स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के इस कालखंड में भारत ने उन अनपढ़ मुर्ख और बर्बर अंग्रेजो की लूट पर आधारित अर्थव्यवस्था को अपने ज्ञान, विज्ञान, उच्चकोटि की प्रतिभा, परिश्रम और निस्वार्थ देशप्रेम से पछाड़कर विश्व के पाचँवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गौरव हासिल कर लिया है।