Monday, November 11, 2024
HomeHindiभारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था

भारत और विश्व कि अर्थव्यवस्था

Also Read

Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.

हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे। आइये हम एक विश्लेषण करते हैं कि, हमारा निर्णय हमारे लिए, हमारे समाज के लिए और हमारे राष्ट्र के लिए कितना महत्वपूर्ण और लाभदायक था।

आज के परिवेश में यदि देखें तो वामपंथी देश चिन से फैले कोरोना नामक महामारी ने सम्पूर्ण विश्व के अर्थव्यवस्था को गहरी चोट दी, आइये कुछ उदाहरण से समझते हैं:
१:- श्रीलंका एक फलता फूलता देश था, पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार और वामपंथी देश चिन के कर्ज जाल से पीड़ित इस देश को कोरोना महामारी के प्रभाव ने कंगाल बना दिया। वंहा जबरदस्त क्रांति हो गई और जनता ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। अत्यंत जटिल परिस्थितियों से जूझ रहा श्रीलंका गृह युद्ध की ओर बढ़ चला, परन्तु भारत ने अग्रज भ्राता का कर्तव्य निभाते हुए ना केवल स्वय श्रीलंका को मुद्रा और आवश्यक वस्तुओ से सहायता पहुंचाई अपितु विश्व के अन्य संस्थाओ से अपनी गारंटी पर ऋण भी दिलवाया। आज श्रीलंका भारत के सहयोग से उबरने की कोशिश कर रहा है।

२:- पाकिस्तान जो हमेशा मिलिट्री निरंकुशता के छत्रछाया में रहा और जिसने आतंक के बीज बोकर उसकी फसल को पूरे विश्व में फैलाया और अपनी गलत नीतियों के कारण विश्व से मिलने वाले ऋण को आतंकवाद और अपनी सेना पर खर्च किया, उस पाकिस्तान को चिन के कर्ज, आतंकवाद और कोरोना के दुष्प्रभाव ने लगभग बर्बाद कर दिया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो ने एक बार कहा था “भले घाँस कि रोटी खानी पड़े पर हम एटम बम बना के रहेंगे” और मित्रों उनका यह सपना आज पूरा हो रहा है। पाकिस्तान एटम बम बना चुका है और आज घाँस की रोटी खा रहा है, क्योंकि गेहूं, आटा, तेल, दूध, पानी, किरोसीन तेल, पेट्रोल, डीजल अत्यधिक महंगे हो गए हैं। पाकिस्तान के पास केवल १५ दिन तक मुल्क चलाने का पैसा बचा है। कर्ज में डूबा पाकिस्तान हर दरवाजे पर कटोरा लेकर भीख माँग रहा है। आज पाकिस्तान में बिजली, गैस और अन्य जरूरत की सामान्य वस्तुऐ भी नहीं मिल रही हैं। पाकिस्तान पूरा कंगाल हो चुका है और अब गृह युद्ध कि तैयारी में है।

३:- न्यूजीलैंड, हे मित्रों ये एक छोटा सा मुल्क है, परन्तु इस छोटे से मुल्क में भी कोरोना महामारी का अत्यंत बुरा प्रभाव दिखाई दे रहा है। सरकार के खजाने में मुद्रा की कमी और लगातार बढ़ रहे ऋण के बोझ ने इस देश की अर्थव्यवस्था को तोड़ कर रख दिया है। बेरोजगारों कि बढ़ती संख्या, महंगाई और इससे देश को ना उबार पाने के कारण वंहा के प्रधानमंत्री ने बड़े दुःखी ह्रदय से रोते हुए अपना पद छोड़ दिया। अब इस देश कि अर्थव्यवस्था बगैर किसी दिशा के अधर में लटक रही है, जनता का क्रोध सातवे आसमान पर है।

४:- ऑस्ट्रेलिया, हे मित्रों यह भी एक छोटा सा देश है, पर कोरोना के दुष्प्रभाव से यंहा की अर्थव्यवस्था अपनी अंतिम सांसें ले रही है। सरकार द्वारा सुरक्षित मुद्रा कोष से धन निकालकर देश को चलाया जा रहा है, परन्तु कब तक। ये सुरक्षित मुद्रा कोष खत्म हुआ, फिर क्या होगा, कैसे महंगाई, बेरोजगारी और अन्य जटिल समस्याओ का हल निकलेगा। स्थिति बड़ी गंभीर और विकट है।

५:- इंग्लैड, हे मित्रों भारत सहित कई देशों को वर्षो तक लुटने वाले इंग्लैंड के हालत तो और बदतर हैं, वंहा पिछले चार वर्षो में तीन प्रधानमंत्री बदल दिए गए। बेरोजगारी, महंगाई, सुरक्षित मुद्रा कोष में कमी और बढ़ते कर्ज ने इंग्लैंड कि अर्थव्यवस्था कि जड़े हिला दी हैं। वंहा आए दिन धरना प्रदर्शन हो रहे हैं। इंग्लैंड कि सरकार का मुखिया आज एक भारतीय है और उसके नीतियों ने कुछ हद तक इंग्लैंड कि जनता को राहत पहुंचाई है, परन्तु इंग्लैंड को शिघ्रता से इस स्थिति से उबरने कि अवश्यक्ता है।

६:- अपने डॉलर के बल पर पूरी दुनिया कि अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने वाला अमेरिका आज स्वय दयनीय स्थिति में है। उसे भी आर्थिक मंदी का डर सता रहा है। वंहा भी सरकार के नीतियों की कड़ी आलोचना हो रही है। रूस -युक्रेन युद्ध में युक्रेन का साथ देकर पूरे यूरोप कि अर्थव्यवस्था को डवाडोल कर देने वाले अमेरिका के अंदरूनी हालत बेहद खराब हैं।अमेरिका एक ओर ईरान, दूसरी ओर रूस और तीसरी ओर चिन से युद्ध करने के मुहाने पर खड़ा है।

७:- मित्रों पूरे विश्व में कोरोना नामक महामारी फैलाने वाले वामपंथी देश चिन की अर्थव्यवस्था भी बुरे दौर से गुजर रही है। चिन आज भी कोरोना महामारी से लड़ रहा है। भारत कि वेक्सिन का सहारा लेकर वो अपने देश के नागरीको को बचाने कि कोशिश कर रहा है। आज भारत ने चिन को कई क्षेत्रो में पीछे कर दिया है। बहुत सी विदेशी कम्पनियां चिन का त्याग कर भारत में या तो स्थापित हो चुकी हैं या फिर स्थापित होने का प्रयास कर रही हैं।

८:-इसी प्रकार मित्रों अफ्रीका और यूरोप के कई देशों कि अर्थव्यवस्था का वहीं स्तर है जो ऊपर बताया गया है। रूस और युक्रेन के युद्ध ने फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, तथा अन्य NATO समूह मे सम्मिलित देशों के हालात खराब कर दिए हैं, ना केवल गैस, पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल अपितु खाद्यान्न कि भारी कमी पैदा हो चुकी है और NATO समूह के देशों के साथ साथ मिश्र, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, जापान, सऊदी अरब तथा अन्य खाड़ी के देश गेंहू और अन्य खाद्यान्न के लिए भारत पर निर्भर हो चुके हैं।

९:- रसिया, हे मित्रों रसिया के बारे में क्या बताए, ये युक्रेन से पिछले एक वर्ष से युद्धरत है। इस युद्ध के कारण अनेक प्रतिबन्ध का सामना कर रहा है। भारत के द्वारा मित्रता निभाने से और भारत के कारण सऊदी अरब और (ईरान) और अन्य अफ़्रीकी देशों से होने वाले व्यापार से अपनी अर्थव्यवस्था को सम्हाले हुए है।

१०:- मित्रों अब अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बंगलादेश म्यांमार इत्यादि जैसे छोटे देश भी भारत कि अर्थव्यवस्था से लाभ प्राप्त कर स्वय को जिंदा रखे हुए हैं।

अनुत्थाने ध्रुवो नाशः प्राप्तस्यानागतस्य च।
प्राप्यते फलमुत्थानाल्लभते चार्थसम्पदम्।।

हिंदी अर्थ:- यदि राजा उद्योगरत तथा विकास-कार्यों के प्रति सचेत न हो तब जो धनसंपदा-पूंजी उसके पास पहले से मौजूद हो और जो कुछ भविष्य के गर्त में मिल सकने वाला हो (अनागत), उन दोनों, का नाश अवश्यंभावी है। सतत प्रयास, श्रम, उद्यम में संलग्न रहने पर ही सुखद फल और वांछित संपदा-संपन्नता प्राप्त होते हैं । मित्रों शास्त्र रूपी या ज्ञान को चरित्रार्थ करते हुए , हमारे सर्वाधिक लोकप्रिय नेता ने वो कदम उठाए जिसकी दुनिया आज भी सराहना कर रही है।

मित्रों तनिक स्वय के द्वारा लिए गए निर्णय पर ध्यान दीजिये, आपने अपने देश को एक शसक्त, ईमानदार और अत्यंत बुद्धिमान हाथों में सौपा जिसने अपना राजधर्म निभाते हुए देश को सर्वोपरि रखा और जनता की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और इसीलिए उसने:-
१:- जन धन योजना से करोड़ो लोगों के बैंक खाते खुलवाए;
२:- स्वच्छ् भारत योजना के तहत घर घर शौचालय बनवाया;
३:- आयुष्मान योजना लाकर ( दुनिया का सबसे बड़ा बीमा योजना) गरीब वर्ग को ₹५ लाख तक बीमा दिलवाया;
४:- सम्पूर्ण कोरोना काल में ८० करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज देता रहा और आज तक दे रहा है;
५:- देश में हि कोरोना वेक्सिन बनवाया;
६:- देश के सीमावर्ती क्षेत्रो सहित सम्पूर्ण देश में सड़क, हाइवे और सुरंग का अद्भुत जाल बिछाया;
७:- पेट्रोल, डीजल और केरोसिन तेल का सुरक्षित भण्डारण किया;
८:- प्रधानमंत्री रोजगार मुद्रा योजना से लाखों “Start up” कम्पनियां खोलने का हौसला दिया;
९:- रुस और युक्रेन के युद्ध में “युद्ध ना करने और विश्व शांति का संदेश देते हुए” किसी का पक्ष नहीं लिया और अपनी मित्रता निभाते हुए रूस से सस्ते दरो पर तेल प्राप्त किया और यही नहीं देश को सुरक्षित रखने के लिए रूस से S४०० खरीदा, फ्रांस से राफेल खरीदा और DRDO कि योग्यता से अनेक मिसाइल का निर्माण करवाया। तेजस लडाकू विमान कि माँग तो पूरे विश्व में है। हे मित्रों आज जितना दम खम भारतीय सेना का दिख रहा है, ऐसा पूर्व में कभी देखने को नहीं मिला। आज हमारी सेना विश्व के सबसे शक्तिशाली सेनाओ में से एक है।
१०:- कोरोना के दौरान जब सम्पूर्ण विश्व स्वार्थ में डूबा अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगा था, तब उसने हमें “आपदा में अवसर” का महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया, जिस पर चलकर हमने पूरी दुनिया को ना केवल दवा और कोरोना कि वेक्सिन दी अपितु खाने को अन्न और पहनने को वस्त्र भी दिए। मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया ने तो कमाल हि कर दिया।
११:- यही नहीं मित्रों किसान सम्मान निधि योजना से किसानों कि सबसे बड़ी चिंता हि दूर कर दी;
१२:- विधवा पेंशन, वृद्ध पेंशन और अन्य भुगतानो से वरिष्ठ नागरिकों को सुकून पहुंचाया;
१३:- औषधि योजना से लाखों रुपए कि लागत वाली दवाओ को हजार और सौ के अंदर ले आया;
१४:- कई क्रन्तिकारी परिवर्तन और संशोधन के जरिये उसने मनी लाउंड्रिंग, काला बाजारी, बेनामी संपत्ति और काला धन पर बहुत हद तक अंकुश लगा दिया;
१५:- परीक्षा पे चर्चा और मन की बात जैसे कार्यक्रमों से उसने जनता, क्षात्र और अभिभावक वर्ग के ह्रदय को जीत लिया।

और इस प्रकार उसने एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जिसके दम पर वो अपना राजधर्म निभा रहा है और भारत कि जनता अपना लोक धर्म निभा रही है। अब भारत में घबराहट केवल विपक्ष के नेताओं को है, कि कैसे जब सारी दुनिया परेशान है तो भारत और भारत की जनता चैन से अपने अपने कार्य में व्यस्त है। भारत के विपक्षी पार्टी के नेता भारत कि मजबूत अर्थव्यवस्था को देख कर परेशान और चिन्तित हैं, उन्हें ऐसी अर्थव्यवस्था कि उम्मीद नहीं थी।

प्राज्ञे नियोज्यमाने तु सन्ति राज्ञः त्रयोगुणः।
यशः स्वर्गनिवासश्च विपुलश्च धनागमः ॥

हिंदी अर्थ:- बुद्धिमान लोगों की नियुक्ति करने वाले राजा को तीन चीज़ों की प्राप्ति होती है – यश, स्वर्ग और बहुत धन। अब आइये देखते हैं कि शास्त्र से मिले इस ज्ञान को किस प्रकार प्रयोग में लाया गया। मित्रों ये उस व्यक्ति के दूरदर्शिता का परिणाम है, जिसके हाथो में हमने देश कि बागडोर सौपी है। हमारे देश के विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर हों या वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री श्री अमित शाह हों या रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी या फिर विश्व के कई बड़े उद्योगपतियों को अपनी कर्मठता, राष्ट्रभक्ति और ईमानदारी से कार्य करना सिखाने वाले श्री नितिन गडकरी हों या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित दाभोल जी हों सभी अपने अपने क्षेत्रों के महारथी हैं, कोई किसी से कम नहीं। अब ऐसी केबिनेट जिस देश में कार्य कर रही हो भला उसकी अर्थव्यवस्था कैसे बिगड़ सकती है।

हमारे शास्त्रों में राजधर्म को कुछ इस प्रकार बताया गया है:-
प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्।
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम्।।

हिंदी अर्थ:- प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है; अर्थात् जब प्रजा सुखी अनुभव करे तभी राजा को संतोष करना चाहिए। प्रजा का हित ही राजा का वास्तविक हित है। वैयक्तिक स्तर पर राजा को जो अच्छा लगे उसमें उसे अपना हित न देखना चाहिए, बल्कि प्रजा को जो ठीक लगे, यानी जिसके हितकर होने का प्रजा अनुमोदन करे, उसे ही राजा अपना हित समझे।
इसी प्रकार हमारे शास्त्र आगे कहते हैं:
तस्मान्नित्योत्थितो राजा कुर्यादर्थानुशासनम्।
अर्थस्य मूलमुत्थानमनर्थस्य विपर्ययः।।

हिंदी अर्थ:- अतः उक्त बातों के मद्देनजर राजा को चाहिए कि वह प्रतिदिन उन्नतिशील-उद्यमशील होकर शासन-प्रशासन एवं व्यवहार के दैनिक कार्यव्यापार संपन्न करे । अर्थ यानी संपदा-संपन्नता के मूल में उद्योग में संलग्नता ही है, इसके विपरीत लापरवाही, आलस्य, श्रम का अभाव आदि अनर्थ (संपन्नता के अभाव या हानि) के कारण बनते हैं।

दुष्टस्य दण्डः स्वजनस्य पूजा न्यायेन कोशस्य हि वर्धनं च।
अपक्षपातः निजराष्ट्ररक्षा पञ्चैव धर्माः कथिताः नृपाणाम्॥

अर्थात दुष्ट को दंड देना, स्वजनों की पूजा करना, न्याय से कोश बढाना, पक्षपात न करना, और राष्ट्र की रक्षा करना – ये राजा के पाँच कर्तव्य है। और मित्रों हमने और अपने जिसे चूना है, वो इन सभी गुण धर्म पर पूर्णतया खरा उतरता है। उसने सदैव राष्ट्र और उसके पश्चात प्रजा को सर्वोपरि मानकर अपना राजधर्म निभाया है।

हम सब विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता और अपने प्रधानमंत्री जी के साथ हैं और सदैव रहेंगे।
जय हिंद।
भारत माता की जय।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Nagendra Pratap Singh
Nagendra Pratap Singhhttp://kanoonforall.com
An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular