डिजीटल लेनदेन को बढ़ावा देने से हम नगद मुक्त [Cash Less] की ओर अग्रसर होते दिखायी देंगें। बिना नगद मुक्त हुये सभी क्षेत्र को आने वाले समय में अनेकों कठीनाईयों का सामना करना पड़ेगा इसीलिये सरकार की यह सलाह एकदम सही है कि नगद लेन देन नहीं कर बैंको के माध्यम से लेनदेन करें। लेकिन सरकार बैंको से लेनदेन को सुगम बनाने की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही यानि RBI इस ओर काफी उदासीन है।
मीडिया में यह पढ़ने में आया था कि आने वाले समय में नगद निकासी पर एक सीमा के बाद सरकार टैक्स लगा सकती है।इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि आम जनता विशेषकर वरिष्ठों को, ग्रामीण जनता को सभी तरह के बैंक से किये जाने वाले लेनदेन पर नीचे उल्लेखित शुल्कों से मुक्ति मिले ताकि वे रोज मर्रा के जरूरतों के भुगतान के लिए नगद की निकासी करें हीं नहीं।
समाज का अर्थ केवल ब्यवसायिक समूह ही नहीं बल्कि अन्य साधारण आम जनता भी है जो गाँवों में भी रहती है और छोटे व बडे शहरों में भी। इसलिये कुछ दिन पहले रिजर्व बैंक ने जो एनईएफटी और आरटीजीएस लेन-देन पर लगने वाले शुल्क को हटाया है वह निश्चित रुप से सभी के लिये लाभप्रद है लेकिन RBI का यह कदम ब्यवसायिक समाज को लाभ भी देगा और सुगमता भी।
इसी तरह आम जनता विषेशकर वरिष्ठ/ग्रामीण जनता उन बैंकिंग शुल्कों से मुक्ति चाहती है जो उनसे एक ही लेन देन पर तीन/चार तरह से वसूला जा रहा है और यहाँ यह समझना आवश्यक है कि इससे सभी वरिष्ठ/ग्रामीण ब्यथित भी हैं और परेशान भी। फिर भी किन्हीं कारणों से यदि कुछ एक मामले में पूर्व कर्मचारी (ex-employee) होने के चलते एक मुद्दे में राहत है तो बाकी दो मुद्दे तो उनके लिये भी पीड़ादायी हैं ही।
आपके ध्याननार्थ अपने देश में वरिष्ठों की बडी संख्या तो असंगठित क्षेत्र से हैं जहाँ उन्हें पेंशन का लाभ नहीं हैं इसलिये ही उन्हें यह मुद्दा बहुत ज्यादा पीड़ादायक लगता हैं।
कुछ बैंकों में एक लेन देन पर तीन तरह के चार्जेज लगते हैं, तो कुछ में दो तरह के लेकिन एक तरह का तो सभी में ।
OTP: आप SMS की सुविधा नहीं लेते हैं तब तक आपको OTP वाला SMS मिलेगा ही नहीं और SMS प्राप्त हेतु बैंक आपका बचत खाता में सालाना कहिये या हर माह एक चार्जेज वसूलता है। जबकि इस तरह के SMS को mandatory श्रेणी में रखा जाना चाहिये ताकि बचत खाता धारक को बिना चार्जेज के OTP का SMS मिले।
यह सभी बैंकों में नहीं लगता है और जहाँ जहाँ लगता है उनका दर भी अलग अलग है।
Net Banking Charges: दूसरी बात है कि यदि हम Net Banking को काम में लेते हैं तो भी बैंक हमसे शुल्क वसूलती है जबकि वही काम यदि हम बिना Net Banking के करें तो एक अच्छी रकम बचती है [हालाँकि यह भी सभी बैंकों में नहीं लगता है और जहाँ जहाँ लगता है उनका दर भी अलग अलग है]।
Merchant Discount Rate [MDR]: तीसरी समस्या मर्चेन्ट शुल्क वाली है जो सभी को बहुत ही कचोटती है क्योंकि यह वह बैंंक वसूलती है जिनके साथ हमारा सीधा सम्बन्ध ही नहीं है।
उदाहरण के तौर पर यदि मैं अपने नाती की स्कूल फीस स्कूल की site पर जाकर अपने बैंक के माध्यम से चूकाता हूँ तो मुझे उपरोक्त वर्णित किसी बैंक में तीनों शुल्क वहन करने पडते हैं। हाँ कुछ बैंक हैं जहाँ कुछ राहत है लेकिन मर्चेन्ट शुल्क तो लगेगा ही जो स्कूल की बैंक अपने आप हमारे द्वारा लिखी गयी रकम में जोड कर ले लेती है।
एक तरह का चार्जेज और है – वह Convenience चार्जेज कहलाता है हाँलाकि यह चार्जेज से बैंक का ताल्लुकात नहीं है लेकिन यह वसूला तो हम से ही जाता है। ऊपर में स्कूल का उदाहरण है तो यों समझिये कि स्कूल ने हमें Online भुगतान की सुविधा दी है तो वो हमसे यह चार्जेज वसूलते हैं और हमारेपास इसका भुगतन के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं हैं क्योंकि स्कूल न तो नगद लेता है न ही चेक यानि हमें मजबूरन स्कूल की साईट पर जा कर ही भुगतान करना पड़ता है। कायदे से तो हमें discount मिलना चाहिये लेकिन सरकार चाहेगी तभी सम्भव होगा।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि Cashless System में एक से लेकर चार तरह के चार्जेज लगते है जिसके कारण ही बैंकिंग मँहगा है जबकि नगद लेनदेन में न तो अतिरिक्त खर्चा है और न ही झंझट। यहाँ झंझट से मतलब है ठीक तरह से सावधानी रख सामने वाले का पूरा ब्यौरा भरना ताकि गलत जगह पैमेंट न हो।
यही यदि सरकार इसे एकदम खर्च मुक्त कर दे यानि OTP को Mandatory बना दे और बचत खाते वालों के लिये हर तरह से Net Banking लेनदेन बिना शुल्क के कर दे यानि मर्चेन्ट वगैरह सभी शुल्क बन्द कर दे तो हम वरिष्ठ/ग्रामीण नागरिक नगद लेनदेन को मुक्ति करने में देर नहीं करेंगे क्योंकि बिना पेंशन वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिये तो हर तरह का अतिरिक्त खर्च कष्टदायक होता ही है।
हमारे तथ्यों की पुष्टि कई बार टेलीविजन परिचर्चा में निमन्त्रित अनेक आर्थिक पत्रकारोँ की टिप्पणी से स्वत: ही हो जाती है जब वे स्वीकारते हैं कि Digital Payment ने अभी भी ठीक तरह से यानि आशा अनुरूप गति पकडी नहीं है और जो बढ़ोत्तरी दिखायी देती है उसका कारण मजबूरी है यानि जब स्कूल नगद / चेक / ड्राफ्ट लेगा ही नहीं तब अभिभावकों को स्कूल की site पर जाकर ही भुगतान करना मजबूरी हो जाती है।
इसलिये यह आवश्यक है कि बिना विलम्ब किये सरकार को उपरोक्त सुधार को लागू करे ।
मैं अपेक्षा करता हूँ कि सरकार इन वरिष्ठ / ग्रामीण नागरिकों की परेशानियों को ध्यान में रख, सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उचित कदम उठा, राहत दे देगी |
मैं वापस स्पष्ट बताना चाहता हूँ कि यह पोष्ट बचत खाते से सम्बन्धित सभी चार्जेज को उल्लेखित कर प्रस्तुत की गयी है और उपरोक्त उल्लेखित चार्जेज सभी बैंकों में –
पहली बात – नहीं लगते हैं, कहीं कुछ बाद है तो कहीं कुछ, लेकिन एकाध बैंक में तीनों भी लगते हैं
दूसरी बात – सभी चार्जेज की रकम भी सभी बैंकों में एक समान नहीं है यानि एकरूपता नहीं है
तीसरी बात – कुछ बैंकों में खास ग्राहकों को इन चार्जेज से मुक्त भी रखा जाता है
चौथी बात – रिजर्व बैंक द्वारा घोषित एनईएफटी एवं आरटीजीएस पर छूट का फायदा सभी को मिलेगा और यह कदम निश्चितरुप से स्वागत योग्य है किन्तु वरिष्ठ कहिये या ग्रामीण बल्कि साधारण जनता बिजली, पानी,फोन, गैस, EMI, स्कूल फीस इत्यादि का भुगतान सब इनके साईट पर जाकर करती है। अतः उपरोक्त चार्जेज से पूर्णतया मुक्ति डीजिटल लेनदेन को इतना बढावा दे देगी कि मोदीजी ने जो नगद मुक्त समाज का (Cashless Society) आह्वान किया वह पूर्ण हो पायेगा।
अन्त में आप सभी से भी आग्रह करता हूँ कि आप भी इस मुहिम में अपनी सक्रिय भागीदारी निभायें यानि आप भी सोशल मीडिया के माध्यम से हो या किसी भी मंच के माध्यम से हो या फिर सीधे सीधे पत्र भेज सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करें तभी राहत की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि सामूहिक प्रयास काफी असरदार होता है।
आशा ही नहीं विश्वास है आप पाठकगण उपरोक्त आग्रह पर अवश्य विचार कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
गोवर्धन दास बिन्नाणी
जय नारायण ब्यास कालोनी
बीकानेर
7976870397
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