समय समय पर कश्मीर की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाने वाली जेएनयू की शोध छात्रा शेहला राशिद शोरा ने राजनीति से आजादी लेने का ऐलान कर दिया है. शेहला राशिद जेएनयू में शोध करने वाली एक कश्मीरी छात्रा हैं जिसने हाल ही में भारत सरकार द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद सेना और सरकार को लेकर विवादित बयान भी दिया था इसीके बाद उनपर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था जिसके साथ शेहला की मुश्किलों का एक नया दौर शुरू हो गया.
कश्मीर के नाम पर सरकार के कामकाज पर रह रह कर सवाल उठाने वाली शेहला ने खुद के राजनीति छोड़ने का आरोप भी केंद्र सरकार पर ही मढ़ दिया है. शेहला राशिद ने इस मामले की जानकारी देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कश्मीर में जो कुछ भी हो रहा है वह पूरी तरह से लोकतंत्र की हत्या है और वे उसको बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं, इसीलिए उन्होंने खुदको सक्रिय राजनीति से दूर रखने का फैसला किया है. इस बात की सूचना उन्होंने अपने किये ट्वीट के ज़रिये दी.
I’d like to make clear my dissociation with the electoral mainstream in Kashmir. Participation in the electoral process in a situation where even the election rhetoric is to be dictated by the centre will only amount to legitimising the actions of the Indian govt in #Kashmir pic.twitter.com/7PMi2aIZdw
— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) October 9, 2019
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बता दें कि 5 अगस्त को संसद में कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का प्रस्ताव पेश किया था. संसद के उच्च-सदन राज्यसभा में यह बिल स्वयं गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किया था. इसके बाद आतंकवाद की दुकान बंद होने के गम में देशभर के वामपंथी गिरोह ने भिन्न-भिन्न तरीकों से छाती कूटकर कर मातम मनाते हुए अपना गुस्सा भी ज़ाहिर किया था. केंद्र में शासन कर रही मोदी सरकार के इस साहसिक कदम के साथ ही पूरे जम्मू-कश्मीर राज्य को दो नए केंद्र शासित जम्मू/कश्मीर और लद्दाख प्रान्त में बांट दिया गया. इनमे से एक प्रान्त (लद्दाख) को पूर्णत: केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता दी गई जहाँ सरकार सीधे उपराज्यपाल नियुक्त करेगी तो वहीं दूसरे प्रांत (जम्मू-कश्मीर) में उप-राज्यपाल के शासन के साथ विधानसभा का भी प्रावधान किया गया.
इसी जम्मू कश्मीर में कुछ समय बाद बीडीसी यानी ब्लॉक डेवलपमेंट कौंसिल के चुनाव होने को हैं, इस चुनाव में कुल 316 में से 310 सीटों पर मतदान होना है. जिसके ठीक पहले शेहला ने पूर्व आईएएस और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के नेता शाह फैसल की पार्टी भी ज्वॉइन की थी. बीडीसी के इस चुनाव के नतीजों का एलान 24 अक्टूबर को किया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने को लेकर शेहला ने मानवाधिकार के मुद्दे पर सरकार को घेरने के बहाने अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की थी, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश और सेना दोनों की छवि को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के आरोपों के बीच शेहला को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था इसी के साथ शेहला पर ‘दुश्मनी को बढ़ावा देना’ ‘शांति भंग करने’ तथा ‘उपद्रव के लिए बयान देने’ समेत राजद्रोह कई केस भी दर्ज किये गए थे.