Sunday, November 3, 2024
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अर्बन नक्सलियों की फैक्ट्री : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय

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RAJEEV GUPTA
RAJEEV GUPTAhttp://www.carajeevgupta.blogspot.in
Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में जिस तरह का माहौल पिछले कई दशकों से बना हुआ है, वह देश और समाज दोनों के लिए चिंता का विषय है. ऐसा कभी नही लगा कि जो लोग इस तथाकथित यूनिवर्सिटी में आते हैं, उनका मकसद पढाई लिखाई होता है. अभी हाल ही में इस यूनिवर्सिटी के सैंकड़ों अर्बन नक्सलियों ने यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर के घर पर उस समय हमला कर दिया जिस समय उनकी पत्नी घर पर अकेली थीं और खुद वाईस चांसलर उस समय किसी ऑफिसियल मीटिंग में व्यस्त थे. इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने की नौटंकी करने वाले इन अर्बन नक्सलियों ने इस तरह की आपराधिक वारदात को पहली बार अंजाम दिया हो, ऐसी भी बात नहीं है. इस तरह की घिनौनी हरकतें इस यूनिवर्सिटी में अक्सर होती रहती हैं. इन आपराधिक वारदातों के बढ़ने की एक ख़ास वजह यह भी है कि जब तक केंद्र में मोदी सरकार नहीं आयी थी, तब तक तो इन अर्बन नक्सलियों को अपनी गुंडागर्दी करने की पूरी छूट मिली हुई थी क्योंकि कमोबेश इन लोगों की विचारधारा का समर्थन करने वाली सरकारें देश की सत्ता पर अपना कब्ज़ा जमाये हुए थीं.

मोदी सरकार के आने के बाद से इन लोगों की नाज़ायज़ गतिविधियां जनता के सामने आनी शुरू हो गयी हैं और देश की जनता को यह मालूम पड़ने लगा है कि इस तरह के तथाकथित शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के नाम पर क्या गुल खिलाये जा रहे हैं. कुछ ही सालों पहले इस यूनिवर्सिटी के कुछ तथाकथित छात्रों ने “पाकिस्तान जिंदाबाद” और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” आदि नारे लगाकर एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया था, जिसका समर्थन केजरीवाल और राहुल गाँधी दोनों ने किया था. जब इस तरह के नेता इनके काले कारनामों का खुले आम समर्थन करेंगे तो भला इनकी हिम्मत कैसे नहीं बढ़ेगी ? सरकार ने इन लोगों पर उस समय देशद्रोह का मामला भी दर्ज़ किया था, जिसमे केजरीवाल और कांग्रेस पार्टी की मिलीभगत से इन लोगों को दिल्ली हाई कोर्ट से न सिर्फ जमानत मिल गयी थी, उनमे से एक आरोपी कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ने की भी जुर्रत कर रहा है.

अभी हाल ही में दिल्ली पुलिस ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्ज शीट भी फाइल की है लेकिन अदालत ने तब तक मामले में आगे की सुनवाई से इंकार कर दिया है, जब तक दिल्ली की केजरीवाल सरकार इसके लिए अपनी लिखित में सहमति न दे दे. लेकिन भला केजरीवाल जी ऐसा क्यों करेंगे ? जिन लोगों का केजरीवाल पूरे दिल से समर्थन करते हैं और जिन आरोपियों के साथ वह मंच भी साझा करते हों, भला उन्ही के खिलाफ मुक़दमा चलाने की इज़ाज़त केजरीवाल जी कैसे दे देंगे. लिहाज़ा वह मामला भी खटाई में पड गया और आरोपी कन्हैया कुमार सांसद बनने के सपने देखता हुआ बेगूसराय पहुँच गया.

इन अर्बन नक्सलियों की हिम्मत बढ़ने की एक वजह और भी है- वह है हमारी अदालतों का इनके प्रति बेहद लचीला रवैया- अगर देशद्रोह के मामले में ही दिल्ली हाई कोर्ट ने इन लोगों को कुछ सालों पहले जमानत नहीं दी होती तो आज इन लोगों की हिम्मत नहीं पड़ती कि वे सैंकड़ों की संख्या में इकट्ठे होकर एक अकेली महिला पर वहशियाना हमला कर दें. अदालत ने तो पी एम मोदी की हत्या के आरोपी अर्बन नक्सलियों को भी जमानत पर छोड़ने में किसी तरह की देरी नहीं दिखाई थी.

अगर यह सब कुछ इसी तरह चलने वाला है तो सरकार को किसी तरह से इस बात का हक़ नहीं है कि वह देशवासियों के टैक्स के पैसों को इस तरह के शिक्षण संस्थानों को चलाने में बर्बाद करे. जिस यूनिवर्सिटी में पिछले ७० सालों में पढाई लिखाई के नाम पर सिर्फ गुंडागर्दी अंजाम दी गयी हो और जहां सिर्फ अर्बन नक्सलियों की पैदावार बढ़ रही हो, उसे जितना जल्द हो सके,अलविदा कह देना चाहिए.

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