Sunday, November 3, 2024
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क्या भारतवंशी करेगा अंग्रेजों पर राज?

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Abhishek Kumar
Abhishek Kumar
Politics -Political & Election Analyst

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन के इस्तीफे के बाद सवाल यह है कि उनकी जगह कौन लेगा? ब्रिटेन के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर कुछ भारतीय मूल के नागरिकों के नाम भी उभरे हैं। उनमें सबसे पहला नाम तो ऋषि सुनाक का ही है। दूसरा नाम जाॅनसन सरकार में गृह मंत्री रहीं प्रीति पटेल का है। गोवा मूल की सुएला ब्रेवरमेन, जो कि एटार्नी जनरल रही हैं, उन्होंने भी खुद को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

दरअसल,ब्रिटेन में पार्टियों के नेता आसानी से नहीं चुने जाते हैं। जो नेता चुना जाता है, वही प्रधानमंत्री बनता है। इस पद के लिए बहुसंख्यक पार्टी का कोई भी सांसद अपनी उम्मीदवारी घोषित कर सकता है बशर्ते उसे कम से कम आठ सांसदों का समर्थन प्राप्त हो। पीएम पद के लिए 10 उम्मीदवार भी हो सकते हैं। पर उसका चयन सिर्फ एक चुनाव से नहीं होता।

तब तक चुनाव बार-बार होते रहते हैं, जब तक कि सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवार आमने-सामने न आ जाएं। अंतिम चुनाव तय करता है कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा। इस प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है। इसी का फायदा उठाकर जाॅनसन दो-तीन माह और टिके रहना चाहते हैं। लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी के असंतुष्ट नेता मांग कर रहे हैं कि नए प्रधानमंत्री को चुनने में जितना भी समय लगे, जाॅनसन को तुरंत हटना चाहिए। जाॅनसन के विरोधियों को शक है कि अक्तूबर तक जाॅनसन कुछ कारस्तानी करेंगे कि कंजर्वेटिव पार्टी उन्हें दुबारा नेता बना ले।

ब्रिटेन के जो अखबार और टीवी चैनल 2019 के चुनाव में जाॅनसन को प्रधानमंत्री बनवाने के लिए पूरा जोर लगा रहे थे, अब वे भी मांग कर रहे हैं कि जाॅनसन तुरंत कुर्सी खाली करें। 2019 में कंजर्वेटिव पार्टी को प्रचंड विजय दिलाने वाले जाॅनसन से तीन साल में ही उनकी पार्टी और जनता का मोहभंग क्यों हो गया?

लंदन के एक विश्वसनीय लोकमत-सर्वेक्षण के अनुसार 70% नागरिक मानते थे कि जाॅनसन की विदाई जरूरी है। यह वही जाॅनसन हैं, जिन्होंने ब्रिटेन की 650 सीटों वाली संसद में 358 सीटें जीत ली थीं। जाॅनसन ने अपनी ही पार्टी की पीएम थेरेसा मे की डगमगाती ब्रेक्सिट नीति के खिलाफ झंडा बुलंद किया था और वे ब्रिटिश जनता के कंठहार बन चुके थे।

जब थेरेसा मे को उन्होंने ब्रेक्सिट पर ढुलमुल नीति अपनाते देखा तो विदेश मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस घटना ने उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी का महानायक बना दिया। उन्हें पूरा विश्वास था कि पीएम के तौर पर वे नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे लेकिन तीन साल में ही मोहभंग हो गया।

6 जून को उनकी पार्टी के सांसदों ने ही उनके खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव पार्टी मंच पर रखा था, वह गिर गया लेकिन उनके 41% सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान कर दिया। ज्यों ही उनके वित्तमंत्री ऋषि सुनाक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जावेद ने इस्तीफे दिए, लगभग 60 मंत्रियों और अन्य उच्च पदस्थ टोरी सांसदों के इस्तीफों की झड़ी लग गई।

अगर कोई भारतवंशी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनता है तो ये सभी के लिए गर्व का विषय होगा, जिस ब्रिटेन ने भारत पर सकड़ों साल राज किया ,अब उसकी सत्ता पर एक भारतीय मूल का व्यक्ति राज कर रहा हैं.

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