प्रायः लोग को देखता हूं कि वो सोशल मीडिया पे पूछतें है कि कोई बढ़िया किताब बताएं जिससे हम सनातन धर्म को नजदीक से जान सकें चूंकि सनातन धर्म युगों युगों से चलता आ रहा हैं जिसका ना कोई आदि है ना अंत , इस्लाम मे आप कुरान और ईसाइयत में बाइबिल पढ़कर सबकुछ जान सकतें है लेकिन हमारे सनातन धर्म मे ऐसा नहीं है ये ज्ञान का वो सागर है जिसमे आप डूबते ही चले जायेंगे. कोई एक पुस्तक पढ़कर आप सनातन धर्म का आंकलन नहीं कर सकते. आज हम आपको कुछ पुस्तक के बारे में बताएंगे जिन्हें आपको अवश्य पढ़ना चाहिए.
■1) गीताप्रेस एक ऐसा धार्मिक प्रकाशन है जिसकी किसी भी पुस्तक को आप बंद आंखों से खरीद सकतें है।, गीताप्रेस की प्रत्येक गीता, पुराण, रामायण, उपनिषद, छोटी बड़ी हज़ारों पुस्तकें, स्वामी रामसुखदासजी, हनुमानप्रसाद पोद्दार जी, जयदयाल गोयन्दका जी आदि की समस्त किताबें इतनी उत्तमहै कि यदि आप पढ़ें तो आपका जी कभी ऊब नहीं सकता , पुराण, रामायण, रामचरितमानस, गीता आदि केवल गीताप्रेस की ही लें। गीताप्रेस साहित्य केवल उत्कर्ष करेगा पतन नहीं। मूल शास्त्र जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, पुराण, रामायण, योगसूत्र आदि का अध्ययन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
■2) वेद क्या है, उसकी उत्पत्ति, विषय, वैदिक विज्ञान, वैदिक अवधारणा, उसका तारतम्य, अग्नि, सोम, देव आदि तत्व, सनातन धर्म के श्राद्ध, अवतार, संस्कार, वर्णाश्रम आदि तत्व पर महामहोपाध्याय पण्डित गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी जी की पुस्तक “वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति” सर्वश्रेष्ठ पुस्तक है। इसका 33% भाग समझने में कठिन है पर मेहनत करके जितना भी समझ आए समझ लिया तो वेद की महानता की झलक मिल जाएगी, वैदिक विरोधाभासों का शमन हो जाएगा और सनातन धर्म के लट्टू हो जाना निश्चित है। वेद व वैदिक विज्ञान समझने की इच्छा रखने वालों के लिए ये मूलभूत और अनिवार्य पुस्तक है। दुर्भाग्य से यह पुस्तक छपती नहीं है, 1972 का यह सम्भवतया अंतिम प्रकाशन है इस लिंक में–
https://drive.google.com/open?id=0B1giLrdkKjfRNy1vYnl6YmNjeDQ
■3) पुराण कोई झूठी कहानियां या मिथक नहीं हैं बल्कि सनातनधर्म का सच्चा इतिहास व ऋषियों द्वारा दिया गया वेद का सार है। इसलिए जो मिथक की भावना से शास्त्र पढ़ते हैं उन्हें शास्त्र का अर्थ कभी नहीं लग सकता। “रामायण मीमांसा” में 300 रामायणों का सार है।
●–> धर्मसम्राट स्वामी करपात्रीजी महाराज रचित “रामायण मीमांसा”
https://drive.google.com/open?id=0B1giLrdkKjfRZjdoRHk4aXZFWFk
●–> पण्डित गिरधर शर्मा चतुर्वेदी जी रचित “पुराण परिशीलन”
https://drive.google.com/open?id=0B1giLrdkKjfRTlFibGVwcmJQWTQ
●–> शास्त्रार्थ महारथी पण्डित माधवाचार्य शास्त्री रचित “पुराण दिग्दर्शन”
https://drive.google.com/open?id=181IpWZODDrvA0Vev9Kum57KmlmloXM7j
■4) आजकल हिन्दूओं का स्वभाव हो गया है कि धर्म की हर बात में “क्यों”, “क्यों” करते रहते हैं। वामपंथियों द्वारा भ्रष्ट की गई बुद्धि और परम्पराशक्तिहीन होने के कारण ही वे ये क्यों, वह क्यों, ऐसा क्यों, वैसा क्यों जैसे अनर्गल प्रश्न उठाते रहते हैं। प्रश्न पूछना तो अच्छी बात है, पर वे तो तलवार सी ही तान लेते हैं। इसलिए उन सब प्रश्नों का जवाब व आक्षेपों को खण्ड खण्ड करने के लिए शास्त्रार्थ महारथी पण्डित माधवाचार्य शास्त्री ने एक जोरदार पुस्तक लिख डाली “क्यों”!! ग्रन्थ का नाम है “क्यों”। इसमें सारे “क्यों” हल हो जाएंगे।
●–> हिंदी में, “क्यों?”
https://drive.google.com/open?id=1CRHX-f2VbcCw0HpLM3Grtv-lmGo0ECT9
●–> In English, “Why?”
https://archive.org/details/WhyDharmaDigdarshanMadhavacharyaShastri
■5) शाश्वत वेद धर्म व आध्यत्म जानने के लिए धर्मसम्राट करपात्रीजी महाराज के ग्रन्थों का आश्रय लेना चाहिए। उनकी भागवत सुधा, भक्ति सुधा, संकीर्तन मीमांसा एवं वर्णाश्रम धर्म, वेदार्थ पारिजात, रामायण मीमांसा, मार्क्सवाद एवं रामराज्य आदि पुस्तकें सनातन धर्म की अमूल्य निधि हैं। इसमें से भक्तिसुधा, मार्क्सवाद एवं रामराज्य गीताप्रेस से मिलती है। धर्मसम्राट के ग्रन्थ इस लिंक में हैं।
https://drive.google.com/open?id=0B1giLrdkKjfRYkU1OWQwQTZkajg
■6) भगवान आद्य शंकराचार्य कृत ‘प्रबोध सुधाकर’ एक छोटा सा गागर में सागर ग्रन्थ है। यह मुझे बहुत प्रिय है। शांकर, रामानुज, मध्व आदि प्रामाणिक सम्प्रदायों के ही ग्रन्थ पढ़ने चाहिए।
https://drive.google.com/open?id=0B1giLrdkKjfRT0VpWEYwOXNSYUk
■7) हिन्दुत्व के लिए वीर सावरकर जी की पुस्तकें सभी हिन्दूओं को अनिवार्यतः पढ़नी चाहिए। हिन्दुत्व के जनक, आधुनिक काल में हिन्दुत्व विचारधारा व हिंदूवादी राजनीति के सूत्रधार पूज्य सावरकरजी ही हैं। समग्र साहित्य नहीं तो “हिन्दुत्व के पंच प्राण”/”हिन्दुत्व”, “गोमांतक”, “मोपला” आदि तो जरूर जरूर पढ़ना ही चाहिए।
https://drive.google.com/drive/folders/0B1giLrdkKjfRbE0wQng5YVZmb1E
व सीताराम गोयलजी, गुरुदत्त, राजीव मल्होत्रा जी, आदि का साहित्य भी पढना चाहिए|
■8) परमहंस योगानन्द जी की जीवनी योगी कथामृत (Autobiography of a Yogi) ऐसा ग्रन्थ है जिसे पढ़कर आध्यात्म में दृढ़ विश्वास जम जाएगा। कुछ एक प्रसङ्ग जो न जमें तो उनपर ध्यान न दें पर यह एक उच्चकोटि का ग्रंथ है।
■9) इंग्लिश में Divine Life Society की स्वामी शिवानंद जी व स्वामी कृष्णानंद जी की उपनिषद, आध्यात्म आदि पर सारी पुस्तकें बहुत अच्छी हैं।
http://dlshq.org/download/download.htm
https://drive.google.com/open?id=0B1giLrdkKjfRTlFibGVwcmJQWTQm/drive/folders/0B1giLrdkKjfRYXJDclQwYTBfWFk
जब आप इतनी किताबे पढ़ लेगे उसके आपके सोचने समझने एवं प्रत्येक तरह के व्याहारों में परिवर्तन आएगा, साथ ही साथ आप दैनिक जीवन के अचार विचार के बारे में समझेगें.
आशा करता हूँ कि आपको ये लेख थोड़ा बढ़िया लगा होगा, ऐसे ही लेखों के लिए ओपिंडिया प्रतिदिन देखें.