Will be India’s Arab Spring” (सलमान खुर्शीद), “No one has the right to ask for proof of citizenship from people who chose to live in India” (दिग्विजय सिंह)।

ऐसे बयान महीनो दिये गए और देश की भावनाओं को आहत किया गया। देश यह सब चुपचाप सुनता रहा, देखता रहा, और सहन करता रहा। लेकिन इन महीनो के दौरान योजनाबध्य तरीके से देशद्रोही तत्वों  द्वारा हिन्दू नरसंहार हेतु ईंट पत्थर, पेट्रोल, बंब, तेजाब, चाकुयों, और गोलियों का इंतजाम किया गया। जैसे ही राष्ट्रपति ट्रम्प भारत पहुंचे, जितना हो सका उनका प्रयोग किया गया। और भारत बिरोधी लेफ्ट-लिबरल मीडिया इसकी ज़िम्मेदारी कपिल शर्मा के एक पुलिस ऑफिसर के समक्ष हांथ जोड़कर किये रास्ता खुलवाने के अनुरोध पर डाल कर भारत व सम्पूर्ण विश्व को भ्रमित करने का काम सुनियोजित तरीके से कर रहा है। असल मे यह एक सुनियोजित हिन्दू नरसंहार का प्रयोग थे, जिसकी तैयारी मुस्लिम समाज के देश विरोधी तत्वों ने महीनों की होगी। जिस तरह से अंकित शर्मा को 400 वार चाकू से गोद कर मारा गया, उसके लिये सिर्फ चाकुयों की ही नही, उनको चलाने वालों की भी तैयारी की गई होगी।

शाहीन बाग खाली कराने संबन्धित दिल्ली उच्च न्यायालय  व उच्चतम न्यायालय के निर्णय प्रदर्शनकारियों के अधिकारों के लिए सरंक्षणकारी थे, पर आम नागरिक के अधिकारों को सरंक्षण कौन देगा जिसके टैक्स से बो सड़क बनी है जहां पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमाया हुआ है?

दिल्ली पुलिसकर्मियों में तत्कालीन मनोबल का अभाव भी एक कारण था। यह मनोबल का अभाव हो भी क्यूँ नहीं? जामिया मे 2 डंडे ज्यादा चला दिये तो माननीय न्यायालयो ब मीडिया के तरफ से समस्या, जेएनयू मे 2 डंडे कम चलाये तो समस्या। एक घटना जामिया मे होती है और दिल्ली पुलिस के डीसीपी का तबादला हो जाता है। बकील पुलिसवालों को सरेआम पीटते है और न्यायालय के सरंक्षण से पुलिस उनपर कार्यबाही भी नही कर सकती है। फिर भी जब देश को जरूरत हो तो अपेक्षा यह होती है के बो अपनी जान पर खेलकर हमारी सुरक्षा करें – जो उन्होने की भी, एक ने अपनी जान न्योछावर करके, दूसरे ने अपने सीने पर बहादुरी से बंदूक का सामना करके, और पचासों ने घायल होकर।

सोचो, समझो, जागो, और प्रधानमंत्री मोदी के देशनिर्माण अभियान मे उनका सहयोग करो, जैसे और जिस जगह भी कर सकते हो। देश रहेगा तो हम रहेगें। जय हिन्द।

– डॉ. सिंह

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular