अब महाराष्ट्र में शिवसेना पर दावेदारी का दंगल शुरू हो चुका हैं. एकनाथ शिंदे गुट में शामिल बाग़ी विधायकों का दावा हैं कि अब शिवसेना पर उनका अधिकार हैं, जबकि उद्धव ठाकरे ताल ठोंक रहे हैं कि चूँकि उनके पिता ने यह पार्टी बनाई थी, इसलिए इस विरासत पर उनका अधिकार हैं. फिर सारे जिलों के संगठन प्रमुख उनके साथ हैं, इसलिए बाग़ी विधायकों का इसपर अधिकार जताना बेमानी हैं दरअसल, महाराष्ट्र में शिवसेना का एक बड़ा जनाधार है और जिसके पास चुनाव निशान रहेगा, पार्टी पर जिसका कब्ज़ा रहेगा, भविष्य में उसी के लिए वहां की राजनीति में जगह बनाने की संभावना भी रहेगी. इसलिए बाग़ी विधायक भी जानते हैं कि अगर उन्होंने अलग पार्टी बनाई, तो उन्हें उस तरह का समर्थन हासिल नहीं हो सकेगा, जैसा शिवसेना में रहते मिला करता था.
इसका उदाहरण उनके सामने हैं कि शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई, पर वैसा समर्थन नहीं मिल सका, जैसा शिवसेना को प्राप्त हैं. इसलिए ये उसे हथियाने का प्रयास कर रहे हैं. मगर उद्धव ठाकरे अपने पिता की बनाई पार्टी को इस तरह किसी को हड़पने नहीं दे सकते हैं. उसे बचाने के लिए वो अपनी राजनीतिक गोटियां सेट कर रहे हैं. बाग़ी विधायकों ने पार्टी पर अधिकार पाने के लिए चुनाव आयोग में अर्जी भी दे दी हैं. कानूनी नुक्ते से चुनाव आयोग पार्टी पर उन्हें कब्ज़ा दिला सकता हैं.नियम के अनुसार जिस पक्ष के पास दो तिहाई से अधिक सदस्य हैं, उसे पार्टी का असली हक़दार मान लिया जाता हैं. बाग़ी विधायकों का दावा हैं कि उनके पास फिलहाल अड़तीस विधायक हैं. हालांकि उद्धव ठाकरे का दावा हैं कि सारे जिलों के प्रमुख और कार्यकर्ता उनके साथ हैं. मगर कानून पार्टी की स्तिथि का निर्णय कार्यकर्ताओं के आधार पर नहीं, प्रतिनिधिओं के आधार पर करता हैं. प्रतिनिधिओं को ही पार्टी के जनमत के रूप में परिवर्तित किया जाता हैं. इस तरह बाग़ी विधायकों का पलड़ा भारी हैं.
पर उद्धव ठाकरे इसी प्रयास में लगे हैं कि बाग़ी विधायकों में से सोलह की सदस्यता रद्द कराने में कामयाबी मिल जाए. इसका अनुरोध उन्होंने सदन के उपसभापति से किया भी हैं, मगर अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ हैं. इस वक़्त महाराष्ट्र विधानसभा में सभापति का पद खाली हैं, इसलिए निर्णय उपसभापति को लेना हैं. उपसभापति राष्ट्रवादी कांग्रेस के हैं, इसलिए बाग़ी विधायकों को शक हैं कि वे उद्धव ठाकरे के पक्ष में जा सकते हैं. इसलिए उन्होंने विधायक को निलंबित करने का अनुरोध किया हैं. इस तरह अब उपसभापति विधायकों को निलंबित करने संबंधी कोई कदम नहीं उठा सकते हैं. अभी बाग़ी विधायक गुहावटी में बैठे हैं और दोनों गुटों के बीच रस्साकशी फ़ोन और चिट्ठी के जरिये चल रही हैं. अभी तक किसी ने अविश्वास प्रस्ताव के मांग नही की हैं. बाग़ी विधायकों की कोशिश हैं कि पहले पार्टी पर कब्ज़ा हो जाये, तो सरकार बनाना और स्वीकार्यता हासिल करना आसान हो जाएगा. मगर उन्हें निर्वाचन आयोग मान्यता दे भी दे तो शायद महाराष्ट्र में जनाधार संभालना आसन नहीं होगा.
बाग़ी विधायकों के पक्ष में बड़े-बड़े बैनर लग गए थे मगर शिवसेना समर्थक अब सक्रिय हो उठे हैं और उन्होंने उन पोस्टरों पर स्याही फेंकना शुरू कर दिया हैं. उद्धव ठाकरे ने भी धमकाया हैं कि बिना उनकी तस्वीर के बाग़ी विधायक महाराष्ट्र में निकल कर दिखा दें. इस तरह यह विरासत की लडाई अब मूंछ की लड़ाई बन चुकी हैं.
लेख: अभिषेक कुमार ( Political -Politics Analyst / Follow on Twitter @abhishekkumrr )