जबसे कांग्रेस की सरकार आयी है मध्यप्रदेश में, तब से लोग भयभीत हैं। एक गांव के किसान से बात हुई ,दो लाख का कर्ज है पर अभी तक माफ नही हुआ।
कुछ दूर जाने पर एक बडी सी लाइन दिखी, पता चला कि यह लाइन खाद के लिए लगी है। लोग रात से खड़े हैं लाइन में कबंल के साथ। क्योंकि लाइन बहुत ही बड़ी थी पुरी रात यहीं गुज़ारनी पड़ी, सभी बाज़ार और दुकानों का यही हाल था। ऐसा लग रहा था कि Jio सिम लेने की लाइन हो।
गाँव से बाहर निकाल ही रहा था कि खबर मिली कि सन ८४ वाले मामा ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया।
केरल और बंगाल के राह का अनुसरण करते हुए विपक्षी सोच को कुचलने के लिय चक्रव्यूह तैयार हो चुका है।
दो विपक्षी नेताओं की निमृम हत्या और इसको सामान्य घटना के रूप में प्रचलित करना, इस चक्रव्यूह का पहला चरण है।
सन ८४ वाले मामा की जादुगरी चल चुकी है यह २०१९ में जाकर ही रूकेगी। जब तक भाजपा की सरकार थी, एक भी राजनितिक प्रतिद्वन्दी की अप्राकृतिक मौत नहीं हुई थी।
विपक्ष ये आरोप लगा रहा है कि सरकार हर मोर्चें पर असफल है और मंत्री जी अपना सन ८४ का ज्ञान अभी उपयोग करने में व्यस्त हैं।
Nota वाले अब पछतावा कर रहे हैं। बोल रहे हैं हमने बहुत ही बड़ी गलती कर दी, पता नही था इतना बड़ा नुकसान हो जायेगा, हम तो बहकावे में आकर बहक गये। ना माया मिली ना राम।
जितने लोगों से बात हुई उन सबका कहना था कि विकास के नाम पे बस लुट मची हुई है। उग्रवादी तत्वों का मन बढ़ गया है। आम जनता परेशान है और सरकर खाली कानून व्यवस्था का दोष देने में व्यस्त है।