जी हाँ मित्रों आज अंग्रेजों और अंग्रेजों के तलवे चाटने वाले और भारत में रहने वाले उनके चाटुकारो के लिए निसंदेह मातम भरा दिन है, परन्तु प्रत्येक सच्चे भारतीय के लिए आज का दिन गौरवमय आंनद से भरा उत्सव जैसा है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के इस कालखंड में भारत ने उन अनपढ़ मुर्ख और बर्बर अंग्रेजो की लूट पर आधारित अर्थव्यवस्था को अपने ज्ञान, विज्ञान, उच्चकोटि की प्रतिभा, परिश्रम और निस्वार्थ देशप्रेम से पछाड़कर विश्व के पाचँवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गौरव हासिल कर लिया है।
आज यूरोप, अमेरिका, रसिया सहित सारी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जंहा कोरोना, महँगाई और मंदी की मार झेल कराह रही हैं, वंही हमारा देश १३.५% की जीडीपी के साथ सबको आश्चर्य में डालकर नित नयी उचाईयों को स्पर्श कर रहा है और ये सब कुछ हो रहा है क्योंकि देश की बागडोर परम आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी, श्री एस जयशंकर, श्री अमित शाह व श्रीमती निर्मला सीतारमण इत्यादि जैसे कर्मठ, जुझारू, ईमानदार और देशभक्त व्यक्तियों के हाथो में है।
आपको बताते चले की भारत अपनी पिछली निरंकुश नीतियों से मुक्त, “बाजार अर्थव्यवस्था” के रूप में विकसित हो रहा है। भारत का आर्थिक उदारीकरण वैसे तो वर्ष १९९० के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ (जब स्वर्गीय नरसिम्हाराव की सरकार थी) और इसमें औद्योगिक नियंत्रण, विदेशी व्यापार और निवेश पर नियंत्रण कम करना और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का निजीकरण करना शामिल था। इन उपायों से भारत को आर्थिक विकास में तेजी लाने में मदद मिली है। भारत का सेवा क्षेत्र दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र है जो अर्थव्यवस्था का ६०% और रोजगार का २८% हिस्सा है। विनिर्माण और कृषि अर्थव्यवस्था के दो अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
आइये जानने का प्रयास करते हैं की आखिर ये जीडीपी (GDP) होती क्या है?
मित्रों यदि सामान्य भाषा में कहें तो जीडीपी अर्थात सकल घरेलू उत्पाद (GROSS DOMESTIC PRODUCT) एक निर्दिष्ट अवधि (Specified Time), आमतौर पर एक वर्ष के दौरान देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित तैयार माल और सेवाओं के कुल मूल्य का एक अनुमान है। किसी देश की अर्थव्यवस्था के आकार का अनुमान लगाने के लिए जीडीपी का लोकप्रिय रूप से उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि “सकल घरेलू उत्पाद” (जीडीपी) एक विशिष्ट अवधि के दौरान किसी देश के भीतर किए गए सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक बाजार मूल्य है। जीडीपी किसी देश की अर्थव्यवस्था का एक स्नैपशॉट प्रदान करने में मदद करता है और इसकी गणना व्यय, उत्पादन या आय का उपयोग करके की जा सकती है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या जीडीपी या सकल घरेलू आय (GDI), एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है| यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है। GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं।
पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर ३६५ दिन) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है।
दूसरा, यह एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रत्येक अवस्था (मध्यवर्ती चरण) पर कुल वर्धित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित कर (Tax) के योग के बराबर है।
तीसरा, यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग के बराबर है- अर्थात कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति की राशि, उत्पादन पर कर औरसब्सिडी रहित आयात और सकल परिचालन अधिशेष (या लाभ)।
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के मापन और मात्र निर्धारण का सबसे आम तरीका है खर्च या व्यय विधि (expenditure method):
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) = उपभोग (Consumed)+ सकल निवेश (Investment ) + सरकारी खर्च (Expenses)+ (निर्यात – आयात), या
GDP = C + I + G + (X − M).
जीडीपी का मापन :-
वर्तमान यू.एस. डॉलर में नाममात्र जीडीपी (NOMINAL GDP ): मुद्रा बाजार विनिमय दरों का उपयोग करके स्थानीय कीमतों और यू.एस. डॉलर में परिवर्तित मुद्राओं का उपयोग करके देशों के बीच जीडीपी को मापने और तुलना करने का यह सबसे बुनियादी और सामान्य तरीका है। यह वह संख्या है जिसका उपयोग शीर्ष २५ सूची में देशों की रैंकिंग निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
क्रय शक्ति समता (पीपीपी – PURCHASING POWER PARITY ) वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय डॉलर में समायोजित सकल घरेलू उत्पाद: यह देशों के बीच नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद की तुलना करने का एक वैकल्पिक तरीका है| मुद्रा विनिमय दरों के बजाय उन देशों में सामानों की टोकरी के आधार पर मुद्राओं को समायोजित करना। यह देशों के बीच रहने की लागत में अंतर को समायोजित करने का एक तरीका है।
जीडीपी वृद्धि (GDP GROWTH): यह स्थानीय कीमतों और मुद्राओं में नाममात्र जीडीपी की वार्षिक प्रतिशत वृद्धि दर है, जो अनुमान लगाती है कि देश की अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ रही है।
जीडीपी प्रति व्यक्ति (GDP PER PERSON ), वर्तमान यू.एस. डॉलर में: यह नॉमिनल जीडीपी है जिसे किसी देश में लोगों की संख्या से विभाजित किया जाता है। जीडीपी प्रति व्यक्ति मापता है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था कुल के बजाय प्रति व्यक्ति कितना उत्पादन करती है। यह किसी देश में रहने वाले व्यक्तियों के लिए आय या जीवन स्तर के एक बहुत ही मोटे उपाय के रूप में भी कार्य कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पहली तिमाही में बढ़त हासिल कर ली है। अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अमेरिका है। जबकि दूसरे नंबर पर चीन फिर जापान और जर्मनी का नंबर है। एक दशक पहले भारत इस सूची में 11वें नंबर पर था और ब्रिटेन पांचवें पायदान पर। भारत ने यह कारनामा दूसरी बार किया है। इससे पहले 2019 में भी ब्रिटेन को छठे स्थान पर धकेल दिया था।
अमर उजाला में ३ सितम्बर २०२२ को प्रकाशित किये गए एक लेख में स्पष्ट रूप से यह दर्शाया गया कि “भारत ने हाल में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर १३.५ प्रतिशत रही, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक है। नकदी के संदर्भ में देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मार्च तिमाही में ८५४.७ अरब डॉलर है, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था ८१६ अरब डॉलर की है।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि “अप्रैल-जून तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर १७.६ % रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में १०.५% थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर ४.५ % रही जबकी २०२१-२२ की पहली तिमाही में २.२ % फीसदी थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की विकास दर २.३ % से बढ़कर ९.२% पहुंच गई। इसके अलावा, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर १४.७ % रही, जो २०२१-२२ की समान तिमाही में १३.८ % थी। लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के बढ़ने की दर ६.२% से बढ़कर २६.३% पहुंच गई। कृषि और सेवा क्षेत्र के दमदार प्रदर्शन से भारतीय बाजार में वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ा और निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिली है।
मित्रों चीन और भारत दुनिया की दो उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं। २०२१ तक, चीन और भारत नाममात्र (NOMINAL )के आधार पर क्रमशः दुनिया की दूसरी और 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। पीपीपी (PURCHASING POWER PARITY) के आधार पर चीन पहले और भारत तीसरे स्थान पर है। दोनों देश कुल वैश्विक संपत्ति का क्रमशः २१ % और २६ % नाममात्र (NOMINAL)और पीपीपी (PPP )शर्तों में साझा करते हैं। एशियाई देशों में, चीन और भारत मिलकर एशिया के सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक का योगदान करते हैं।
मित्रों आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भारत की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य महाराष्ट्र में वर्ष २०१७ में लगभग ३७४ बिलियन अमेरिकी डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद (नाममात्र) और लगभग १,३५४ बिलियन अंतर्राष्ट्रीय डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) था। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था नाममात्र (NOMINAL) के आधार पर नाइजीरिया के बराबर है और पीपीपी आधार पर थाईलैंड के बराबर है। अगर महाराष्ट्र को २०१७ की जीडीपी सूची में शामिल किया जाता है, तो यह नाममात्र और पीपीपी के मामले में क्रमशः ३१ वें और १९ वें स्थान पर होगा। २०१८ तक, भारत के दूसरे सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था पुर्तगाल (नाममात्र में) और अर्जेंटीना (पीपीपी में) के बराबर थी।
मित्रों जब इस पुरे विश्व में सबसे धाकड़ विदेश मंत्री के रूप में स्थापित हो चुके श्री एस जयशंकर जी ने जब कहा कि अंग्रेजो ने भारत से ४७ ट्रिलियन डॉलर के बराबर सम्पत्ति की लूट खसोट की तो पूरा विश्व सकते में आ गया और लुटेरे अंग्रेज अपना मुँह छिपाकर भाग खड़े हुए। पर मित्रों सच है कि हमारे पास एक अत्यंत नीतिवान, चरित्रवान, गुणवान, देशभक्त और प्रजावत्सल शासक है, जो हमें निरंतर विकास और खुशहाली के पथ पर लेकर चल रहा है और हमारे शास्त्रों में ऐसे ही व्यक्ति का कुछ इस प्रकार वर्णन किया गया है:
शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्।
दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम्।।१८।४३।।श्रीमद्भगवतगीता
व्याख्या- मनमें अपने धर्मका पालन करनेकी तत्परता,जिसके प्रभाव या शक्तिके सामने पापी दुराचारी मनुष्य भी पाप दुराचार करनेमें संकोच करे जिसके सामने लोगोंकी मर्यादाविरुद्ध चलनेकी साहस नहीं होता अर्थात् लोग स्वाभाविक ही मर्यादामें चलते हैं,विपरीत से विपरीत अवस्थामें भी अपने धर्मसे विचलित न होने और शत्रुओंके द्वारा धर्म तथा नीतिसे विरुद्ध अनुचित व्यवहार से सताये जानेपर भी धर्म तथा नीति विरुद्ध कार्य न करके धैर्यपूर्वक उसी मर्यादा में चलना,प्रजाको यथायोग्य व्यवस्थित रखनेकी और उसका संचालन करनेकी विशेष योग्यता,युद्ध में कभी पीठ न दिखाना मन में कभी हार स्वीकार न करना युद्ध से पलायन ना करना,दान देने मे तत्परता,अपने शासनद्वारा सबको अपनी अपनी मर्यादाके अनुसार चलानेका भाव,जो मात्र प्रजाकी दुःखोंसे रक्षा करे यह सभी स्वाभाविक क्षत्रियात्मक गुण और कर्म हैं।और ये सब हमारे प्रधानमंत्री में है।