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कैनेडा में खालिस्तानी समर्थक पार्टियों के वोट गिरे, जगमीत सिंह की पार्टी को 45% सीटों का नुकसान
raunkhar -
खालिस्तान से दूरी बनाने वाली कंजर्वेटिव पार्टी की सीटों में एक तिहाई का इजाफा. खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह की पार्टी औंधे मुंह गिरी, 20 सीटों का नुकसान
कमलेश तिवारी का कत्ल पहला मामला नहीं, दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी दबाने में इस्लामिस्ट सबसे आगे
raunkhar -
इस्लाम पर टिप्पणी करने पर किसी को देश निकाला मिला, कोई मार दिया गया , किसी के सिर पर करोड़ों का इनाम रख दिया. देश में अभिव्यक्ति की आजादी को क्यों दबाया जा रहा, अगर टिप्पणी की थी तो कमलेश ने जेल भी तो काटी थी
पुस्तक समीक्षा ः कूड़ा धन – कूड़े – कचरे का ढेर समस्या नहीं, संभावनाओं का अंबार है
दीपक चौरसिया ने इस पुस्तक में कूड़े कचरे का अर्थशास्त्र समझाया हैं। उनका मानना है कि दुनिया में कूड़ा कबाड़ जैसी कोई चीज नहीं है। अगर कुछ कूड़ा कबाड़ है तो वह हमारी सोच के कारण है।
हिन्दुत्व में विज्ञान 7: पौराणिक घटनाएँ और आइंस्टीन के सापेक्षतावाद का सिद्धान्त
महाभारत की दो घटनाओं का विश्लेषण करते हैं, आइंस्टीन के सापेक्षतावाद सिद्धांत से
जमाकर्ता जमा बीमा के अन्तर्गत प्राप्त सुविधा ज्यादा कैसे प्राप्त कर सकता है
gdbinani -
आपको अधिकतम फायदा एक लाख तक ही है भले ही वहाँ पैसा इससे ज्यादा हो। लेकिन आप ज्यादा फायदा वैध तरीके से ले सकते हैं और उसके लिये आपको प्लानिंग करनी होगी,यही यहाँ उल्लेखित कर रहा हूँ ।
कश्मीर में शेहला राशिद बनना चाहती थीं नेता, मगर लोकतंत्र की दुहाई देकर खुद ही भाग गईं
शेहला राशिद जेएनयू में शोध करने वाली एक कश्मीरी छात्रा हैं जिसने हाल ही में भारत सरकार द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सेना और सरकार को लेकर विवादित बयान भी दिया था इसीके बाद उनपर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था जिसके साथ शेहला की मुश्किलों का एक नया दौर शुरू हो गया.
सेकुलरिज्म या दिखावा, धर्म के नाम पर व्यक्तिगत आजादी का हनन क्यों?
सेकुलरिज्म की आड़ में अपने अजेंडे सेट करने वालों के लिये यही सवाल खड़ा होता है कि क्या अब सभी को एक दूसरे के धार्मिक त्योहारों पर बधाई देना, उनकी ख़ुशी में शामिल होना, उनमे भाग लेना बंद कर देना चाहिए?
पैसा और आप- भाग 1
ये सत्य है की भारतियों में बचत करने की फितरत बचपन से ही रहती है लेकिन बचत से ज्यादा अगर महंगाई हो जाये तो फिर ऐसा बचत किसी काम का नहीं रह जाता। पैसा हमेशा समय के साथ बढ़ना चाहिए और इसकी वृद्धि दर महंगाई के दर से अधिक होनी चाहिए।
डियर कॉमरेड,
वैसे तो साम्यवाद को भारत में वीजा ऑन अराइवल मिल गया था लेकिन फॉर्म भरते टाइम धर्म वाला कॉलम मिस हो गयाI सच बोलूं तो धर्म-लेस इंडिया वाला कॉन्सेप्ट यहां कुछ जमा नहींI हालांकि साम्यवाद का थोड़ा भारतीयकरण हो जाता तो सामाजिक स्वीकृति थोड़ी ज्यादा होती शायदI
केवल जन आन्दोलन से प्लास्टिक मुक्ति अधूरी कोशिश होगी
किसे पता था कि आधुनिक विज्ञान के एक वरदान के रूप में हमारे जीवन का हिस्सा बन जाने वाला यह प्लास्टिक एक दिन मानव जीवन ही नहीं सम्पूर्ण पर्यावरण के लिए भी बहुत बड़ा अभिशाप बन जाएगा।