जो लोग मुझे 2 माह पहले निश्चित रूप से कह रहे थे कि दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल ही आएगा, उस समय की हवा की दिशा देखकर मुझे भी लग रहा था कि शायद केजरीवाल ही आ जायेगा। किन्तु मैंने उनसे यह भी कहा था कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह को हल्के में मत लेना, वे जब चाहे हवा की दिशा पलट देते है।
अब आप स्वयं पिछले 2 सप्ताहों का नजारा देख लीजियेगा, दिल्ली की हवा पूरी तरह से बदल चुकी है। अब कोई भी व्यक्ति निश्चित तौर पर यह नही कह पा रहा कि केजरीवाल ही आएगा।
केजरीवाल के लिए कुछ लोगो के तर्क
कुछ दिल्ली वालो का कहना है कि केजरीवाल ने दिल्ली को इतन सब दिया, ये फ्री दिया वो फ्री दिया। अरे जनता को स्वयं कमाकर खाना सीखाना चाहिए ना की मुफ्त की रोटियां तोड़ने को। अपने देश में राजनितिक पार्टियाँ यही तो वर्षो से करती आ रही है, देश की जनता को निर्धन रखो और मुफ्त की चीज़े बाँट कर वोट बटोरते रहो।
दूसरा तर्क यह है कि केजरीवाल ने कुछ जगहों में बहुत कार्य करवाया जिनमे मुख्यतया अस्पतालों व विद्यालयों में काम हुआ होगा लेकिन पिछले 5 साल में बस यही करना था? दिल्ली की समस्याएं क्या बस यही है?
यह दिल्लीवाले अच्छी तरह से जानते होंगे कि दिल्ली की एक नहीं बल्कि हजारों समस्याएं है जैसे कि यातायात, अतिक्रमण, जेब कतरे, महिलाओं की सुरक्षा, उपद्रवियों द्वारा समय-समय पर दिल्ली में दंगे, चक्काजाम, सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाना, स्वच्छ पानी, साफ वायु, प्रदुषण, टूटी सड़के इत्यादि।
मुफ्त पानी का हम क्या करे जब पानी ही बिमारियों का घर बन जाये?
रात में बहन ऑफिस से थोड़ा देर हो जाये तो दिल की धड़कन रुक जाये, इतनी असुरक्षित है दिल्ली।
सड़को की ऐसी हालत है कि अपनी स्कूटी या बाइक को इतनी बार सही करवाना पड़ता है।
आधी से ज्यादा सड़के लोग अतिक्रमण करके रोक लेते है और फिर लगता है लंबा जाम।
बस में चढ़ जाये या भीड़ भाड़ वाली जगह थोड़े बेफिक्र होकर खड़े हो जाये तो मोबाइल या पर्स गायब हो जाये। इतना ही नहीं इनकी हिम्मत तो इतनी है कि हाथ से छीनकर ले जाये और जब हम इनसे लड़े तो सीधा मुहं पर ब्लेड मार दे।
ऐसी पता नही कितनी ही अनगिनत समस्याएं है दिल्ली की किन्तु इस पर पिछले 5 वर्षो में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ।
इसके साथ ही जो केजरीवाल देश की सेना पर प्रश्न चिन्ह लगा दे और टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ खड़ा हो जाये, जिसकी पार्टी में देशद्रोही और दंगे करवाने वाले विधायक अमंतुल्लाह खान हो जिसने खुल्लेआम जामिया इत्यादि में दंगे भड़काए, उस पार्टी को मेरा वोट तो कभी नहीं जायेगा।
क्यों आवश्यक है भाजपा?
इसके साथ ही आपका यह भी जानना आवश्यक है कि दिल्ली के लिए भाजपा इतनी आवश्यक क्यों है? दरअसल दिल्ली में वही राज्य सरकार बेहतर रहती है जिसकी केंद्र में भी सरकार हो क्योंकि दिल्ली एक केन्द्रशासित प्रदेश होने के साथ-साथ देश की राजधानी भी है जहाँ देश की संसद, न्यायालय व अन्य संस्थाओं के मुख्यालय है।
इसलिये दिल्ली की कई चीज़े जैसे कि पुलिस इत्यादि केंद्र के हाथ में आती है व कुछ राज्य सरकार के। अब आप ही सोचे यदि केंद्र और दिल्ली में विभिन्न पार्टी की सरकार हो तो समनव्य कैसे हो पायेगा? वे 5 वर्ष केवल आपस में ही लड़ती रह जाएगी और इस बीच पिस के रह जाएगी बेचारी दिल्ली।
इसलिये समझदारी इसी में है कि जो सरकार केंद्र में है, उसी पार्टी की सरकार आप दिल्ली में लेकर आइये और टुकड़े-टुकड़े व शाहीन बाग में छिपे बैठे देशद्रोहियों की कमर तोड़ दीजिये।