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मैं और तथाकथित सेकुलरिज्म
मोदी हेटिंग में इतने अंधे हो चुके हैं की ना अपना भला दिख रहा है ना देश का. और अगर ये इनका सेकुलरिज्म है, तो ये सेक्युलरसिम इन्हे मुबारक.
पहले इंसान बन जा
माना की जातीय परंपरा एक भाग हैं भारतीय समाज काI परन्तु ये जातीय परंपरा कम और अंतरजातीय संघर्ष ज्यादा प्रतीत होता हैI भारत में लोग जात के नाम पर भीड़ जाते है, मार दिए जाते हैंI
पाकिस्तान और उसकी बीमारी
पाकिस्तान में मई 2017 में छपी एक खबर के अनुसार वहाँ करीब 8 करोड़ लोग मानसिक तौर पर बीमार है। यह बात वहाँ की मनोचिकित्सक ने बोली है।
अगर महिला अपराधी तो सवाल क्यों नहीं? ठीक ऐसे ही जैसे पुरुष पर उठाये जाते हैं..
दुनिया लड़की का भी सच जानती है मगर 90 प्रतिशत मामलों में बलि का बकरा कौन बनता है, हर बार सिर्फ पुरुष!
ओ “बी. एल. ओ.” कल आना
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विश्वास युक्त और कांग्रेसी संस्कृति से मुक्त नया भारत
2004-2014 के बीच भारतीय राजनीती के इतिहास में भ्रष्टाचार, घोटालों और खस्ताहाल सुरक्षा का एक ऐसा कालखंड आया जिससे न सिर्फ भारतीयों का विश्वास डगमगा गया बल्कि पूरे विश्व में भारत की साख को क्षति पहुंची।
अयोध्या में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरिजाघर बने
अगर मक्का या वेटिकन सिटी जैसे किसी विशेष विश्वास की जगह पर उनके पूजा स्थल को तोड़कर किसी अन्य धर्म का पूजा स्थल बनाया होता तो क्या ऐसा संभव था? अगर एक बार ऐसा मान भी ले तो समाधान की क्या संभावनाए होगी?
सामाजिक भेदभाव: कारण और निवारण
भारत में व्याप्त सामाजिक असामानता केवल एक वर्ग विशेष के साथ जिसे कि दलित कहा जाता है के साथ ही व्यापक रूप से प्रभावी है परंतु आर्थिक असमानता को केवल दलितों में ही व्याप्त नहीं माना जा सकता।
क्या राजस्थान उन्मादी सांप्रदायिक राज्य में तब्दील हो रहा है?
गहलोत-पायलट युग्म सरकार को राजस्थान में महज अभी आठ-नौ महीने ही हुआ है, लेकिन जिस तरह इस युग्म सरकार का एक खास समुदाय के प्रति तुष्टिकरण हो रहा है, उससे लगता है आने वाले दिनों में प्रदेश में कानून और व्यवस्था के हालात बेकाबू होने वाले हैं।