स्वर्ग मे अपसराओ का नृत्य चल रहा था, नेहरू पंडित पृथ्वी का भ्रमण करके आए थे और बहुत दुखी लग रहे थे। बापू ने उनसे पूछा, “पंडित जी क्या बात है? बड़े दुखी लग रहे हो, धरती पर सब ठीक है ना?
नेहरू पंडित भर भरा के रो पड़े। नेहरू पंडित बोले, “क्या बताऊँ बापू, पृथ्वी पर छोटू ने अपनी पार्टी का बेड़ा गर्त कर दिया। सभी का मानना है कि ऐसा ही चलता रहा तो हमारी पार्टी विलुप्त हो जाएगी। अरनब ने तो कह दिया, “अगर छोटू ने पार्टी में जान डाल दी तो, मैं सन्यास ले लुँगा।” छोटू भाषण दे देकर बची खुची इज्जत भी पानी में मिला रहा है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन अपने छोटू के कारण मुझे बेईज्जत होना पड़ेगा।”
नेहरु पंडित जी ने बापू से कहा, “जानते हो कल का बच्चा मोदी चायवाला, छोटू और अपनी पार्टी से ज्यादा फेमस हो गया है। हर तरफ मोदी चायवाला के चर्चे हैं। ऐसे लगता है कि वो भी भारतरत्न लेकर ही दम लेगा। कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया है, आज कल धरतीवासी “हर-हर भोले” के बदले “हर-हर मोदी” कहते है। मोदी का नाम चारो तरफ छाया हुआ है। ऐसा लगता है कि खुद विश्वकर्मा ने जाकर चारो तरफ मोदी का पोस्टर और बैनर लगा दिया है। चारो तरफ एक चायवाले कि पूजा हो रही है और अपना छोटू पांच जवाब रट्टा मारके हर सवाल का वही जवाब देता फिर रहा है और अपनी हंसी उड़वा रहा है।”
बापू ने नेहरु साहब से कहा, “कोई और रास्ता नहीं है क्या ? आप 1947 वाला फार्मूला क्यों नहीं अपनाते।”
नेहरु पंडित ने कहा, “कौन सा फार्मूला?”
बापू ने जवाब दिया, “याद है भारत के आजादी का समय आप और जिन्हा आपस में राजा बनने के लिए लड़ने लगे तो सबकी आपसी राय से ये निर्णय हुआ कि हम भारत का दो भागों में बंटवारा कर देंगे और आप दोनों को एक-एक भाग का राजा बना देंगे।”
नेहरु पंडित ने कहा, अरे बापू अब जमाना बदल गया है, छोटू चाहे तो भी मेरा फार्मूला अमल में नहीं ला सकता है उसके पास दिमाग कहा जो वो इतना सोच सके।
बापू ने कहा हो क्यों नहीं सकता, “छोटू काँग्रेस के चाटुकारों को लेकर एक नया देश बना ले और वहाँ का प्रधानमंत्री बन जाए।”
बापू की बात सुनकर नेहरू पंडित मुस्कराते हुए सिगार जलाने लगे और अपनी फ़िक्र को धुँए में उड़ाने लगे।